'नकली आधार' आधारित समस्याएँ और उसका समाधान
पिछले एक दशक से ज्यादा भारत में नव-प्रचलित आधार (UIAD) बहुचर्चित है I कारण अनेकों हैं I सबसे बड़ा कारण यह है कि इस महत्वपूर्ण दस्तावेज को कुछ अन्य जाली दस्तावेजों द्वारा बनवाया जा सकता है जो स्वयं जाली है और इस जाली दस्तावेज पर बहुतेरे अन्य जाली व संवेदनशील दस्तावेज बनाए जा सकते हैं जो राष्ट्र के लगभग प्रत्येक विभागों को दुष्प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं I अभी हाल ही में दिल्ली में ऐसे अनेकों अनधिकृत बांग्लादेशी घुसपैठिए पकडे गए हैं जिन्हें जाली आधार कार्ड प्राप्त था I शुरुआती जाँच से पता चला है कि ये आधार कार्ड जाली राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आवासीय प्रमाणपत्र तथा कई अन्य दस्तावेजों के द्वारा बनवाए गए थे I इतना ही नहीं, यह भी पता चला है कि ऐसे जाली दस्तावेज बनाने के लिए कुछ राजनितिक दलों के लोग एक सिंडिकेट चला रहे थे जिसमें मात्र २५ रूपये देकर उन्हें जाली दस्तावेज उपलब्ध करा दिया जाता था I दशकों से ऐसे ही अनगिनत सिंडिकेट चलाए जानें की सम्भावनाएँ असम और बंगाल में भी व्यक्त की जा रही थी जिसे स्थानीय सरकारें नकार देती थी I इन्होंनें NRC को भी नहीं छोड़ा और नकली दस्तावेजों के आधार पर उसे भी दूषित कर दिया जिसके चलते असम का २०१८-१९ का NRC प्रभावी नहीं हो सका था I जाली और फर्जी नामों की भरमार थी I राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान जब लगभग ४ करोड़ अवैध बांग्लादेशी रहने का अनुमान लगाया जा रहा था, असम के NRC में घुसपैठियों की संख्याँ महज १९ लाख थी बांकी सबों ने अपने राजनैतिक आकाओं के मार्फ़त जाली दस्तावेज बनवाकर अपने-अपने नाम लिखवा लिए I
सम्प्रति जब बांग्लादेश में २०२४ के असंवैधानिक सत्ता परिवर्तन पश्चात् वहाँ के हिन्दुओं पर जिहादी लोग संगठित होकर उनपर एवं उनके मंदिरों पर हमले पर हमले कर रहे हैं, भारत का आम हिन्दू अपने सरकार पर जायज सवाल खड़ा करता है कि यहाँ रह रहे करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठियों पर भी उसी तरह का जवाबी कार्यवाही क्यों न की जाए जबकि वे आम भारतीयों का हक़ मार रहे हैं (read “Indian Relations with Radical State of Bangladesh”, https://thecounterviews.in/articles/indian-relations-with-radical-state-of-bangladesh/) ? यह तो विश्व विदित है कि संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार इस्लामी देशों की गुलाम बन गयी है; तभी तो हिन्दुओं, सिखों व ईसाइयों के नरसंहार कर रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश या मध्य-पूर्व के इस्लामी राष्ट्रों पर संयुक्त राष्ट्र उपयुक्त कार्यवाही नहीं करती (पढ़ें “Muted UNHRC Response Encouraging Islamic Genocides”, https://thecounterviews.in/articles/muted-unhrc-response-encouraging-islamic-genocide/) I
घुसपैठियों से भारत का अहित
