आध्यात्मिक चेतना से वंचित हिन्दू, ढोंगी बाबाओं के घेरे में
नकली और बहुरुपिए गुरुओं और बाबा में अपनी आस्था खोजने को मजबूर सनातनीं हिन्दू आज बहुतेरे यातनाओं, आकस्मिक घटनाओं तथा दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं I २ जुलाई २०२४ को स्वयंभू नारायण कहलानें वाले एक क्षद्म बाबा के हाथरस सत्संग में किसी कारणवश ऐसी भगदड़ मची कि १२७ लोग कुचल कर मर गए और अनगिनत चोटिल हो अनेकानेक अस्पतालों में जूझ रहे हैं I बाबा तो भाग कर कहीं छुप गए लेकिन उसके कुछ चेलों की छानबीन चल रही है I अक्सर ऐसे ढोंगी बाबा को किसी न किसी राजनैतिक पार्टी का सरक्षण प्राप्त होता है जिससे वे कानून व्यवस्थाओं को धोका देने में कामयाब हो जाते हैं I इस दुर्घटना में जहाँ एक ऒर राज्य सरकार ने गहन जाँच शुरू कर दी हैं वहीं दूसरी ऒर ढोंगी बाबा को बचाने के लिए दलगत राजनीति भी शुरू हो गयी है I
सनातन धर्म के अनुयायी, जिन्हें पिछले लगभग २००० सालों से हिन्दू की संज्ञा दी गयी है, आज अपने आध्यात्मिक चेतना से वंचित हैं I सनातन धर्म, जिसमें आध्यात्म का अनंत भण्डार है, स्वतंत्र भारत में अपना वजूद तलाश रहा है I पहले विदेशी मजहबी मुगलों के शासन काल में प्रताड़ित, फिर ईसाई अंग्रेजों द्वारा उपेक्षित हिन्दुओं के लिए जब १९४७ में स्वतन्त्रता मिली तो नेहरू जी के षड्यंत्रों के कारण उन्हें अपनी आध्यात्मिक चेतना से अलग कर दिया गया (पढ़ें " "विभाजन विभीषिका और भारतीय धर्म” ” https://thecounterviews.in/articles/indian-partition-and-indian-religions/) I इन्हीं कारणों से आज आम हिन्दू अपनी आस्था से कटता जा रहा है (पढ़ें “मैं हिन्दू हूँ लेकिन हिन्दू-धर्म से अनभिज्ञ", https://thecounterviews.in/articles/hindu-ignorant-of-hinduism/) I हालाँकि गांधीजी धार्मिक प्रवृत्ति के थे, इंग्लैंड में पढ़े नेहरू और अनेकों अन्य हिन्दू बुद्धिजीवियों के ऊपर क्षद्म-धर्मनिरपेक्ष का ऐसा बदरंग चढ़ा हुआ था जिसमें चर्च के पादड़ी ईसाइयों को हर रविवार सामूहिक प्रवचन कर सकते थे, हर मस्जिदों में मुल्ले आम मुसलमानों को हर शुक्रवार कुरान का उपदेश (खुत्बा) दे सकते थे किन्तु हिन्दुओं को धर्म निरपेक्षता के नाम पर अपने सनातनी धर्म ज्ञान से वंचित कर दिया गया I
हमारे शंकराचार्य, ऋषि मुनि, वेदोपनिषद के आचार्यों को शिक्षा पद्धति से विलग कर दिया गया I वैसे यह भी सत्य है कि हमारे आचार्य व शंकराचार्य भी हिन्दुओं के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार प्रसार में उदासीन थे (पढ़ें " हिन्दुओं में धर्म-गुरु और नेतृत्व का अभाव”, https://thecounterviews.in/articles/lack-of-apex-hindu-seers-and-preachers/) I हमारे मंदिरों में जहाँ से प्राचीनकाल में धर्म का प्रचार-प्रसार होता था, ऐसे लोगों के हवाले कर दिया गया जहाँ हिन्दुओं के आध्यात्मिक दर्शन ज्ञान-प्रदान का कोई साधन नहीं रह गया था I ऐसे में दशकों और सदियों पश्चात् यह एक संयोग नहीं वल्कि विडम्बना है कि आम हिन्दू जनमानस अनेकों नकली और बहुरुपिए गुरुओं और बाबा में अपनी आस्था खोजने को मजबूर हैं I
