Ignoring Vedic culture

'चल चक्रम'

पश्चिमी देशों ने अपनी स्वच्छंदता ,उन्मुक्तता एवं तड़क-भड़क के कारण प्रायः ही एशियाई लोगों को खास कर मध्य एशिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है।लेकिन समयांतराल में ईरान, इराक, सीरिया, लीबिया,तुर्क आदि अन्य देशों में अंदरूनी कलह से असुरक्षित लोगों के पलायन के कारण शरणार्थीयों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो गयी है। ये शरणार्थी उन देशों के लिए मुसीबत का जंजाल बन कर आ गए हैं। खास कर मुस्लिम जो हमेशा अपने एक ही ध्येय के साथ रहते हैं कि उन्हें समूची पृथ्वी पर इस्लाम और सरिया कानून का विस्तार करना है किसी भी गणतांत्रिक और सेक्युलर देश के लिए गले के अंदर फँसे हुए जानलेवा हड्डी की तरह हो गए हैं।

एंजेला मर्केल ने जब सिरियन रिफ्यूजियों को योरोपीय देशों में शरण देने का फैसला लिया तो रिफ्यूजियों के साथ आतंकियों ने भी मौका का फायदा उठाया है। शरणार्थियों के साथ आतंकी भी घुसपैठ करने की जी तोड़ कोशिश में लग गए,परिणाम स्वरूप सभी योरोपीय देशों में भी कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवादियों का उत्पात आरंभ हो गया है। ऐसी स्थिति में लगभग सभी योरोपीय देश के नागरिक इक्के-दुक्के अराजकता की आग में जल रहे हैं। आँख मूँद कर योरोपीय संगठन की सारी बातें न स्वीकार करने के कारण इंग्लैंड की ब्रेकज़िट जैसी समस्या अपने आप में समस्या बन कर रह गयी है।यहाँ की गिरती अर्थव्यवस्था, राजनीतिक अस्थिरता, कोविड की समस्या,साम्प्रदायिक दंगों के साथ दुनियाँ का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रही है।

प्रधानमंत्री बने रहने की समस्या जो अभी तक किसी अन्य देश में इस तरह से नहीं दिखाई दी थी , यहाँ की सरकार में 'आये राम,गए राम' की तरह हो गया है। चार प्रधानमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया है। इन चालयमान राजनीतिक वातावरण के बीच 'ऋषि सुनक' ऐसे सुयोग्य युवा हिन्दू का इंग्लैंड के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेना बहुतों के दिल को गहराई तक जला गया है। भारत में पाकिस्तानी एजेंट की तरह खासकर मुल्लों के तलवेचट्टू, वामपंथी हिन्दू-विरोधी और छद्मवेशी धर्म निरपेक्ष नेताओं के दिल से आहें निकलने लगी हैं। इन्हें मोदी विरोधी, हिन्दुविरोधी,हिंदुस्तान-विरोधी दुष्प्रचार फैलाने का ज्वलंत माद्दा मिल गया। निरंतर जहर उगलने वाले जहरीले राजनेताओं के ऊल-जुलूल टिटियान (ट्वीट) अत्यंत शर्मनाक हैं। कोंग्रेस के चिदंबरम और शशि थुरूर ने मर्यादा की सीमा का उलंघन कर साबित कर दिया है कि उन्हें देश या देश के हिन्दुओं से नफरत तो है ही हिन्दुओं को ,मोदीजी को नीचा दिखाना ही उनका मकसद है।

