बिलबिलाता बिलावल, नापाक पाकिस्तान और SCO-G20
विगत में भारत आए पाकिस्तानी नेताओं का रूतबा कुछ और ही होता आ रहा था।वो कभी भी भारत में हो रहे आतंकवादी गतिविधियों की जिम्मेवारी नहीं लेते थे और हमेशा अपनीं चिर-परिचित अंदाज़ में अपने आपको आतंकवाद का शिकार बताकर कन्नी काट, बाहर निकल जाते थे। वे अपनी दोगलेपन के लिए विश्व-विख्यात थे, कहते कुछ, करते कुछ और थे।उनके साथ भारत और पाकिस्तान की सारी मीडिया होती थी और उनकी हर बात को बढ़ा-चढ़ाकर विश्व पटल पर पेश किया जाता रहा था। यह सिलसिला लगातार चलता रहा चाहे मुशर्रफ का आगरा आना हो, बाजपेयी का लाहौर बस यात्रा हो, या फिर २००४ का इस्लामाबाद का सार्क सम्मेलन।
चाहे पाकिस्तानी नेता भारत आएँ या फिर भारतीय नेता पाकिस्तान जाएँ, कश्मीरी देशद्रोही हुर्रियत नेताओं का एक जत्था अपने पाकिस्तानी आकाओं से मिलने तथा उनसे दिशा-निर्देश लेने अवश्य जाता था। भारत पाक की यह क्षद्म दोस्ती २०१५ में मोदी के सत्ता में आने के बाद भी चलता रहा लेकिन ‘उड़ी’ आतंकवादी हमले के बाद सब कुछ बदल गया।पहली बार भारत सरकार की सहमति से पाकिस्तानी सरजमीं पर सर्जिकल स्ट्राइक किया गया और पाकिस्तानी नेताओं को यह बड़े स्पष्ट शब्दों में बता दिया गया कि उनकी दोगली निति और नहीं चलेगी।आतंकी घटना और द्विपक्षी वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकती। पाकिस्तान को पहली बार संयुक्त राष्ट्र में उसकी आतंकी गतिविधियों के लिए पहले मोदी और बाद में सुषमा स्वराज ने जमकर लताड़ा। बात वहीं नहीं ख़त्म हुई। २०१९ में पुलवामा में पाकिस्तानी आतंकवादी गतिविधि के लिए आतंकी ट्रेनिंग कैंप बालाकोट को हमला कर तबाह कर दिया गया और पकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बे-नकाब किया गया। पाकिस्तान को मिल रहा "Most Favoured Nation" का दर्जा बंद कर दिया गया और उससे द्विपक्षी व्यापार भी। पाकिस्तान को यह भी बड़े ही साफ़ शब्दों में बता दिया गया कि भारत में किए गए किसी भी भावी आतंकी घटना के लिए उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी। हाल के महीनों में पाकिस्तानी व कश्मीरी अतिवादी मुसलमानों, मुल्लों द्वारा चलाए जा रहे आतंकवाद और जिहाद द्वारा कश्मीर में किए जा रहे आतंकी गतिविधियों के खिलाफ मोदी सरकार पर नापाक पकिस्तान पर एक और सर्जिकल स्ट्राइक के लिए पुनः दवाब पड़ रहा है। संभव है PoK में पल रहे कुछ ‘लांच पैड’ पर आने वाले हफ़्तों या महीनों में एक और कार्यवाही हो। यह भी लाजमी है कि वहाँ की क़ानून व्यवस्था को सक्षम बनाने के लिए तथा पुलिस व सुरक्षा बल की सहायता के लिए पंडितों को भी बन्दूक उठाना पड़े (पढ़ें 'आत्मरक्षा में बन्दूक उठाओ',https://thecounterviews.com/articles/stop-fleeing-kashmir-pick-up-guns/).
