यात्रा की शुरुआत में तो कांग्रेस के नेतागण और "भारत जोड़ो" यात्रा के समाचार सोशल, टीवी मीडिया और समाचार पत्रों के मुखपृष्ठ पर छाए रहे लेकिन अब लोगों में उनके लिए एक ऊब सी आने लगी है। इस यात्रा के ठंढे पड़ने में हाल के दिनों में तीन राज्यों में चल रहे चुनावी गतिविधियाँ भी हैं।साथ ही इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने जैसी हरकतें की है उससे कांग्रेस की बदनीयती और हिन्दू विरोधी मानसिकता फिर सामने आने लगी है। इस यात्रा के दौरान लोगों ने भारत विरोधी या पाकिस्तान समर्थक नारे भी लगाए हैं।याद रहे राहुल गांधी और कन्हैया कुमार दोनों ही "टुकड़े टुकड़े" गैंग के सदस्य हैं। फिर इस यात्रा में भारत की भलाई के लिए क्या अपेक्षा की जा सकती है ? कुछ भी नहीं। यह बात और है कि इस यात्रा से कांग्रेस को तीन राज्यों हिमाचल, गुजरात और दिल्ली में चल रहे चुनावों में भारी नुक्सान होने की आषंका भी है जहाँ राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेता प्रचार नहीं कर सके।
यात्रा के दौरान राहुल गांधी की काफी सारी फूहड़ता भी दिखी है वह चाहे सड़क पर दौड़ लगाने का हो, नाचने का या फिर अपरिचित लड़कियों और महिलाओं को गले लगाने का। इसका श्रेय यात्रा संयोजक को जाता है जो पहले से ही आने वाले पथ में ऐसे विज्ञापनी फोटो शूट के लिए मसाले तैयार रखते हैं चाहे वह हिजाब वाली लड़की हो, अन्यान्य कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं की बहु-बेटीको छाती से लगाना हो, तलवार भाँजना हो या फिर बच्चे का पैसे वाला गुल्लक। ये चित्र कतई पद यात्रा के संजीदगी का संकेत नहीं देतीं।
जनता से जुड़ने की पद यात्राएँ हमेशा अच्छी होती हैं। अगर रास्ते में आने वाली जनता बेरोकटोक यात्रा करने वाले नेता से जुड़ सके और अपनी अपनी बातें रख सके तो उस क्षेत्र के राजनैतिक तथा सामाजिक परिपेक्ष का एहसास होता है।लेकिन अगर चुन- चुन कर सिर्फ उन लोगों को मिलने दिया जाए जो ऐसे यात्रा के संयोजकों को भाता हो तो फिर उसका कोई महत्त्व नहीं वल्कि अपने आप से छल करने जैसा है।आज कांग्रेस इस यात्रा के मार्फ़त एक विज्ञापन जैसा फिल्म बना रही है जिसके निर्माता निर्देशक सोनियाँ-राहुल गांधी और उनके इर्द गिर्द रहने वाले चाटुकार हैं। ऐसे यात्रा से न तो कांग्रेस की भलाई होगी न ही बीजेपी को कोई नुकसान। हाँ ! राहुल गांधी का अपने ही पार्टी में शायद रुतवा बढ़ जाए। जहाँ तक क्षेत्रीय दलों के सहयोग का सवाल है तो कोई नया राजनैतिक दल जो अब तक कांग्रेस का सहयोगी न रहा हो, नहीं जुड़ा है।अतः अगर कांग्रेस पार्टी २०२४ लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी मोर्चा का नेतृत्व करने का सोच रहा हो तो जरूर उसे मायूसी होगी।
कांग्रेस पार्टी द्वारा शुरू किया गया "भारत जोड़ो यात्रा" किसी भी प्रकार भारत जोड़ो नहीं वल्कि 'राहुल गांधी व कांग्रेस बचाओ' जैसा प्रतीत होता है।इसे किसी भी तरह गांधी जी के पदयात्रा से तुलना करना गांधी जी का अपमान होगा जिन्होंने सिर्फ और सिर्फ भारत के लिए निःस्वार्थ अपना आंदोलन किया था न कि अपनी छवि बढ़ाने का; जैसा अभी राहुल गांधी और कांग्रेस कर रही है।