इन्हें ये बोलने की हिम्मत तो नहीं हुई कि क्या किसी इस्लामिक देश में कोई हिन्दू प्रधानमंत्री बन सकता है? या कश्मीर में हिन्दू चीफमिनिस्टर क्यों नहीं रहा है? या हिन्दुओं को प्रताड़ित कर बेघर करने के जिम्मेदार वहाँ के अब्दुल्ला और मुफ्ती अभी तक स्वतंत्र कैसे है? कश्मीर में मारे गए हिन्दुओं के प्रति श्रद्धांजलि के लिए बना'कश्मीर फ़ाइल से इन्हें तकलीफ क्यों है; परन्तु मुस्लिम वोट के लिए बेशर्मी से मुस्लिम पी.एम.की वकालत करने लगे हैं। ऐसे भी भारत के संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति 'पी एम' या राष्ट्रपति भी बन सकता है और मुस्लिम ऊँचे ओहदे पर रहे भी हैं; परन्तु क्या इसी तरह किसी मुस्लिम बाहुल्य देश में किसी ग़ैरइस्लामियों के लिए संभव है? नहीं है! ऐसा इसलिए क्यों कि इस्लामिक देशों में या किसी गणतांत्रिक देशों में भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों का जीवन जहन्नुम ही होता है। इंग्लैंड भी इन उन्मादी कट्टरपंथी दंगाई जिहादियों का शिकार है। उदारता वादी सेक्युलरिज़्म तो दूर की बात मानवाधिकार वाले भी यहाँ गूँगे बने हुए होते हैं। दिन रात आतंकी माहौल में अत्याचारों को झेलते हुए अल्पसंख्यक समुदाय चाहे हिन्दू हो या ईसाई अपनी जिंदगी के दिन गिनते होते हैं। उन्हीं आतंकी मुस्लिम समुदाय को हमारे वामपंथी,हिन्दुओं को लूटने वाले,झूठे सेक्युलर नेता सिर आँखों पर बिठा हिंदुस्तान में हिंदुओं की जिंदगी को भी असुरक्षित बना, अपनी जेबें भर रहे हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता होगा जिस दिन किसी हिन्दू लड़की या लड़के को किसी न किसी बहाने वामपंथी प्रशासित राज्यों में अपमानित कर मारा न गया हो।

चिदम्बरम के वक्तव्य को पढ़ एक उड़ती खबर की चर्चा आवश्यक है। चिदंबरम के नटराज मंदिर में चिदंबरम ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहे हैं, उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा कर मंदिरों को लूटने के ध्येय से जबर्दस्ती जेल में कैद किया जा रहा। ब्राह्मणों के घर में घुस कर डी एम के गुण्डे ब्राह्मणों को धमका रहे हैं, पीट रहे हैं। झूठे मुकदमे दायर कर वामपंथी सरकार वहाँ के ब्राह्मणों को जेल में डाल रही है।प्रदर्शन कारियों को बुरी तरह पीटा जा रहा है। ये सारे दमनकारी कार्य डी एम के प्रशासनिक पदों पर स्थित पुलिस वालों तथा उनके पालित द्वारा गुण्डों द्वारा करवाया जा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के दीक्षितों के दीक्षांत कार्य को समाज के भले के लिए बता कर उसमें राज्य को हस्तक्षेप करने से मना किया है। नटराज मंदिर को दीक्षितरों का बताया है, अतः कानूनी तौर से असमर्थ होने के बाद 'डी एम के' ने मानवाधिकार का उलंघन कर गुंडागर्दी आरम्भ कर दिया है। काश ! हमारे चिदंबरम साहब का ध्यान इस ओर जा पाता! इंग्लैंड के में ऋषि सुनक को चुने जाने का सकारात्मक रुख अख्तियार कर कुछ अपने देश के ब्राह्मणों का भला करना चाहते ! अपने इन नटराज मंदिर के प्रताड़ित दीक्षितरों चिदंबरम- ब्राह्मणों को डी एम के सरकार के गुण्डों से सुरक्षित कर न्याय दिलवाने के लिए आगे आते तो उनके प्रति जनता के हृदय में थोड़ी सम्मान की भावना जगती ! परन्तु ये तो सत्ता और पैसे के लालच में अपने स्वजातीय धर्म को भी भूल गए हैं। आश्चर्यजनक है कि इसकी चर्चा या ये समाचार किसी भी प्रसारण माध्यम पर नहीं दिखाया गया है। इससे तो यही साबित होता है कि 'डी एम के' सरकार में अराजकतावादी गुण्डों एवं फासिस्टों की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि ऐसी अराजकता पूर्ण घटनाओं को प्रसारित भी नहीं होने दिया जा रहा है।