भारत में सत्संग / धार्मिक प्रवचनों के भगदड़ में कुचले जानें या मरने वालों की घटनाएँ अनगिनत हैं और इनमें से अधिकांश बहुरूपियों के सभाओं में ही होती हैं जिनमें स्थानीय प्रशासन की भी गलतियाँ होती हैं I वैसे कुछ धार्मिक स्थलों में भी खुली जगह व आधारभूत संरचनाओं के अभाव में लोगों की काफी भीड़ हो जाती है और किसी अफवाह या गलतफहमी से भगदड़ मचने से भी हजारों की मृत्यु हुईं हैं I कुछ मंदिरों में प्रवेश और निकास द्वार एक ही होते हैं और वह भी संकीर्ण I स्थानीय प्रशासन ऐसी संकीर्ण द्वारों के विस्तार प्रसार के लिए, जो श्रद्धालुओं के लिए बेहतर हो, उदासीन भाव रखती है I क्षद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ऐसी मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए कोई संगठन या सरकार आगे नहीं आता था I भला हो मोदी सरकार का जिन्होंने सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, केदारनाथ, उज्जैन महाकाल आदि अन्य कई विख्यात मंदिरों के नवीनीकारण का बीड़ा उठाया जिससे भक्तगणों एवं पर्यटकों को दर्शन कर्म आदि में सुविधा हो और वहाँ का पर्यटन भी बढे I ऐसे कुछ सुदूर स्थलों पर जानें के लिए सड़क, रेल तथा वायु मार्गों की भी नवीनीकरण हुई I वहाँ रहने की लिए होटल व यात्री निवास भी बनाए गए और अन्य संवद्धित व्यवस्थाएँ भी चुस्त-दुरुस्त की गयीं I
कुछ मुख्य मंदिर और उनके परिसरों का जीर्णोद्धार तो हुआ लेकिन सनातन धर्म की प्रचार प्रसार की कोई व्यवस्थित प्रणाली नहीं है जिससे कुशल आचार्यों द्वारा समय समय पर नियमित रूप से समसामयिक परिपेक्ष में आम लोगों को अपने ही निकटवर्ती मंदिरों में इन सबों का ज्ञान कराया जा सके I इसीलिए अनेकों ढोंगी बाबाओं का प्रभाव बढ़ने लगता है जिनकी अव्यवस्थित सामूहिक प्रवचन आदि अनियमित व खतरनाक हो सकते हैं जिसकी झलक हाथरस में दिखा है I ऐसे अनेकों प्रयोजन होते ही रहते हैं और इसके साथ साथ दुर्घटनाएँ भी I हाल के दशकों में कुछ ऐसी दुर्घटनाओं की गिनती नीचे दी गयीं हैं और साथ ही अनेकों मंदिरों, स्थलों व आयोजनों परऐसी घटनाएँ घटीं हैं (पढ़ें "मंदिरों परिसरों में जानलेवा हादसे", https://thecounterviews.in/articles/accidents-in-temple-premises/) I
यह उल्लेखनीय है कि मुस्लिम आक्रांताओं के कालखंड में भारत में दसियों हजार मंदिरों को तोड़ा गया और उसपर मस्जिद जैसी गुम्बज बनाकर दूषित कर दिया गया जिसमें काशी, मथुरा और अयोध्या भी शामिल हैं (पढ़ें "Islam and many Ayodhays of the World”, https://thecounterviews.in/articles/islam-and-many-ayodhyas-of-world/) I इसी तरह अनेकों बड़े मंदिरों से संलग्नआध्यात्मिक ज्ञान प्रदान के जगहों व बड़े-बड़े कक्षों को भी या तो तोड़ दिया गया या फिर उन जगहों को इस्लामियों द्वारा हड़प लिया गया जो भारत के विभाजन के पश्चात् भी उन मंदिरों को वापस नहीं मिले I नेहरू के क्षद्म धर्मनिरपेक्ष में इन धर्मस्थलों की बलि चढ़ गयी I I दूसरी तरफ अंग्रेज शासकों द्वारा हड़पे सरकारी जमीनों की बड़े बड़े भू भागों पर चर्च और