घुसपैठिए चाहे जिस भी देश के हों, अनधिकृत हैं I ये सब भारत के वित्तीय व्यवस्था पर बोझ तो हैं ही, साथ ही भारतीय गरीबों और बेरोजगारों का हक़ मारने वालों में से हैं I ये किसी न किसी तरह भारत सरकार द्वारा अपने कमजोर वर्ग के लिए चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं में सेंध मारकर गरीबों और दलितों का हक़ मार लेते हैं I इन सबों के अलावे ये सुरक्षा की दृष्टि से भारत के लिए खतरा हैं I भारत में रह रहा हर बांग्लादेशी और रोहिंग्या भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा चुनौती खड़ा करता है I इनका एक बड़ा तबका विदेशी कट्टरवादियों और आतंकवादी संगठनों से किसी न किसी तरह जुड़ा होता है जो इन्हें भारत में विघटनकारी गतिविधियों के लिए उकसाता या प्रेरित करता है I पुलिस व सेना के खुफिया तंत्र बताते हैं कि इन घुसपैठियों द्वारा भारत की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर कर विदेशी ताकतों के हाथों की कठपुतली बनाने की कोशिश की जाती है I प्रतिबंधित PFI तथा SDPI के दस्तावेजों में भारत में गज़वा-ए-हिन्द की गतिविधियों में भी इन घुसपैठियों के सांठ-गाँठ का जिक्र हैं (read “PFI Ban: Govt Treating Symptoms, not Disease”, https://thecounterviews.in/articles/pfi-ban-govt-treating-symptoms-not-the-disease/) I
भारत सरकार द्वारा विगत में किए खुलासों से यह तय है कि पाकिस्तान का ISI बांग्लादेश के जिहादियों, मध्य पूर्व के अलक़ायदा या ISIS वहाँ के अलग अलग जिहादी गुटों के लिए इन घुसपैठियों को पैसों के लोभ या इस्लाम के नाम पर दुरूपयोग करता रहता है I इतना ही नहीं, इस्लाम के नाम पर तो ये कोई भी विघटनकारी कार्य करने को तैयार हो जाते हैं I हाल के महीनों में रेल की पटरियों का क्षत विक्षत करना, उस पर भारी अवरोध रख कर रेल दुर्घटनाओं को अंजाम देना अधिकतर इन घुसपैठियों का ही काम होता है I अब तो जबसे बांग्लादेश में तख्ता पलट हुआ है, यहाँ रह रहे घुसपैठिये वहाँ के जिहादियों का मानो हाथ पाँव बन गए हैं I इसीलिए इनका पहचान कर इनको देश से बाहर निकालना अत्यावश्यक हो गया है I कई सख्त विचारों वाले हिन्दुओं का तो यह भी मानना है कि अगर सरकार इन घुसपैठियों से प्रभावी रूप से नहीं निपट सकती है तो भारत सरकार ऐसे लोगों से निपटने के लिए उन्हें अधिकृत कर दे I
भारत में घुसपैठियों का जाल तथा उनकी कार्य-शैली
विश्व भर में हर वह मुसलमान जो कुरान को अपनी जीवन शैली बनाता है, कुछ अपवाद छोड़, कट्टरवादी है (पढ़ें “Gross Fundamental Rights Violations in many Verses of Quran”, https://thecounterviews.in/articles/gross-fundamental-rights-violations-in-many-verses-of-quran/) I हर देश में सक्रिय जिहादी समूह अपने मुल्लों की मदद से इन्हें जिहादी आतंकवाद की ओर प्रेरित करते हैं I ये मुल्ले अत्यधिक कट्टर होते हैं I अगर उस देश के मुल्ले ज्यादा कट्टर नहीं होते तो उनका दूसरे महाकट्टर देशों से आयात किया जाता है जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मलेशिया, ईरान, इराक अदि अदि I वे इस्लाम के नाम पर इनकी सोच ही बदल देते हैं वह चाहे जन्नत में ७२ हूरों के मिलने का लोभ हो या कुछ और (पढ़ें “Busy God Supplying Hoors”, https://thecounterviews.in/articles/busy-god-supplying-hoors/) I विश्व भर में चल रहे कट्टरवादी तथा जिहादी आतंकी घटनाओं में इनका बड़ा हाथ होता है (पढ़ें “New Islamo-Fascism in the World”, https://thecounterviews.in/articles/islamo-fascism-paris-jihadi-attack-macron-pakistan-turkey-malaysia-mahathir-muslims-islam-radical/) I