हिन्दुओं में अगर ब्राह्मणों को श्रेष्ठतम माना गया है तो इसके पीछे ब्राह्मणों की राष्ट्र, जन एवं भूमि के प्रति उनके समर्पण की भावना है। ब्राह्मणों ने निर्लिप्त भावना से कर्मकांड द्वारा पत्येक जाति एवं समुदाय को एक दूसरे से जोड़ कर रखा है। बिना तथ्यों को समझे सिर्फ जलन एवं हीनता की भावना को ढँकने के लिए विदेशी एवं विदेशी चाटुकारों ने समाज को तोड़ने के हेतु ब्राह्मणों को अपमानित कर, उनके प्रति विद्वेष पैदा कर, अन्य जातियों को भ्रम में डाल, उन्हें विदेशी धर्म की ओर झुकाने का प्रयास किया है। अपना उल्लू सीधा करने के लिए ब्राह्मण-विरोधी विभिन्न कहानियाँ गढ़ ली गयी हैं। इन धूर्त नेताओं एवं वामपंथियों के चक्कर में पड़ कर गरीब एवं निपुण कर्मकार अपने पारंपरिक व्यवसायों से भी दूर हो आरक्षण जनित सरकारी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। रोजी-रोटी का आधार छिन जाने कारण ये असंतुष्ट हैं। इनकी पारंपरिक व्यवसायिक कुशलता के बाजारों पर भी घुसपैठिये मुसलमानों का कब्जा हो रहा है जो इन्हें दिखाई ही नहीं दे रहा है। व्यावसायिक कौशल की जड़ों से उखड़ने के कारण व्यवसाय विहीन हिन्दुओं की मजबूरी इस कदर बढ़ गयी है कि थोड़े से लोभ और आर्थिक मदद के तहत ये धर्मरिवर्तन परिवर्तन के लिए बाध्य हो रहे हैं।

आज अगर कुछ ब्राह्मण एवं हिन्दू इन प्रताड़ित धर्मपरिवर्तन करने वाले मजबूरों को जगाने और उन्हें घर वापसी कराने के लिए प्रयत्नशील हैं तो कहीं मिशनरी गुण्डे तो कहीं मुल्ले इस कार्य में संलग्न हिन्दुओं को मार रहे हैं, जिसे वहाँ के स्थानीय देश-विरोधी तथा हिन्दू-विरोधी नेताओं का सहयोग मिल रहा है।

यद्यपि दुःखद है परन्तु सत्य है कि अन्य धर्मों के अंतर्गत निहित बुराइयों एवं छिछलेपन के कारण उनकी हीनग्रस्तता ही उनमें ब्राह्मणों एवं सनातनी हिन्दू धर्म के प्रति जलन की भावना को पैदा करती है। शायद यही कारण है कि समाज के पुनरुत्थान में लगे ब्राह्मणों को वैरी मान चिदंबरम ब्राह्मणों द्वारा किये जाने वाले समाज हितैषी कार्य को ख़त्म करने एवं ब्राह्मणों को प्रताड़ित करने में ये असुर समर्थक नेता लगे हुए हैं। केंद्र सरकार को ब्राह्मणों एवं वैदिक शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित कर हिन्दू विरोधी असुर गुण्डों के लिए सजा का प्रावधान निश्चित कर, राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी करने चाहिए ताकि हिंदुस्तान में तो हिन्दू एवं वैदिक शिक्षण संस्थान सुरक्षित रह सके! चिदम्बरम नटराज मंदिर में ब्राह्मणों के प्रति अमानवीय प्रताड़ना की घटना चिन्ता जनक है।

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