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राहुल गांधी, कांग्रेस की 'पप्पूपंथी' और विपक्षी एकता

राहुल गांधी को सूरत की अदालत द्वारा २ साल की सजा मिलते ही सुप्रीम कोर्ट के ‘लिली थॉमस केस’ में पहले के दिशा निर्देश के अनुसार उसकी लोक सभा की सदस्यता समाप्त हो गयी थी।संसद के सेक्रेटेरिएट द्वारा नोटीफिकेशन जारी करना एक औपचारिकता मात्र था। लेकिन हमारे पप्पूजी और उनकी कांग्रेस पार्टी की पप्पूपंथी देखिए। अपनी बदजुबानी के चलते अदालत का निर्णय तथा सदस्यता रद्द होना; दोनों प्रक्रियाओं को मोदी सरकार के मत्थे मढ़ दिया और भारत की जनता को मूर्ख समझकर ये रोज मीडिया में आकर झूठ बोलते हैं कि यह सब मोदी सरकार के द्वारा प्रजातंत्र को ख़त्म किया जा रहा है I इसमें सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं वल्कि कांग्रेस का पूरा महकमा चीख-चीख कर झूठ को बार-बार इस उम्मीद में बोले जा रहे हैं कि शायद बार-बार बोला गया उनका झूठ जनता को सच लगाने लगे।लेकिन वे शायद भूल रहे हैं कि आजके सोशल मीडिया के युग में आम जनता भी काफी सजग हो चुकी है और उनके झूठ को भली-भाँती समझती है कि यह सब कांग्रेस के पूरे महकमें की पप्पूपंथी है और कुछ नहीं। आज राहुल गांधी एक अलग तरह के आदर्श बन गए हैं :-

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अपने भाई की सदस्यता रद्द होने के उपरान्त प्रियंका गांधी ने कहा उसके परिवार ने भारत के लिए शहादत दी है इसी लिए यह सरकार उन्हें नीचा दिखाने के लिए यह सब कुछ कर रही है लेकिन उसने यह नहीं बताया कि अपने भाई की बदजुबानी की बदौलत आए अदालत के फैसले में मोदी सरकार कहाँ आती है ? उसने यह तो बताया कि विलायत में पढ़े उसके भाई को लोगों ने पप्पू बना दिया है लेकिन फिर यह बताना भूल गयीं कि इसमें मोदी सरकार कहाँ आता है। वह यह समझकर भी अनभिज्ञ बनाने की कोशिश कर रही है कि राहुल गांधी स्वयं अपने गलतबयानी से देश के सामने पप्पू बने रहते हैं। हाल में कुछ लोग समझनें लगे थे कि 'देश जोड़ो' यात्रा के बाद उनकी ‘पप्पू’ वाली छवि समाप्त हो जाएगी और शायद कांग्रेस के सशक्त नेता होकर उभरेंगे।परन्तु ऐसा न हो सका।यात्रा के दौरान ही अपनी तरह-तरह की गतिविधियों तथा गलतबयानी से वे खुद अपने ही पाँवों पर कुठाराघात करते रहे।बचा खुचा जो प्रभाव था वो लन्दन में गलतबयानी से गँवा आए। आज के दिन पप्पू की पप्पूपंथी चरम पर हैऔर काफी संक्रामक भी लगता है।

राहुल गांधी के झूठ और कांग्रेस की पप्पूपंथी से लगभग पूरा विपक्ष संक्रमित लगता है। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष जानता और भली-भाँती समझता भी है कि राहुल को सजा अदालत से संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हुआ है लेकिन फिर भी उनकी पप्पूपंथी की बीमारी उन्हें यह मानने से इंकार करवा रही है। पहले दिन वे सत्याग्रह पर बैठे 'झूठाग्रह या दुराग्रह' कर रहे थे कि देश और जनता अदालत के उस फैसले को मोदी और उसकी सरकार का फैसला माने। लेकिन जनता उनका झूठ भली भाँति समझ रही है। कांग्रेस अपने सहयोगी विपक्षी दलों के साथ पुरजोड़ कोशिश कर रही है कि राहुल की अयोग्यता कोअपने पुरखों जैसी शहादत का एक नया प्रारूप मिल सके जिसे बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा "नाखून कटाकर शहीद बनाने की कोशिश" है। अगले दिन उन सबों का काले कपडे में संसद जाना और सडकों पर प्रदर्शन करना उनकी काली मानसिकता का परिचायक बन रही थी। इन सबों के बावजूद भी यह तो तथ्य ही है कि अबतक कांग्रेस से दूरी बनाए रखने वाले ‘ममता और खेजरीवाल’ भी शहद सूंघ उस पर बैठने आ गए हैं। आखिर क्यों? वे जानते हैं कि राहुल गांधी कम से कम आठ सालों के लिए किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ सकते और विपक्षी एकता की PM की संभावित कुर्सी खाली है। अतः क्षद्म एकता ही दिखाकर सही, अपना दावा ठोकनें के लिए मख्खी शहद पर भनभनाने आ ही गयी।

राहुल गांधी और कांग्रेस की नाकामी छुपाने का प्रयास देखिए।अपनी बदजुबानी के चलते सजायाफ्ता और बर्खास्त राहुलगांधी और कांग्रेस कभी मोदी को, कभी उनकी सरकार को, तो कभी अडानी और अम्बानी को अपनी आंदोलन का कारण बताते हैं। वे सब जानते हैं कि उनके पास कोई कारण नहीं है फिर भी दिन-रात झूठ फैलाने और परोसनें की कोशिश में लगे हैं जिसे अभी तक तो जनता नकार रही है। पिछले ही दिन जब एक पत्रकार ने अडानी के मामले पर सवाल पूछा तो उसे सबों के सामने ही दुत्कार दिया।अगर पत्रकारों में एकता होती तो वे शायद राहुल गांधी के सभी आने वाली प्रेस कांफ्रेंस का वहिष्कार करती। कांग्रेस को अब भी उम्मीद है कि आने वाली दिनों में शायद लोग उनकी झूठ को सच मानने लगे।

बर्खास्त हुए राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस के तरह तरह के नाटक को, चाहे वह प्रजातंत्र पर आघात दिखाने का प्रयास हो, सत्याग्रह हो या काला दिवस; सब देश और जनता को भ्रमित करने का प्रयास है।अब विपक्ष कांग्रेस के प्रबल दावेदारराहुलगांधी के चुनावी मैदान से लुप्त हो जानें के बाद अपनी-अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंकनें जुट गयी है। अब तो ममता, लालू और खेजड़ीवाल के मन में भी संयुक्त विपक्षी एकता के रूप में भावी प्रधानमंत्री बनाने की सुगबुगाहट हो रही होगी और इसीलिए शहद के आसपास भिनभिना रहे हैं। अब सारे भ्रष्टाचारियों, चोरों, धोखेबाजों, घोटालेबाजों आदि के एक साथ आ जानें से देश में एक नया ही संकट आने का अंदेशा है।

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