desh ke gaddar

देश के गद्दार ?

किसी भी देश में गद्दार और समाज में चोर अनादि काल से रहे हैं और त्रेता व द्वापर के चोरों का वर्णन क्रमशः रामायण और महाभारत में भी मिलता है। इसी तरह समय के हर काल व खण्डों में लगभग सारे देशों में गद्दारों की भी अलग-अलग भूमिकाएँ रही हैं। चोर भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपना वर्चस्व रखते हैं।कहीं कहीं तो चोरों का आपस में सहयोग भी होता है और ये अक्सर अपने क्षेत्र में ही चोरी करते हैं।इनका सहयोग ज्यादातर व्यक्तिगत ही होता है।लेकिन चोरों का एक समूह जिसे 'राजनैतिक चोर' कहते हैं एक अलग ही वर्चस्व रखता है।इन राजनैतिक चोरों से कुछ जनता भी जुड़े होते हैं।राजनैतिक चोरों के पास इतना धन-धान्य होता है कि वे अपने चांदी के जूते से बड़े-बड़े बिकाऊ विद्वानों को भी अपनी 'चरण वन्दना' करने के लिए वाध्य कर देते हैं जो इन चोरों की सार्वजनिक आवाज बनकर अपनी उपयुक्तता सावित करने की भरपूर कोशिश करते रहते हैं।हम और आप जब भी किसी टीवी चॅनेल पर किसी राजनैतिक चोर पार्टी के प्रवक्ता को सुनते हैं उनमें से ज्यादातर चोरों के 'चरण-चाटक' ही होते हैं जिसके उदाहरण भरे पड़े हैं।यही कारण है कि कुछ जनता भी इन राजनैतिक चोरों के जाल में फसकर उनके अनुसरण व अनुकरण करने लगते हैं।

ऐसा माना जाता है कि चोरों की बुद्धि वमानसिकता काफी तेज होती है।ये अपनी चोरी कला में तरह तरह के दावपेंच इस तरह लगाते रहते हैं कि पुलिस से हमेशा दो कदम आगे रहें। दूसरी तरफ राजनैतिक चोर पार्टियों में सबसे पहला नाम 'चारा चोर' और उसकी पार्टी का आता था।फिर आया 'टोटी चोर' और 'चिटफंड' चोर।इसमें तो चोरनी भी शामिल है।वैसे यह बात अलग है कि एक दशक पहले एक चोरनी 'दौलत की दलित बेटी' के नाम से भी प्रसिद्धि रखती थी। यह बात उल्लेखनीय है कि उन चोरों ने भी अपनी-अपनी कला को लगातार निखारा था।चारा चोर जब घोटालों की सरकार में रेलमंत्री बना था तो लोगों का मानना था कि अगर उसके पेट में भूर (छेद) करो तो रेल के डिब्बे व इंजिन भी निकल सकते हैं अगर वह उसे पचा न लिया हो।उसने चोरी कला में अनुसंधान कर एक ऐसा भी रास्ता निकाला कि देश भौचक्का रह गया।उसने रेल मंत्रालय में 'जमीन के बदले नौकरी' का एक ऐसा अनुपम तरकीब निकाला कि कुछ मत कहिए।इसका जाँच अभी तक चल रहा है और वह गरीब व्यक्ति आज हजारों करोड़ संपत्ति का मालिक बन बैठा है।

हाल के वर्षों में चोरी कला में काफी अनुसंधान व विकास हुआ है।ऐसा माना जाता है कि IIT का पढ़ा एक राजनैतिक चोर ने चोरी में महारथ हासिल कर ली है।इसने देश के राजधानीदिल्ली में ही एक ऐसा अनुपम 'दारू घोटाला' किया कि सालों से पुलिस का पूरा तंत्र उसके सुरागों को खोजने में परेशान-परेशान है।IIT का यह ग्रेजुएट सरकार का धन लूट कर अपनी तिजौरी इस कदर भरता है कि एक हाथ की करतूत दूसरे हाथ को भी नहीं मालूम (read “Inventing corruptions thru’ IIT Brain”, https://thecounterviews.in/articles/inventing-corruptions-thru-iit-brain/) ।कुछ सालों पूर्व एक और अनोखे चोरी की कला सामने आयी थी जिसमें महाराष्ट्र के सरकारी तंत्र में फिरौती की व्यवस्था की गयी थी (read “पप्पू की फिरौती और लुटेरी सरकार”,https://thecounterviews.in/articles/extortion-maharashtra-police-politician-aghadi/)।वैसे फिरौती चारा चोर के तंत्र में भी था जब बिहार में चोर तंत्र का बोलबाला था। इन राजनैतिक चोरों ने तो गोबर तक नहीं छोड़ा।छत्तीसगढ़ में इन चोरों ने 'गोबर घोटाला' तक कर डाला।