यूरोप के कई देशों में इन्हें कैंसर की बीमारी माना जाता है जो अगर लग जाए तो उस अंग को कटने-काटने के लिए वाध्य कर देता है (पढ़ें “Islamic Cancer Corroding Europe and the World”, https://thecounterviews.in/articles/islamic-cancer-corroding-europe-and-the-world/) I इस्लामी कैंसर रूपी ज्वलंत व त्वरित उदहारण के लिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कोसोवो और सूडान आदि तो है ही I
उत्तर पूर्व राज्यों, खासकर असम और बंगाल की ओर ये अनधिकृत घुसपैठिए वहाँ की सीमा में असानीं से घुस जाते थे और या तो वहीं या फिर मुस्लिम वोट बैंक के लोलुप अन्य राज्यों में जाकर वहाँ की सरकारों द्वारा चलाए जा रहे अनेकों सिंडिकेट से संपर्क कर आसानी से जाली दस्तावेज बनवा कर अक्सर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर अस्थायी आवास बनाकर बस जाते थे I इन राज्यों में बंगाल, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्णाटक, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर आदि जैसे कई कांग्रेसी या M-Y समीकरण वाले राज्य हैं I ऐसे सिंडिकेट की किसी को अगर विस्तृत जानकारी चाहिए तो इसके लिए ममता सर्वोत्तम उपयुक्त नेता है (read “Immoral Mamata Govt Shaming bengalis“, https://thecounterviews.in/articles/an-immoral-mamata-govt-shaming-bengalis-and-india/) I अब तो ऐसा माना जानें लगा है कि बंगाल, जम्मू कश्मीर, केरल और आंध्र प्रदेश में वहाँ की सरकारों के संरक्षण में जाली आधार कार्ड बनाने के बहुतेरे सिंडिकेट बेखौफ काम कर रहे हैं I बंगाल में घुसपैठियों की तायदाद सबसे अधिक है और वहाँ की मुस्लिम तुष्टीकरण की सरकार उन घुसपैठियों की सहायता करने में देश में अन्य राज्यों के बनिस्पत सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है I संक्षिप्त में, जहाँ-जहाँ भी कॉंग्रेस या कम्युनिष्ट सरकारें थीं ये घुसपैठिए वहाँ जाकर पाँव जमा लेते थे फिर कैंसर की तरह फैलते जाते थे (“Muslim behaviour in non-Islamic nations”, https://thecounterviews.in/articles/muslim-behaviour-in-non-islamic-nations/) I ये घुसपैठिए राष्ट्रवादी राजनितिक दल से यथासंभव दूरी बनाए, बचते फिरते थे I
आजकल आधार एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है जिससे पासपोर्ट, PAN, बैंक अकाउंट आदि अनेकानेक संवेदनशील दस्तावेज जुड़े हैं I अगर सिर्फ ‘जाली आधार’ दस्तावेज पकड़ लिए जाएँ तो ज्यादातर घुसपैठियों के पकड़े जानें की सम्भावनाएँ बढ़ जाएगी I इसीलिए २०२० के शाहीनबागों में राष्ट्र विरोधी गुटों द्वारा एक संयुक्त नारा दिया गया था "हम काग़ज़ नहीं दिखाएंगे" I राजीव गांधी के अनधिकृत घुसपैठियों वाले बयान से आज यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसे लगभग पाँच करोड़ बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए होंगे जिन्होंने जाली भारतीय दस्तावेज हासिल कर लिए हैं I आज भारत सरकार का गृह मंत्रालय भी सख्ते में है कि इतनें बड़े असामाजिक व अनधिकृत घुसपैठिए समूह का पता कैसे लगाया जाए खास कर तब, जबकि मुस्लिम वोट बैंक राजनितिक दल उनके बचाव में खड़ी हो ?
