“बँटोगे तो कटोगे" का तात्पर्य...
आपस में बँटे हिन्दुओं की दुर्दशा
हाल की बांग्लादेश में हुए राजनैतिक उथल-पुथल के दौरान वहाँ के जिहादियों ने जिस तरह हिन्दुओं और अन्य गैरमुस्लिमों पर संगठित आक्रमण करना शुरू किया था, ऐसा लग रहा था मानो अफगानिस्तान / पाकिस्तान की ही तरह वहाँ से भी उनका सफाया हो जाएगा I फिर कुछ भारत से सीख मिली और कुछ उनका अभिमान जगा जिसनें उन्हें आपस में संगठित होने की प्रेणना दी और इसी का परिणाम है कि जिहादियों से वे बच पाएI इसी सन्दर्भ में हाल के हरियाणा व जम्मू कश्मीर के चुनावी भाषणों में योगी आदित्यनाथ ने कहा था "बँटोगे तो कटोगे" जिसके बाद क्षद्म धर्म-निर्पेक्षियों ने भारत में उनके एवं बीजेपी के विरुद्ध बातूनी जंग का मोर्चा खोल दिया था I लेकिन योगी जी ने जो भी कहा वह सोलहो आने सत्य था, बांग्लादेश ही नहीं वल्कि अन्य देशों और यहाँ तक कि भारत के सन्दर्भ में भी I स्वतन्त्रता उपरान्त कांग्रेस-निर्मित संविधान में हिन्दुओं के लिए उपेक्षाके अलावे और कुछ नहीं था I छह दशकों से ज्यादा कांग्रेस शासित भारत में हिन्दुओं का वहुसंख्यक होने के बावजूद भी जिस कदर उपेक्षा की गयी है वह उनके सहनशीलता की पराकाष्ठा ही है I
हिन्दुओं में आपसी विभाजन का इतिहास
सहस्त्राब्दियों से विभाजित सनातनी समाज को आज यह मानना पड़ा है कि उनमें आपसी फूट डाल कर कुछ चालाक लोग सदियों से अपना अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं और ज्यादातर मासूम और भोले भाले आम हिन्दू उनके षड्यंत्रों का शिकार बनते आए हैं I यह बात तो हम सब मानते हैं कि सहस्त्राब्दियों से चले आ रहे सनातन धर्म में कुछ विकृतियाँ आती गयी थीं जिससे पहले जैन और फिर बौद्ध अलग हुए I सनातनी जातिगत भेदभाव से ऊपर ये अलग हुए धर्म भी शांतिप्रिय और अहिंसक थे I इनके धर्मग्रंथों में भी सनातनी सद्भाव ही था लेकिन ये अपने आप को सनातन धर्म सेअलग मानते हैं I यह हमारे आपसी सामाजिक और प्रांतीय फूट और वैमनस्य का ही परिणाम था कि हमें कई शतकों और पीढ़ियों तक इस्लामी शासन की कट्टरवादी क्रूरता झेलनी पडी I करोड़ों लोगों को लोभ या फिर यातना देकर इस्लाम कबुलवाया गया और जिनकी अंतरात्मा ने उस कट्टरवादी सोच को अपनानें से इंकार किया, उन्हें मरवा भी दिया गया I यही है इस्लामी जिहाद का "Convert, Flee or Die" I हमारे धर्म ग्रंथों में कुरान की इस्लामी जिहाद जैसी कोई नफरती और हिंसात्मक सीख नहीं थी और इसीलिए शांतिप्रिय सनातनियों पर इस्लामी आक्रांताओं का अधिपत्य और प्रभाव बढ़ता गया I फिर क्रूर इस्लामी शासन के दौरान सनातन धर्म में आए आडम्बरों के कारण ही सिख पंथ अलग हुआ I लगता है सिख पंथ के संस्थापकों ने इस्लाम की अमानवीय क्रूरता से सीख लेकर अपनी रक्षा के लिए सशस्त्र एवं प्रशिक्षित निहंगों की टोली भी बनाई जो तत्कालीन आक्रांताओं से आम सिखों और पंथ की रक्षा कर सके I सनातन धर्म में भी लोगों व धर्म की रक्षा के लिए क्षत्रिय थे किन्तु प्रतिशत में बहुत कम I उससे भी ज्यादा ग्लानि की बात थी कि उन्हें अपने ही कुछ सनातनी वर्गों के लोगों से धोखा मिलता रहा I
सनातनियों की त्रासदी किसी भी तरह समाप्त नहीं हुई I इस्लामी देशी-विदेशी आक्रांताओं का प्रताडन धीरे-धीरे क्षीण हो ही रहा था कि हमें अंग्रेजों ने अपने अधिपत्य में जकड लिया I मुट्ठी भर अंग्रेजों ने हमारी एकता के अभाव में हम पर "फूट डालो और राज करो" के मन्त्र से सौ सालों से भी अधिक समय तक राज किया I
सनातन में सन्निहित दैविक शक्तियाँ
सनातन को समाप्त करने सैकड़ों आक्रांता आए I वे सब समाप्त हो गए किन्तु सनातन धर्म को समाप्त नहीं कर पाए I सनातन धर्म पर सबसे ज्यादा कुठाराघात इस्लाम ने किया है I उन्होंने आपस में विभाजित हिन्दुओं के नरसंहार किए, उनके मंदिर ढाए, धर्म ग्रंथों को नष्ट करने की कोशिश की I परन्तु सनातन धर्म के साथ दैविक शक्तियाँ जुडी रही और आगे का मार्ग भी प्रशस्त करती रही I नतीजा हमारे सामने है I सनातन धर्म आज और भी ज्यादा सशक्त है I
