Before our eyes

चलते - चलाते (2) : देखते ही देखते

देखते ही देखते! उम्र गुजर गई,
कुछ बातें, कार्य, जिम्मेदारियाँ,
ज्यों की त्यों अधूरी,धरी रह गई,
चाहा कुछ! होनी और कुछ हुई।

वक्त के थपेड़े! बहती चली गई,
रोती- हँसती, डूबती - उतराती,
जीती - मरती, सहारे - बेसहारे,
जिंदगी! यूँ ही सरकती चली गई।

कभी प्रताड़ना! कभी जिल्लतें,
तो कभी! आशाहीन प्यार पा गयी
कशमकश के बीच,जलबूंद पा गयी
हारी सी जिंदगी में, आधार पा गयी।

उम्र ही है गुजरी, थे रेत के घरौंदे!
लहरें समुद्र की थी,वो भी बिखर गयी,
मुट्ठी में रेत ही थी, वह भी नहीं बची,
दिखती रही फिसलती,जलमध्य थी खड़ी ।

डॉ सुमंगला झा।

Read More Articles ›


View Other Issues ›