नेताओं के भ्रष्टाचार: वाशिंग मशीन की सफाई चाहिए या ED की मार ?
आज मोदी सरकार की विपक्षी पार्टियाँ कई वर्षों से देश की स्वतंत्र जाँच संगठनों से त्रस्त है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का जाँच क्यों चल रहा है ? विचित्र बात है कि यह सवाल भ्रष्टाचार में लिप्त लगभग सभी राजनेता कर रहे हैं; वे चाहे ‘चारा चोर’ हो या ‘टोटी चोर’, ‘दारु घोटालेबाज’ हो या ‘नेशनल हेराल्ड’, ‘शिक्षक-भर्ती घोटालेबाज’ हो या ‘चिटफंड’ I बहुमुखी भ्रष्टाचार में लिप्त हमारे नेतागण समझते रहे हैं कि चोरी और घोटालेबाजी उनका जन्म-सिद्ध अधिकार है I वे सब यह भी जानते और मानते हैं कि चूँकि विगत में विरले ही चोरी या घोटालेबाजी के लिए नेताओं को जेल हुआ है, उन्हें भी अपनी-अपनी चोरी और घोटालेबाजी के लिए कोई जेल में नहीं डाल सकता I हमारे चारा चोर जी इसके ‘पहले अपवादों’ में से थे और फिर १९९९ में बीजेपी सरकार आने के बाद एक ऐसा सिलसिला चल पड़ा कि धीरे-धीरे कई नेता जेल की सलाखों के पीछे चलते चले गए वे चाहे जयललिता हो, ए राजा, चिदंबरम या कई और... जिसकी सूचि नीचे तालिका में दी गयी है :-
Some of the high profile ministers jailed for corruptions
कुछ राजनैतिक पार्टी तो जन्मजात ही घोटालेबाज प्रतीत होता है और सवाल करने पर 'दोनों कान कटे चोर' की तरह उलटकर सवाल पूछ बैठता है कि पहले उसकी जाँच क्यों हो रही, पहले उसे जेल क्यों ? अपनी पार्टी बदल चुके कुछ नेता जो साफ़ सुथरी पार्टी में जा चुके हैं, अपनी अपनी भ्रष्ट आचरण छोड़ चुके या कम कर दिया है, जाँच एजेंसियों की तपिश कम हो जानें से बेहतर महसूस कर रहे हैं I बाँकी चोरों तथा भ्रष्ट नेताओं को बड़ी व्यथा है कि पार्टी बदल चुके भ्रष्ट नेताओं पर, जो फिलहाल भ्रष्टाचार छोड़ चुके हैं, पहले कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है I यह सवाल इतनी बार टी वी मीडिया में पूछा जा चुका है कि हर चोर या घोटालेबाज सत्ता पक्ष से सबसे पहले यही सवाल करता है, “मेरी जाँच पहले क्यों” ? पार्टी बदल चुके नेता गण किस वाशिंग मशीन में धुल चुके हैं जो उनपर कार्यवाही नहीं हो रही ?
अब चूँकि लगभग सारे भ्रष्ट विपक्षी नेता सवाल उठा रहे हैं "पहले मैं क्यों", तो इसका जवाब तो किसी के भी पास नहीं होगा I चारा चोर ने भी जेल जानें से पहले पूछा होगा "पहले मैं क्यों" ? जेल जानें वाला हर चोर भविष्य में भी पूछ सकता है, "पहले मैं क्यों" ? इसका तो कोई उत्तर नहीं मिलने वाला है, न अभी और न ही भविष्य में I फिर भ्रष्ट विपक्षी नेता करे भी तो क्या ?
हाँ ! विपक्ष की एक बात अवश्य तर्क संगत है I माथे पर लिखा भ्रष्टाचार का दाग कैसे छूटे ? बीजेपी के वाशिंग मशीन से या ED के डंडे से ? किम्वदन्ति है कि पार्था चटर्जी के काले धन के ढेर पकडे जानें के बाद जब घमंडिया गठबंधन की पहली बैठक में ममता लल्लू के घर उनके पाँव छूनें झुकी थी तो लल्लू ने आशीर्वाद के रूप में एक सीख दिया था “चोरी करो, फूलो-फलो; लेकिन पकड़े नहीं जाना। ED बहुत डंडे करती है”. (पढ़ें “I-N-D-I-A of Thugs, part-2" https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-2/) I तो यह बात बिलकुल सत्य है कि सारे भ्रष्ट नेता जानती है कि ED बहुत डंडे करती है I इसका डर तो घमंडिया गठबंधन को सता ही रहा होगा I तभी तो अलग-अलग विचारधाराओं वाले बेमेल राजनितिक पार्टी एक बिस्तर पर आए हैं कि सब मिलकर एक आवाज में ED से बचने के लिए शोर मचा सकें (पढ़ें "चोर मचाए शोर", https://thecounterviews.in/articles/chors-yelling-loud/) I
बीजेपी का वाशिंग मशीन एक सुरक्षित रास्ता है लेकिन इसके लिए उस व्यक्ति की सख्शियत हेमंता शर्मा या अजित पवार जैसे होनी चाहिए I उस वाशिंग मशीन में सिर्फ हलके दाग धुलते हैं I आज के जो रावण के किरदार वाले लोग हैं उनके माथे के दाग तो शायद जन्म जन्मांतर भी न छूटें I ऐसे लोगों से तो आम व्यक्ति भी शायद पूछ बैठे "अब तेरा क्या होगा रे कालिया?" लल्लू यादव को चारा चोरी की सजा में जेल में होना चाहिए था लेकिन कानूनी दाँव पेंच लगाकर वह कानून की आँखों में धूल झोंक, ठगबंधन की राजनीति कर रहा है I भारत का जनमानस उस दिन की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है जब भ्रष्ट नेताओं का स्थान जेल की सलाखों के पीछे सुनिश्चित हो; चाहे वह ब्रिटिश महारानी से ज्यादा अमीर सोनियां गाँधी हो या सारे कानूनी दावपेंच जानने वाला चिदम्वरम I