चोर मचाए शोर
आज भारत का हर वह चोर जिसका किसी भी राजनैतिक दल से सम्बन्ध है, कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद थोड़ी चैन की साँस ले रहा है। ये सभी चोर लगभग आश्वस्त से हो गए हैं कि अगर वे पकडे भी गए तो सामूहिक तौर पर एक स्वर में शोर मचाकर वे जनता की सहानुभूति प्राप्त कर लेंगे और सरकार की आँखों में धूल भी झोंक देंगे ।आज घोटालों के ढेर पर बैठा भूपेश बघेल, अशोक गेहलोत और केजरीवाल भी शोर मचा रहा है कि उसे जबरन फँसाया जा रहा है और बिड़म्बना यह है कि उन सभी राजनैतिक चोरों का साथ देने वाले दूसरी पार्टियों के भी चोर हैं।
चोरी और सीना-जोरी
भूपेश बघेल का 'महादेव एप घोटाला' तो देश भर में जन जन के जुबान पर है। लगता है भूपेश ने घोटालेबाजी में इतनी महारथ हासिल कर ली है जो समझ से परे है। कौन सोच सकता था कि 'गोबर' का घोटाला भी किया जा सकता है लेकिन बघेल ने बखूबी यह कर दिखाया। ऊपर से इनकी हेकड़ी देखिए कि लोगों के सामने आकर घोटालों की शेखी बघाड़ते हैं। कहावत भी है कि जिसका एक कान कटा हो वह उसे छिपाने की कोशिश करता है लेकिन जिसके दोनों कान कटे हों वह निर्लज्ज की तरह पेश आता है। बघेल भी उसी स्थिति में पहुँच चुका है।
आज तो 'चारा चोर' भी जमानत पर जेल से बाहर आकर गाल बजा रहा है। फिर 'टोंटी चोर' पीछे क्यों रहे।यही बात दारु घोटाला करने वाले 'नटवरलाल घोटालूवाल' का भी है। फिर बंगाल की फूलन, राजस्थान का अजगर, महाराष्ट्र का फिरौतीबाज, झारखंड का कालू चोर तथा कश्मीर और केरल के चरमपंथी पीछे क्यों रहे।आज इन सबों ने अपनी एक अलग ही गुट बना ली है जिसका नाम 'इंडिया' देकर चोर, ठग, घोटालूवाल, फिरौतीबाज या चरमपंथी होते हुए भी ये देश भर में लाउडस्पीकर पर शोर मचा रहे हैं।हमारी कुछ जनता भी ऐसी है कि इनके द्वारा फेंके जानें वाले चंद कागज़ के नोटों को चुनने के लिए लालायित, इनकी चांदी के जूतों की मार सहने को कुछ विद्वान् भी नतमस्तक तैयार हैं । यह जानते हुए भी कि ये राजनैतिक चोर देश को लूटकर खोखला कर रहे हैं, कुछ लोग इनका साथ दे रहे हैं।क्या हमारा प्रजातंत्र इतना कमजोर है कि ये राजनैतिक धोखेबाज आसानी से जनता को ठग ले रही है ?
गत ९ वर्षों से बिना किसी घोटाले के बेदाग़ मोदी सरकार के विरोधी 'दागदार राजनितिक पार्टियों' ने बैंगलोर के १८ जुलाई के सम्मलेन में अपनी एक जमात बनाई है। इस जमात में कुछ दल तो सजायाफ्ता चोर का हैं (जैसे चारा चोर का RJD), कुछ कथित चोर हैं (जैसे टोंटी चोर अखिलेश यादव का SP), कुछ तथाकथित घोटालेबाज हैं (जैसे राहुल गांधी का कांग्रेस, ममता बनर्जी की TMC, शरद पवार का NCP, फारूख अब्दुल्ला की NC, हेमंत सोरेन की JMM), कुछ दल कथित रूप से 'फिरौती और वसूली सरकार' के नाम से मशहूर रहे हैं (जैसे उद्धव ठाकरे व NCP का MVA, लालू यादव का RJD), तो कुछ भारत के विभाजन के समय से ही कट्टरवादी विचारधारा से सम्बंधित रही है जो आज आतंकियों को संरक्षण दे रही है (जैसे केरल की IUML, कश्मीर की पीडीपी) तथा तामिलनाडु और केरल की हिन्दू विरोधी DMK और CPI(M)। यह भारत के प्रजातंत्र के लिए शर्म की बात है कि कुछ राज्यों में जनता उन चोरों के शोर से प्रभावित होकर पुनः उन लुटेरों को गद्दी पर बिठा दिया है ।
जब इन कथित चोरों, घोटालेबाजों, फिरौतीबाजों व जिहादियों की जमातों का सम्मलेन हुआ था तो उनके दो मुख्य एजेंडे थे। पहला तो यह कि चोरों, घोटालेबाजों व फिरौतीबाजों के ऊपर भ्रष्टाचार के चल रहे केंद्रीय जाँच एजेंसियों की तपिश को कैसे रोका जाए ? यह उल्लेखनीय है कि इन घोटालेबाजों की जमात ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपने ऊपर चल रहे जाँच रोकने की गुहार लगाई थी जिसे खारिज कर दिया गया था।अब ये सब साथ मिलकर शोर मचा रहे हैं ताकि देश-विदेशों से इन्हें कुछ सहानुभूति मिल सके।इनका दूसरा एजेंडा तथा मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह २०२४ चुनाव में मोदी सरकार को हराने का है जिससे ये फिर खुले आम देश की संपत्ति को लूट सकें। इनका I-N-D-I-A नामक गुट बनाने के अनेक पहलुओं पर अलग-अलग मत हैं (पढ़ें "I-N-D-I-A of Thugs? Parts-1, 2 & 3”, https://thecounterviews.com/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-1/) I
ये सब अपने पूर्ववर्ती सामूहिक नाम UPA से बचना चाहते थे जो अनेकानेक घोटालों से रक्तरंजित था।PDA नाम घोटालेबाजों को परेशान कर रहा था इसीलिए वे कुछ ऐसा नाम लेने को सोच रहे थे जिससे आम जनता की हेय भावना से बचकर उनकी सहानुभूति ले सके। अब तो इन फरेबियों की जमात बेझिझक अपने आप को I-N-D-I-A बता कर देश के नाम पर ही सही, कुछ सहानुभूति पाने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं । इनका अमुमान है कि देश की साख बचाने के लिए जनता इंडिया गठबंधन को चोर-घोटालेबाज कहने से बचेगा और इनकी जीत सुनिश्चित हो सकेगी। 'I-N-D-I-A इंडिया' नाम रख कर ये भ्रष्टाचारी भारतीयों के संवेदनाओं से ही खेल रहे हैं।
फरेबी मानसिकता का चोला
अब घोटालेबाजों के इस समूह को सरेआम सोशल मिडिया पर INDIA नाम पर ही गालियाँ पड़ रही है। ये तिलमिलाने भी लगे हैं । हाल के दिनों में मुसलमानों का वोट पाने के लिए ये जिस तरह गाजा के "हमास के हवसियों" (read “Hamas Jihadists are Threat to World, Not only to Israel”, https://thecounterviews.com/articles/jihadists-are-threat-to-world-not-only-to-israel/) की तरफदारी कर रहे हैं, इनका अमानवीय और घृणित चरित्र उजागर करता है। इनमें से कुछ ने तो २०२२ में तालिबानियों का भी समर्थन किया था जिन्होंने अफगानिस्तान में सिखों और हिन्दुओं का पूरा नरसंहार कर डाला। मुसलमान वोट पाने के लिए ये PFI तथा SDPI का 'गज़वा-ए-हिन्द' भी झेलने को तैयार हैं जिनका प्रण भारत में हिन्दुओं को समाप्त कर इस्लामी शरिया तंत्र लाना है। इन्हें SIMI, इंडियन मुजाहिद्दीन आदि से भी जोड़ा जा रहा है।
फेक और फेकू गांधी
यह तो सत्य ही है कि नाम का चोला बदलनें से इनकी करनी नहीं बदलती।ये चोर और घोटालेबाज थे, हैं और तब तक रहेंगे जब तक इनका आचरण नहीं बदलता। इनका समूह झूठ और फरेब की पराकाष्ठा है।ये गांधी का नाम चिपकाए लोगों को खुलेआम धोखा देते हैं।अब लोग यह भी पूछने लगे हैं कि फिरोज गेंडी के वंशज गांधी कैसे हो गए ? ये अपने आप को गांधी जी से तुलना करने में भी नहीं हिचकिचाते। मौका मिलने पर ये जनेऊधारी ब्राह्मण हो जाते हैं और दूसरे ही क्षण टोपीधारी मुसलमान भी। इनका दोगला चरित्र अतुलनीय है।
इन तथाकथित चोरों, घोटालेबाजों, फिरौतीबाजों व जिहादियोंकी जमात देश को अपमानित करने तथा बेचने को तैयार रहते हैं। २०२० के शाहीनबाग आंदोलन में इन दलों में से ज्यादा का स्पष्ट हाथ या उनकी सहमति थी। मणिपुर और मेवात के दंगों में भी इनका हाथ माना जाता है। ये किसान आंदोलन में देश विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त थे तथा सेना के अग्निवीर स्कीम में तोड़-फोड़ व आगजनी में भी संलिप्त थे। ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है की मोदी सरकार की छवि बिगाड़ने में ये किसी हद तक गिर सकते हैं। ये बार-बार विदेशी भूमि पर जाकर भारतीय प्रजातंत्र व उसके चारो संस्थागत स्तम्भों पर लांछना भी लगाते हैं।संभव है आगे भी इनकी साजिशें जारी रहे जिससे इनकी नफरती दूकान चलती रहे। गांधीजी तो कभी भी ऐसी देश विरोधी गतिविधि नहीं कर सकते थे परन्तु ये 'फेकू गांधी' देश की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए किसी भी हद तक नीचे गिर सकते हैं। अपने ६० सालों के शासन में इन्होनें भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार किए। इन्हें ‘हिन्दुस्तान के ठग’ के नाम से भी जाना जानें लगा है। इस ‘इंडिया समूह’ के अन्य दल भी भ्रष्टाचार में माहिर हैं और लोगों का मानना है कि उनका परिचय उनके ललाट पर ही लिखा है, भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं।
चोरों के शोर से जनता सजग
लालू, तेजस्वी, अखिलेश, राहुल, सोनियाँ, चिदंबरम, पवार, अब्दुल्ला, उद्धव, केजरी-भगवंत, ममता आदि अनेकानेक नेतागण भ्रष्टाचार से लिप्त हैं और अधिकांश तो अदालतों द्वारा दिए गए जमानत से जेल जानें से अभी तक बचे हैं।सिर्फ इंडिया नाम का चोला पहन कर ये कहाँ तक बचेंगे ? इन चोरों का शोर चरम पर है।ज्यादातर जनता इनके चाल-चरित्र से अवगत हैं।अभी चुनाव इनके सर पर है और वोट जनता केहाथों में।यही समय है जनता इन चोरों को जोर का थप्पड धीरे से मारे। इन राजनैतिक चोरों, घोटालेबाजों, फिरौतीबाजों चरमपंथी व जिहादियोंकी जमातों को यह सबक देना अनिवार्य है कि जनता सजग है और अब इन चोरों की खैर नहीं।