चोर पुलिस के इस खेल में एक बड़ा बदलाव तब आया जब राजनैतिक चोरों की अपार धन संपत्ति पकड़ी जानें लगी।भला हो मोदी सरकार का कि बहुतेरे चोरों की अपार लूट जब्त की जा रही है जिसका एक छोटा व्यौरा नीचे दिया गया है । अभी हाल ही में कांग्रेस के एक नेता के घर से ३५० करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त हुई है।

दो राजनैतिक पार्टियाँ जिसकी नेता चोरनी है आज के दिन महान चोरों की गिनती में आतीं हैं।उनमें से एक जमानत पर जेल से बाहर हैं जिसकी संपत्ति का व्यौरा अथाह है।'वाशिंगटन पोस्ट' के अनुसार आज से दस साल पहले उसकी संपत्ति ब्रिटैन के महारानी से भी ज्यादा थी। दूसरी चोरनी पर जॉंच का शिकंजा कसता जा रहा है।उसकी पार्टी के लगभग सौ करोड़ की नकदी पकड़ी जा चुकी है। इस धर-पकड़ से परेशान चारा चोर के नेतृत्व में देश के राजनैतिक चोरों ने अपनी एक संगठन बनाई है जिसका नाम उन्होंने बड़े दावपेंच से 'इंडिया' रखा है।

चोरों के इस समूह का दो मुख्य उद्देश्य हैं : एक तो चोरी की लूट व संपत्ति को मोदी सरकार के पुलिस तंत्र से बचाएँ और दूसरा देश की प्रगति में रत मोदी सरकार को किसी भी तरह सत्ता से बाहर करें ताकि ये खुले आम चोरी कर सकें।इन चोरों के 'इंडिया समूह' में अन्य घोटालेबाज, रूढ़िवादी, माओवादी तथा जिहादी भी सम्मिलित हो गए हैं (read “I-N-D-I-A of Thugs? (parts 1, 2 & 3) ”, https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-1/; https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-2/; https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-3/)।

हाल में ही १९ दिसंबर २०२३ को देश की राजधानी दिल्ली में इनकी सामूहिक मंत्रणा हुई है।इनके साथ इनका टूलकिट भी है जो इनका मिडिया प्रवन्धक भी है।इनका मानना है कि कुत्ते के समूह भी झुंड में शेर का सामना कर सकते हैं।ये चोर ‘मोदी सरकार’ को २०२४ में चुनावी शिकस्त देने के लिए तरह-तरह के पैतरे आजमाएगी।वैसे भले ही आपस में इनका राजनैतिक बैर हो, देश को रसातल में ले जानें के लिए ये कुछ भी करने को तैयार हैं चाहे वह गद्दारी ही क्यों न हो । अधिकाँश लोगों का मानना है कि हाल के दिनों संसद में कराए गए हमले में इनका ही हाथ था (read “Security Breech in Indian Parliament”, https://thecounterviews.in/articles/lessons-from-breach-of-security-in-indian-parliament/)। इनके कुछ घटक चीन से धन लेकर देश से विश्वासघात करते हैं तो अन्य 'वोटबैंक' की राजनीति करने के लिए जिहादियों के हाथों अपना आत्मसम्मान सौपनें को तैयार हैं। इन्हें आजकल २६ सिरों वाले रावण की भी संज्ञा दी जाती है।ये भारत की पवित्र भूमि पर शाप हैं।अब यह हमारी जनता के हाथ में है कि इन चोरों, गद्दारों व आधुनिक रावण को किस तरह आने वाले चुनावों में मात दी जाए। इन गद्दारों से भारत की सुरक्षा आज के दिन सबसे बड़ी देश भक्ति होगी।

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