
इस्लामी पापी राक्षसों से पुराणों में वर्णित राक्षस अच्छे थे
पुराणों के अनुसार भगवान ने स्वर्ग सी सुंदर दुनियाँ बनाई। सूर्य -चाँद, तारे, पृथ्वी पर पेड़ - पौधे जीव जंतु न जाने कितनी चीजें वरदान स्वरूप प्रदान कर दिए। समूची दुनियाँ अपनी उन्नति आत्मा की उन्नति के साथ- साथ ज्ञान, कला, साहित्य में खोए हुए, ईश्वर के स्मरण में लगे हुए जीवन व्यतीत कर रहे थे कि रेगिस्तान में एक पापी राक्षस पैदा हो गया। ऐसा क्रूर, बदचरित्र और नमक हराम कि शरणदाता मालिक को मार कर उसकी पत्नी को अपनी वासना पूर्ति के लिए गुलाम बना दिया। उसके बाद भी अपनी क्रूरता का परिचय देते हुए कितनी ही औरतें यहाँ तक कि अपनी पुत्री को भी अपनी हवस का शिकार बनाने से नहीं चूका। अपने कुकर्मों को जायज ठहराने के लिए उसने कुछ मतों को संयोजित कर उसे अल्लाह का फरमान बताया आज उन्हीं पैगामों से प्रभावित होकर अनेकों पापी इस्लामिक राक्षसों ने स्वर्ग सी सुन्दर धरती के आधिकांश भाग को नर्क में परिवर्तित कर दिया है ।ये आज के समय में भी उन्हीं घिनौने पापों के रास्तों पर चलते हुए पाप कृत्यों को ही क्रियान्वित कर रहे हैं।
यूँ तो पुराणों में राक्षसों का वर्णन है परंतु आज के इस्लामिक राक्षसों के कृत्यों को देखते हुए वे पुराणों में वर्णित राक्षस भी सभ्य ही दिखाई देते हैं। क्योंकि उन राक्षसों की भी कुछ समाजिक मान्यताएं थी। स्त्रियाँ सुशिक्षित, सुरक्षित सम्मानित थीं। शत्रु पक्ष के स्त्रियों का भी सम्मान किया जाता था। परन्तु आज के घिनौने इस्लामिक जिहादी मानसिकता वाले और उसे समर्थन देने वाले, आतंकियों, पत्थरबाजों, लव जिहाद गैंग, ग्रुमिंग गैंग, पागल दिमाग वाले गैंग के अलावे फौजियों, विद्रोहियों, नर्सों, डॉक्टरों या अन्य किसी भी क्षेत्र में कार्यरत ये पापी इस्लामिक राक्षस उन पौराणिक राक्षसों से भी ज्यादा घिनौने और पापी हैं। पाप के रास्तों पर चलना, पाप ही फैलाना, बर्बरता, लूटपाट, हत्या, आगजनी बलात्कार आदि का समर्थन करते हुए उम्माह के तहत ,इस्लामिक पापियों को मासूम, बेगुनाह कहना उन्हें कानून की गिरफ्त से या सजा से बचाने की कोशिश करना, ऐसा इस्लाम है जिसके कारण दुनियाँ नर्क बनती जा रही है।
हिंदुस्तान में इसका प्रभाव कुछ ज्यादा हो रहा है, जहाँ वाक्फ बोर्ड हिन्दुओं के जमीन हड़प रही है। जिहादी मुस्लिम किसी न किसी बहाने भीड़ इकट्ठे कर हिन्दू युवक - युवतियों की अत्यंत दरिंदगी के साथ हत्या कर रहे हैं। दरिंदे घुसपैठिये इस्लाम आतंकी हिन्दुओं की बस्तियाँ, मोहल्लों को निशाना बना कर हिन्दुओं के घरों दुकानों को चिन्हित कर जलाते जा रहे हैं। प्रशासन तंत्र और न्यायिक प्रणाली कहीं असमर्थ तो कहीं दोगले मुस्लिम वोट के लोभी सांसद, विधायक, एवं पार्षदों के कारण आँखें बंद किए बैठी है। बहुत ज्यादा प्रदर्शन या विरोध किए जाने पर इस्लामिक कुकर्मों पर लीपा - पोती करने के लिए कुछ लोगों को जेल में डाला तो जाता है परंतु हिन्दुओं के नुकसान की भरपाई किए बिना ही उन अपराधियों को कभी जमानत पर या कभी मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है। पत्थरबाजी, आगजनी, हिंदू सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार का कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
भारत का दुःखद विभाजन के बाद पाकिस्तान और बंगाल में प्रशासन तंत्र द्वारा हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है परन्तु उसके विरुद्ध में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार वाले भी चुप्पी साधे हैं। हिन्दुओं का इन देशों में समूहों में मारा जा रहा है। वहाँ की सरकार, भारत सरकार, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस्लामिक देशों के हिन्दुओं की प्रताड़ना पर मौन साधे हुए हैं। समस्या यह भी है कि हिन्दुओं के लिए बनाए गए हिंदुस्तान को भी हिन्दू राष्ट घोषित नहीं किए जाने के कारण, यहाँ भी नाम के अल्पसंख्यक (जो आज बहुसंख्यक हो चुके हैं) मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं की प्रताड़ना जारी है और भारत सरकार एवं स्थानीय प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही है या करना नहीं चाहती है।
विडम्बना यह भी है कि हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता को समर्थन देने वाले दोगले हिंदू, वकीलों, जजों और नेताओं की भी आत्म इतनी घिनौनी और मृतप्राय हो चुकी है कि उन्हें हिन्दुओं के दुःख - दर्द , उनकी जमीन का वक्फ बोर्ड द्वारा हड़पा जाना, हिन्दू के बेटे - बेटियों की दर्दनाक मौतें, उनकी जिंदगी भर की संचित संपत्तियों का मुसलमानों एवं बंग्लादेशी घुसपैठियों की भीड़ द्वारा जलाया जाना दिखाई नहीं देता है। अगर मुसलमानों के कारण हिन्दू हिंदुस्तान में भी अपने धार्मिक अनुष्ठानों, त्योहारों, रीति रिवाजों का पालन करने में इस्लामिक कट्टर पंथियों, पत्थरबाजों से प्रताड़ित होते हैं या अपने घरों, व्यापारों, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा से वंचित रह जाते हैं तो यह देश किसी भी प्रकार से जनतांत्रिक नहीं रह जाता है।
धर्मनिरपेक्षता की आड़ में हिंदुस्तान में अदृश्य मुल्ला-तंत्र विकसित हो रहा है जिसमें गैर इस्लामिक समाज का कोई भी व्यक्ति, परिवार या औरत सुरक्षित नहीं है न ही उनके जीवन यापन के साधन या संपत्ति सुरक्षित हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार वे दोगले नेता, प्रशासनतंत्र, वकील, और जज हैं जो मुस्लिम वोटों, मुस्लिम नोटों के लोभ में स्वयं को कट्टरवादी मुसलमानों के गुलाम बना चुके हैं एवं जिहादियों, घुसपैठियों एवं कट्टरवादी पाप से परिपूर्ण मुल्ला-तंत्र को बढ़ावा दे रहे हैं। इन्हें, इनके कर्मों को देख कर लगता है कि पुराणों में वर्णित राक्षस इन इस्लामिक असभ्य राक्षसों की तुलना में काफी सभ्य, सदाचारी और अच्छे थे।