इनमें से कुछ तस्वीरों में कम्युनिष्टों के लाल रंग भी दिखाते हैं।
कहीं कहीं तो राजनैतिक पार्टियों के झंडे भी बाहर आ गए हैं।
मायनें यह कि बिहार में मचाए जा रहे दंगे और उत्पात में सारे विपक्षी राजनैतिक पार्टी के लोग अपने अपने रोटी सेंक रहे हैं।ज्यादातर इन तस्वीरों से यह तो सावित नहीं होता की ये लोग दंगाई हैं।इसके लिए तो दंगे और आगजनी के जितने विडिओ हैं उनको देखकर ही उनकी पहचान और अपराध सिद्ध हो सकता है।आजकल ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो आसानी से दंगाइयों की पहचान कर सकती है जिसे कानपुर दंगे के बाद उपयोग में लाया गया था। यह नितांत आवश्यक है कि बिहार सरकार या फिर केंद्रीय रेल मंत्री रेलवे की क्षति पूर्ती के लिए
ऐसा करें और दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
अग्निपथ योजना की सफलता के बारे में तीनों सेना प्रमुख आस्वस्त हैं।फिर कौन क्या कहता है इसका कोई मायनें नहीं। देश की प्रमुखविपक्षी पार्टियों के नेता युवाओं को भड़काने में लगे है।कुछ सेवा निवृत्त अधिकारियों के भी मत बँटे हैं।ऐसे में उचित यही है कि तीनों सेनाएँ अपने लिए गए फैसले पर अडिग आगे बढ़ें और आने वाले समय में इस योजना में जो भी थोड़ा बहुत बदलाव करना पड़े, करें। अभी सेना की आवश्यकताओं से सबसे ज्यादा भिज्ञ वही हैं। हमें उनपर विश्वास रखना ही चाहिए।
अब जब दंगाई अपने मकसद में कामयाब होते लग रहे है, आवश्यकता है युवाओं के मन से अनिश्चितता निकालने की।उन्हें अग्निपथ योजना की सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी गेनी पड़ेगी।इस सम्पादक ने भरपूर कोशिष की की वायुसेना प्रमुख से कुछ सवालों के उत्तर लिए जाएँ परन्तु उनके स्टाफ ऑफिसर साक्षात्कार से जैसे डर रहे हैं।वायु सेना अगले कुछ दिनों में एक नोटिफिकेशन निकालने वाली है और अभी कुछ भी कहने से शायद बच रही है।