The Indian Pseudo-Secularism

धर्म निरपेक्षता के साए में असुरक्षित हिंदू

भारत की संपन्नता, आर्थिक स्वायत्तता, सुरक्षा व्यवस्था की जटिलता एवम गोपनीयता आज देशद्रोहियों, भारत के दुश्मन देशों, सत्ता लोलुप नेताओं (जो चीन और पाकिस्तान को ही अपना गुरु मानते हैं) के आखों की किरकिरी बनी हुई है। मोदी तो मात्र एक बहाना है वस्तुतः अव्यवस्थित रक्तरंजित युद्धरत विश्व में भारत की गरिमा, उत्तरोत्तर विकास एवम शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने के लिए मोदीजी और यहाँ हिन्दुओं का धैर्य एवम सहनशीलता कई देशों के लिए चिंता का विषय है। भारत को कमजोर करने के लिए कई अंदरूनी एवम वाह्य ताकतों, देशी इन विदेशी दुश्मनों का सहारा लिया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं के बीच दुष्ट, क्रूर, देश्यविरोधी मानसिकता वाले नेताओं ने भी अपने अपने क्षेत्रों में मानव निर्मित आपदाओं को आमंत्रित किया हुआ है।

अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान में तख्ता पलट के बाद देशद्रोहियों के मंसूबे बुलंद हो गए हैं। सत्ता लोलुप नेता हिन्दू - विरोधी होने के साथ - साथ देश से भी खुले आम गद्दारी करने वाले, तालिबानी जबान में हिन्दुओं एवम प्रधान मंत्री को भी धमकियां देने लगे हैं। ममता, राहुल,ओवैसी, अब्दुल्ला स्टालिन आदि कई नेताओं की शर्मनाक बयानबाज़ी उन्हें भारतीय कहलाने के नैतिक हक से तिरस्कृत करती है। सच्चाई में ऐसे नेताओं देश में नहीं रहना चाहिए।

आज बंगलादेश की खालिदा जिया खुले आम कह रही है कि बांग्लादेश इस्लामिक राष्ट्र है इसलिए यहां के गैर इस्लामियों को यदि बांग्लादेश में रहना है तो उन्हें इस्लाम कबूलना है या देश छोड़ कर चले जाना है। क्या भारत या अन्य धर्म के बहुसंख्यक देश इस्लामियों को ऐसा कह पा रहे हैं? जाहिल, दरिंदों, हवसी, बेशर्म इस्लामियों के लिए शिष्टता उदारता दिखाने वाले देश वस्तुतः मूर्खों की श्रेणी में आते जा रहे हैं जो अपने ही देश में इस्लामियों को तुष्ट करने की कोशिश में अपनी मुलवासिंदों की उपेक्षा कर उन्हे खतरे में डाल अल्पसंख्यक बना रहे हैं।

भारत का विभाजन भी धर्म के आधार पर हुआ था परन्तु नेहरू की चालबाजी, मुसलमानों को खुश करने की उदारता उनकी अनेकों मांगें अंधों की तरह स्वीकार कर, संविधान में उनके अधिकारों को जोड़ते जाने के कारण ही आज भारत में अस्थिरता बनी हुई है। जिहादी, घुसपैठिए, रोहिंग्या गद्दारों जैसे मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ती जा रही है। नेहरू की छद्म नीतियों के शिकार हिन्दुओं के पास आज अपना एक भी राष्ट्र नहीं है जहाँ वे चैन से रह सकें ! ये कह सकें कि यह हिंदू राष्ट्र है इसलिए यदि किसी को इस देश में रहना है तो शांतिप्रिय हिंदू, बौद्ध, सिक्ख, जैन धर्मों में से किसी एक को अपनाते हुए अन्य धर्मों का सत्कार करना होगा जो मूलत भारत में उत्पन्न हो सनातन भारतीय सस्कृति का ही विस्तार कराते हैं। देश के मूलधर्म हिन्दुत्व को न अपनाने वाले को देश छोड़ कर चले जाना होगा।

यद्यपि ईसाई देशों में भी इस्लामिक कट्टरवाद ने पांव पसार लिया है। ईसाईयों की इस्लाम के प्रति उदारता उन्हें, उनके ईसाई नागरिकों, स्त्रियों एवम बच्चे - बच्चियों के लिए खतरा बन चुका है, फिर भी निजी स्वार्थ साधने वाले राजनेताओं की आँखें अधमुंदी ही हैं। इन सभी के बीच भारत एवम विश्वस्तर पर सबसे ज्यादा प्रताड़ित हिंदू हैं जो अपने देश हिंदुस्तान में भी धर्मनिरपेक्षता की आड़ में अल्पसंखयक कहे जाने वाले जिहादी इस्लामियों द्वारा प्रताड़ित हो रहे हैं। भारत के हिन्दुओं की इन समस्याओं का समाधान तब तक मुश्किल ही रहेगा जब कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित न किया जाए। एक और उपाय है कि सभी धर्म के लोगों के लिए एक ही कानून को सख्ती के साथ लागू कर वक्फबोर्ड तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ का पूर्ण उन्मूलन किया जाए। इसमें बाधा डालने वाले या विरोध करने वालें नेताओं को देश का गद्दार घोषित कर उसे देश निकाला जाए या कारागार दिया जाय जैसा कि इस्लामिक देशों में गैरिस्लामियों के साथ किया जाता है। याद रहे देश के हिंदू सुरक्षित रहेंगे तभी संविधान सुरक्षित रहेगा। धर्म निरपेक्षता की आड़ में मुस्लिम तुष्टि की नीति प्रत्येक गैर इस्लामी नेताओं के लिए भी घातक ही होगी उदाहरण की आवश्यकता नहीं है क्यों कि पूरा विश्व ही इस्लामिक आतंकवाद का शिकार हो रहा है।

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