सम्पादकीय: साजिश सक्रिय है
चार जून के चुनावी परिणाम के साथ ही इंडिं ठगबंधन के समूह अपने मालिक-मालकिन के झूठ-फरेब-जालसाजी के प्रायोगिक कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में लग गए हैं। सत्ता में रहो तो अनेकों प्रकार के दाव-पेंच से जनता को लूटो, सत्ता से बाहर रहो तो उत्पात मचाने का कार्यक्रम जारी रख सारा ठीकरा वर्तमान सरकार पर फोड़ो, देश की संपत्ति को बर्बाद करो, देश के दुश्मनों से मदद ले देश की जनता को लूटो।
साम-दाम-दण्ड-भेद का प्रयोग कर इंडी ठगबंधन किसी भी प्रकार से मोदी के नेतृत्व द्वारा संचालित एन डी ए की सरकार को गिराने की जी तोड़ कोशिश में लग गई है। उन्हें बदनाम करने के लिए कई हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं। प्रत्यक्ष प्रमाण न होने के बावजूद भी वैष्णव देवी के तीर्थ यात्रियों पर आतंकी हमला, कई जगहों पर ट्रेन हादसा, कई राज्यों में हिंसा की घटनाएं, पुलों का टूटना आदि अप्रत्याशित नहीं प्रायोजित प्रतीत होते हैं। यूँ भी कई राज्यों में खास कर इंडिं गाँठ वालों द्वारा प्रशशित सरकार में बीजेपी के कार्य कर्ता की हत्या, बंगाल के कई मोहल्लों में टी एम सी के आतंकी गुण्डों द्वारा बड़े स्तर पर धमकियां, हत्याएं, उत्पात, आगजनी, महिला की दिन - दहाड़े सड़क पर गला रेतना शंकालु हृदय में
ऐसे विचार उत्पन्न कर ही देते हैं।
आज देश के लगभग आठ राज्यों में हिन्दुओं की जनसंख्या उनके मौलिक अधिकार, अभिव्यक्ति की आजादी, पूजा-पाठ की पद्धतियों तथा पूजा स्थलों को स्थानीय राज्य सरकारों द्वारा नष्ट, बाधित या प्रतिबंधित किया जा रहा है। मुस्लिमों एवम घुसपैठिए मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या के कारण हिंदुओं की सुरक्षा अनेक राज्य में चिंता का विषय है। केन्द्र सरकार की हिन्दुओं की सुरक्षा के प्रति उदासीनता या अवैध मुस्लिम घुसपैठियों के लिए सख्त कानून न बनाना भी अनेक राज्यों में, खास कर जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, हिन्दुओं की असुरक्षा का कारण है।
कोंग्रेस या अन्य दलों के हिन्दू नेताओं को अधीर रंजन चौधरी की चुनावी हार से तथा अनेक कोंग्रेसी हिन्दू नेताओं की हत्या से जो मुस्लिम गुर्गों के द्वारा ही किये गए हैं, कुछ सबक लेना चाहिए। परन्तु अराजकता से परिपूर्ण एक ही परिवार की चाटुकरिता में लगे रहने वाले भ्रष्टाचारी नेताओं में मानसिक गुलामी उनके रक्त में गहरे समाई हुई है जिसके कारण ये विरोध करना तो दूर की बात सच भी नहीं बोल पाते हैं। कोंग्रेस हिन्दुओं के वोट एवँ धन से जीत हासिल कर, ईसाई स्त्री द्वारा निर्देशित मुस्लिमों के हित में कार्य करने वाली ऐसी पार्टी है जो अपने ही नेताओं की पुत्रियों एवं घरों की रक्षा जिहादी मुस्लिम आतंकी गुण्डों से नहीं कर पाती है। परन्तु अन्धों को रास्ता दिखाया जा सकता है, आँख रहने पर भी दिमाग से अन्धों को कोई भी कड़वा सच नहीं दिखता है और न ही दिखाया जा सकता है।
हाल में नागपुर के बारूद फैक्ट्री में विस्फोट, कई राज्यों के साथ ही दिल्ली की बाढ़, एयरपोर्ट के छत का गिरना, कर्नाटक में तेल, गैस, पेट्रोल के अलावे अनेक क्षेत्रों में टैक्स बढ़ती के साथ नीट परीक्षा के प्रश्न पत्र के रिसाव की चर्चा जोरों पर है।मजे की बात यह है कि कर्नाटक में ईंधन के दाम के विरोध में कोई प्रदर्शन नहीं हो रहा है। सारे कोंग्रेसी चुप बैठे हैं। मुफ्तखोरों को खिलाने के लिए मध्यमवर्गीय करदाताओं को निरंतर पीसा जा रहा है, लेकिन कोंग्रेसी राज है तो मँहगाई पर हंगामा तो दूर, चर्चा करना भी गुनाह है। प्रश्न-पत्रों के रिसाव की घटना भी कोई नयी बात नहीं है, कोंग्रेस शाशन काल वाले राज्यों में ये आम बातें थी, कभी हंगामा, प्रदर्शन, तोड़-फोड़ की घटना सामने नहीं आई लेकिन आज बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के साथ जब दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है तब भी विपक्ष द्वारा हंगामा करना-करवाना बन्द नहीं हो रहा है। सोचने वाली बात है कि एयरपोर्ट की छत के गिरने की घटना पर कोई डिबेट या हंगामा नहीं हो रहा है क्यों कि रख-रखाव की जिम्मेदारी वाड्रा के भागीदारी वाली कंपनी की है।
अनेक कारनामों पर निगाह डालें तो लगता है कि मोदीविरोधी पार्टियाँ एकजुटता के साथ भ्रष्टाचारियों को बचाओ अभियान में लगी हुई, नए-नए हथकण्डों को अपनाते हुए, देश का नुकसान करने-करवाने में लगी हुई है। ये अपने कुकर्मों का ठीकरा पी. एम. मोदी के ऊपर फोड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं ऐसा करते हुए ये स्वयँ के ही काले करतूतों को जनता के सामने लाते रहते हैं। एक ओर जहाँ मोदीविरोधी भ्रष्टाचारियों के हृदय की जलन एवं उत्पाती हरकतें बढ़ती जा रही है वहीं देश-विदेश में देश हित के प्रति जागरूक, कर्तव्य परायण मोदीजी की गरिमा, सम्मान, ईमानदारी का उज्ज्वल चरित्र प्रकाशित होता जा रहा है। ऐसे स्वयँ एवं साधारण लोगों की भावाभिव्यक्ति के लिये बिहारी का एक दोहा है"
"या अनुरागी चित्त की गति समुझैय नहिं कोई,
ज्यों-ज्यों बूड़ै श्यामरंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय।"