पदादियों की रहने की स्थान स्वतंत्रोत्तर भी कायम रहे I कांग्रेस सरकार ने ऐसे काले क़ानून बनाए जिसमें वक्फबोर्ड को सरकारी, सामूहिक या व्यक्तिगत जमीन हड़पने की छूट दे दी गयी (पढ़ें “Waqf acts of Loot-India”, https://thecounterviews.in/articles/waqf-acts-of-loot-india/) I इसमें कई प्राचीन मंदिरों की जमीन भी हड़पलिए गए I लेकिन क्षद्म धर्म निरपेक्ष की नाम पर मंदिरों को धार्मिक प्रचार प्रसार की लिए कुछ भी नहीं दिया गया I उलटे कहीं कहीं तो सरकार नेमंदिरों की ही जमीन हथिया लिया I
विश्वसनीय धर्म गुरुओं के प्रवचन के अभाव में आज ऐसे क्षद्म गुरुओं या बाबाओं का भरमार लग गया है जो छोटी-छोटी जादूनुमा करतबों से आध्यात्म ज्ञान से वंचित जनता को प्रभावित कर अपने तथाकथित सत्संगों में आने के लिए प्रेरित करते हैं I इनकी मोटी मोटी चढ़ावों से इनका व्यवसाय चलता रहता है साथ ही धर्मान्धता में जनता कुछ बाबाओं के कई दुष्कर्मों और शोषणों का शिकार भी हो जाती है I अपने आध्यात्मिक चेतना को तलाशते हिन्दू आज ऐसे कई क्षद्म गुरुओं या बाबाओं के शिकार हो रहे हैं और उनकी कुप्रवन्धनों में स्वयं व स्वजनों का जीवन दाँव पर लगा बैठते हैं I हिन्दुओं का यह भी दुर्भाग्य है कि न तो प्रशासन और न ही आचार्य-शंकराचार्य ऐसे ढोंगी बाबाओं का समय रहते पहचान कर उसे दंड दे सकें या उनका पर्दाफाश कर सकें I
जादुई करतबों या चमत्कारों से लोगों को प्रभावित करना कोई नई बात नहीं I 'प्रभु यीशु' की संज्ञा वाले जीसस के इन्हीं जादुई तथा दैविक शक्ति माने जाने वाले पीड़ा नाशक स्पर्शों पर ईसाई धर्म बना था जिसके लिए उन्हें तत्कालीन शासक द्वारा शूली पर चढ़ाया गया था I आज विश्व में ईसाई धर्मावलम्बियों की सबसे बड़ी संख्यां है I यही बात इस्लाम के लिए भी लागू होता है जिसमे स्वयं को पैगंबर बताने वालामुहम्मद ने ज्यादातर तलवार की बल पर दर्जनों अरब जनजाति का नरसंहार कर अपनी नई आस्था शुरू की थी (read “Islamic Hate, Intolerance, Bigotry & Fascism and the Global Caliphate”, https://thecounterviews.in/articles/islamic-intolerance-bigotry-fascism-global-caliphate/) I हर साल विश्व के अनेकों भाग से मुसलमान अन्धविश्वास में हज के लिए मक्का के उस मंदिर वाले भूभाग में जाते हैं जिसके ३६० मूर्तियों को उसनेअपनी घृणा और असहिष्णुता के कारण तोड़ कर मस्जिद बनाया था I हर साल लाखों लोग हज की लिए जाते हैं और कई मौत की शिकार भी होते हैं I इस वर्ष मक्का में लगभग १३०० लोगों की मृत्यु हुई है I पिछले वर्षों में कई बार भगदड़ की भी घटनाएँ हुईं हैं I
हिन्दुओं के कुछ तथाकथित सत्संगों के साथ साथ इन सारे सामूहिक संयोजनों को भी धर्मान्धता ही कहा जा सकता है I यही बात सारे धर्मों या विचारोंपर भी लागू हैं I यह लोगों की आस्थाओं से जुड़ा है अतः इसे रोका भी नहीं जा सकता I ऐसी भीड़ इकट्ठा होती रहेंगी और उससे सम्वद्ध आकस्मिकघटनाएँ और दुर्घटनाएँ भीं I आवश्यकता है सम्बद्ध प्रशासनों का चुस्त व दुरुस्त होना जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके I