सम्पादकीय: युद्धरत विश्व का कठिनतम काल
संसार आज तृतीय विश्व युद्ध के कगार पर खड़ा है जिसमें कहीं तो दो देशों के बीच युद्ध चल रहा है और कहीं कहीं क्रमवद्ध तरीके से नरसंहार चलाया जा रहा है I अगर आज की बात करें तो इजराइल पर ग़ज़ा स्थित हमास के ७ ऑक्टूबर २०२३ के अमानवीय जिहादी नरसंहार के बदलें में पिछले १० महीनें से ग़ज़ा में भयंकर चल रहा युद्ध, रूस-उक्रैन युद्ध, सीरिया पर अमरीका, रूस और अन्य देशों की पिछले लगभग १० सालों से चल रहा युद्ध, सूडान का गृहयुद्ध जिसमें वहाँ के तीन जातियों का नरसंहार कर दिया गया है, शामिल हैं I
इजराइल के ग़ज़ा युद्ध में ३०-३१ जुलाई के इजराइल द्वारा हमास पर घात लगाकर किए हमले के बाद लेबनान और ईरान के भी कूदने की पूरी संभावना है I इसके अलावे अफगानिस्तान में तालिबान, कुर्दिस्तान में तुर्की, यमन में हूती तथा नाइजीरिया, सोमालिया व साहेल क्षेत्रों में अनेकों आतंकवादी समूहों का लगातार आक्रमण चल रहा है I ज्ञात हो कि हाल के वर्षों में ही अफगानिस्तान में अमरीका और यमन में सऊदी का आक्रमण ख़त्म हुआ है I उधर दूसरी तरफ रूस पर ISIS और दाग़िस्तानी आतंकियों का और ताइवान पर चीन का आतंक मड़रा रहा है I इन सबों में से इस्लामी आतंकियों का लगभग ९०% हाथ है जिसपर संयुक्त राष्ट्र आँखें मूंदे बैठा है I हाल के वर्षों में ही अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सिखों और हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार हो चुका है जिसपर सुरक्षा परिषद् ने उफ़ तक न की I
रूस उक्रैन युद्ध तो उस स्तर पर है कि मानो उक्रैन पर अब या तब अटॉमिक हमला हो जाए I और इन सबों के बीच एक ओर तो संयुक्त राष्ट्र निष्क्रिय बना बैठा है वहीं दूसरी ओर ICC और ICJ अपनी अपनी विश्वसनीयता खो चुका है I ज्यादातर राष्ट्रों में जिहादी हत्याएँ पर हत्याएँ करते जा रहे हैं जिस पर सुरक्षा परिषद् चुप्पी साधे बैठा है और दूसरी तरफ विश्व खाद्य परिषद् उन जिहादियों को मुफ्त भोजन देने का काम कर रही है I अजीबोगरीब स्थिति है आज विश्व की जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सारे देश सरीक हैं I भगवान् जिहादियों, आक्रांताओं और संयुक्त राष्ट्र को सद्बुद्धि दें I