समस्या का निराकरण
सबसे पहले तो भारतीय गृह मंत्रालय को चाहिए कि दिल्ली पुलिस की अवैध घुसपैठियों के खिलाफ चलाई गयी मोहिम से, फर्जीवाड़े की जो भी सच्चाई सामने आई है, उसे देश के सभी राज्यों व केंद्र प्रशासित प्रदेशों से साझा कर उन्हें भी ऐसी ही कार्यवाही करने की सलाह दे I जैसे जैसे इन घुसपैठियों की पहचान होती जाती है बांग्लादेश के राजदूत से इस सूचि को साझा कर उन लोगों का प्रत्यर्पण शुरू करे I अगर बांग्लादेश उन्हें अपना नागरिक मानने से या उन्हें वापस लेने से मना करती है (जैसा कि उन्होंने विगत में भी किया है), उन्हें बांग्लादेश से लगे सीमा के उस भाग में ले जाए जहाँ तार की बाढ़ नहीं लगी है, बांग्लादेश भाग जानें को वाध्य करे I ऐसे मौकों पर बंदूक की गोली बड़े काम की होती है I जब देश में चूहे बिल्लियों की संख्याँ इतनी बढ़ जाए कि वह भारतीयों का ही जीवन दूभर बनाने लगे, तो चूहे मारने की हर दवाई या तरीका बड़े काम की होती है I आवश्यकता है भारत सरकार भी वे तरीके अपनाएँ I
घुसपैठियों द्वारा आधार कार्ड प्राप्त कर लिया जाना एक विकत समस्या है जिसे आसानी से निरस्त नहीं किया जा सकता I वैसे एक कथन तो अकाट्य है कि विश्व में कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका समाधान न हो I वैसे यह बात और है कि कई मामलों में समाधान बहुत ही जटिल हो सकते हैं I भारतीय जाली और फर्जी आधार कार्ड का भी समाधान शायद जटिल ही होगा I इस समाधान के अनेकों तरीके हो सकते हैं और वे सब के सब एक से एक जटिल I केंद्र और राज्य सरकार वो हर कदम उठाए कि किसी भारतीय पर इसका दुष्प्रभाव भी न पड़े लेकिन कोई घुसपैठिया इससे बच भी न पाए I कुछ समाधानों के संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं :-
१. सभी नागरिकों के आधार कार्ड का नवीनीकरण अनिवार्य कर दिया जाए जिस में एक ऐसा नया दस्तावेज शामिल हो जो सिर्फ भारतीयों के पास हो जैसे:-
क . तीन या कम से कम दो पीढ़ियों का भारत का मतदाता होना
ख . तीन या कम से कम दो पीढ़ियों का किसी भी राज्य में जमीन या संपत्ति होने का प्रमाण
आधार नवीनीकरण अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग क्रमवद्ध समयों में इस तरह किया जाए कि अफरा-तफरी न हो और किसी को भी अत्यधिक असुविधाओं का सामना न करना पड़े I यह नवीनीकरण कई चरणों में किया जा सकता है जैसे पहले वर्ष में आयकर दाताओं के लिए, दूसरे वर्ष में हर वह व्यक्ति के लिए जो आयकर के दायरे से बाहर रोजगार या स्वरोजगार में हो I तीसरे वर्ष तक लगभग देश के सारे नागरिक आधार नवीनीकरण के लिए आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकताओं से भिज्ञ हो जाएंगे I
सारांश
भारत में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का भरमार है I अनुमानतः यहाँ ऐसे ४ से ५ करोड़ तक अवैध लोग रह रहे हैं जिन्हें ज्यादातर 'मुस्लिम वोट बैंक' राजनितिक दलों का संरक्षण प्राप्त हैं I ये राजनितिक दल अपने सिंडिकेट के मार्फ़त सशर्त उन्हें ऐसे फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं जिससे उन्हें जाली 'आधार कार्ड', जाली पासपोर्ट और जाली नागरिकता मिल जाती है I उन राजनितिक दलों कि शर्तें होती हैं कि वे आने वाले चुनावों में उन्हीं को मतदान करे I इस कुकर्म में पहले से आए कुछ कट्टरवादी घुसपैठिए भी हैं जो उन्हें धर्म आस्था के आधार पर भारतीय नागरिकता ऐसी शर्तों पर देते हैं कि समय आने पर उनसे मनचाहा देश-विरोधी काम करवा सके I
अब, जबकि दिल्ली में ऐसे सिंडिकेट और गिरोहों का भंडाफोड़ हुआ है, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि मोदीजी की राष्ट्रवादी NDA सरकार शंका के घेरे में आए सभी व्यक्तियों या उनके समूहों के वोटर कार्ड, राशन कार्ड, BPL कार्ड, 'आधार कार्ड' आदि का पुनरावलोकन कर उसका नवीनीकरण का एक व्यापक अभियान चलाएगी जिसमें सारे घुसपैठियों का पहचान हो सके और उन्हें अवैध सहायता पहुचानें वाले सिंडिकेट के ऊपर भी कड़ी कार्यवाही की जा सके I