कश्मीर में हुर्रियत की कमर तोड़ी गयी और उनके नेताओं को दशकों से दिए जा रहे फण्ड और सुरक्षा बंद किया गया।इतना ही नहीं।जम्मू कश्मीर को संविधान द्वारा विशिष्ट दर्जा दिए जानें वाले धारा ३७० को हटाकर हमेशा के लिए अन्य राज्यों की तरह जोड़ कर अभिन्न अंग बना दिया। इन सबों से पाकिस्तानी नेता और आतंकी सरगना बौखला उठे।उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मोदी सरकार को कठघरे में ठहरानें का भरसक प्रयास किया परन्तु उनकी एक न चली।पिछले तीन सालों से पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों के लिए FATF के ‘ग्रे’ सूचि में रखकर उनकी अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग बंद कर दी गयी।परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान की आर्थिक तबाही हो गयी। आज पाकिस्तान भीख का कटोरा लिए दुनिया भर भटक में रहा है लेकिन उसे लताड़ ही मिल रही है, भीख नहीं।वहाँ लोग रोटी के लिए मुंहताज हैं। ऐसे ही समय पाकिस्तान में बाढ़ का प्रकोप भी आया।विदेशों से बाढ़ के लिए आए सहायता राशि वहाँ के आतंकवादियों के हाथ लग गया जिसे वहाँ लश्कर में भर्ती के लिए खर्च किया गया। पाकिस्तानी मुल्ले दुनिया को अटॉमी ब्लैकमेल की धमकी दे रहे हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता। यहीं से शुरू होता है बिलावल भुट्टो का बिलबिलाना। कहावत है रस्सी जल गयी उसका ऐंठन रह गया।
इसका उदाहरण बिलावल भुट्टो के गोवा दौरे में देखने को मिला जब उसने SCO के विदेश मंत्रियों के मीटिंग में फिर कश्मीर राग अलापा। फिर से पुराना राग अलापना चाहा कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है। डॉ जयशंकर ने बिलावल को याद दिलाया कि पाकिस्तान विश्व में आतंकवाद फैलाने वाला देश है इसलिए वो घड़ियाली आँसू बहाना बंद करे और अपने सरजमीं पर आतकियों पर नकेल कसे। याद रहे कि आज जब पाकिस्तानी आवाम को रोटी के लाले पड़े हैं, वहाँ के आतंकी जिहादियों को लूट खसोट की रोटी और अफगानिस्तान से चुराए हुए बंदूकों की कमीं नहीं है। उनहोंने बिलावल को नींद से जागने की सलाह दी और बताया कि भारतीय संविधान की अस्थाई धारा ३७० इतिहास बन चुका है।उनहोंने कहा भारत पाक वार्ता होना लाजमी है लेकिन इसलिए कि पाकिस्तान को निर्णय करना है कि PoK को किस तरह भारत को वापस करना है। बिलावल के बिलबिलाने का एक और बड़ा वजह था भारतीय मीडिया का पाकिस्तानी मंत्री को घास न डालना।हालाँकि टीवी मीडिया ने उसका किसी भी तरह का बहिष्कार नहीं किया था लेकिन उसके इर्द गिर्द चक्कर भी नहीं लगाया जिसके वे आदी थे। इसके अलावे इस बार कश्मीरी देशद्रोही हुर्रियत का कोई जत्था भी न उनसे मिलने या कोई दिशा निर्देश लेने आया जो उन्हें बुरी तरह खला होगा। यह आधुनिक कश्मीर, भारत सरकार तथा भारतीय मीडिया की ओर से एक बड़ा सन्देश था।
अब कश्मीर में चल रहे G20 के मीटिंग से बिलावल पुनः बिलबिला रहे हैं। पिछले दिनों PoK में बैठकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने की कोशिश में लगे थे । भारत की सरजमीं पर चल रहे G20 सम्मलेन में पाकिस्तान का न कोई स्थान है न ही कोई मंतव्य। इसीलिए पाकिस्तान क्या सोचता या कहता है इसका कोई मतलब नहीं है। अब तो PoK के मुसलमान भी उन्हें भारत से मिलने की, मिलकर रहने की सलाह दे रहे हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि PoK का एक बड़ा तबका कश्मीर से पुनः मिल जाना चाहता है जिससे मोदी के विकास मन्त्र से उन्हें भी लाभ मिल सके, नौकरी और रोटी मिल सके। यही कारण है कि बिलावल कुछ ज्यादा ही बिलबिला रहे हैं।