सनातन धर्म की उत्पत्ति किस कालखंड में हुआ था यह सही-सही विरले ही किसी को पता है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि यह अनादि काल से चला आ रहा है I वेदों में सनातन धर्म का जिक्र है और वैदिक पद्धति जीवन शैली के रूप में युगों युगों से चला आ रहा है I हाल के द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेशों में, जो लगभग चार से छः हजार साल पूर्व की बात है, सनातन धर्म का संक्षिप्त वर्णन है I इसी तरह त्रेता युग में भगवान् श्री राम भी भगवान् विष्णु के सनातनी अवतार थे जो आज से लगभग १० हजार साल पूर्व की बात है I तब भी भगवान् राम ने अपने पूर्व काल में वैदिक प्रथा पर चलने वाले सनातन धर्म में अपने से विगत युगों में भगवान् विष्णु के पूर्व अवतारों का वृत्तांत किया था जिसमें भगवान् परशुराम, वामन, नरसिंह, कूर्म और मत्स्य अवतार भी शामिल हैं I यह सब प्रलय काल खंड के उपरान्त इस पृथ्वी पर उत्पन्न जीवों में सनातन धर्मावलम्बियों की गाथा है जिसमें मनुष्य और अन्य जीव जंतु भी शामिल हैं I ज्ञात हो कि एक ओर जहाँ दैविक शक्तियों को मानने वाले मनुष्य थे वहीं दूसरी ओर दानवीय प्रवृत्ति वाले दानव भी थे I देव (सुर) और दानव (असुर) के बीच मतान्तर अनादि काल खंड से ही चला आ रहा हैI देवासुर संग्राम का वर्णन महाकाव्य रामायण में राजा दशरथ के जीवन काल में मिलता है जब राजकुमारी केकई ने उनकी सहायता की थी I सुर-असुर या देव-दानव के संग्राम में हमेशा से ही दैविक शक्तियों का विजय होता रहा है जिसके लिए अक्सर भगवान् विष्णु और महेश को मानव या मानव-तुल्य अवतार लेना पड़ा है I सभ्यता और असभ्यता की वही चिर परिचित लड़ाई आज भी मानवता के आगे चुनौती बनकर खड़ी है I
विदेशी आस्थाओं के अमानवीय चरित्र
दैविक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सनातन धर्मावलम्बियों को मिटाने के लिए आज इस्लाम और कुछ हद तक ईसाई भी सामने खड़े हैं I सातवीं सदी में स्थापित इस्लाम ने तो अरब के अनेकों जातियों (Arabian Tribes) का नरसंहार कर उन्हें Convert, Flee or Die का डर देकर इस्लाम में धर्मान्तरण कर लिया जो कुरान मानने को मजबूर होते गए (पढ़ें “Islamic hate, Intolerance, Bigotry and Fascism”, https://thecounterviews.in/articles/islamic-intolerance-bigotry-fascism-global-caliphate/) I यह तो सर्व विदित है कि कुरान एक ओर जहाँ मुसलमानों में भाई चारा सिखाता है वहीं दूसरी ओर गैर मुस्लिमों के खिलाफ नफ़रत और घृणा के भी बीज बोने का काम करता है (पढ़ें “Is quran a Source of Hate and Intolerance”, https://thecounterviews.in/articles/is-quran-a-source-of-hate-and-intolerance/) I यही कारण है सनातनी सभ्यता और इस्लामी असभ्यता में सदियों के मतान्तर आज मानवता के लिए एक चुनौती बनकर सामने खड़ा है I सनातन धर्म एक ओर जहाँ वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखता है वहीं इस्लाम एक कैंसर रूपी बीमारी बन गया है जो जिस भाग में लगता है, रोग ग्रसित कर देता है (पढ़ें “Islamic Cancer Corroding Europe and the World”,https://thecounterviews.in/articles/islamic-cancer-corroding-europe-and-the-world/) I उससे निवारण के लिए उसे काटना ही पड़ता है I हाल के कुछ शताब्दियों में इसका उदाहरण भारत और सूडान में देखा जा सकता है I भारत का कंधार, पंजाब और बंगाल का भाग जब इस्लामी कैंसर से ग्रसित हुआ तो उसे काटना पड़ा जो आज क्रमशः अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के रूप में इस्लामी कैंसर की बीमारी से जूझ रहा है I इसी तरह जब इस्लाम का कैंसर सूडान में लगा तो उसका भी विभाजन करना पड़ा I इस्लाम आज आतंकवाद का केंद्र बन बैठा है जिसमें लगभग २०० अलग-अलग जिहादी आतंकवादी समूह हैं जिसमें से लगभग एक तिहाई सिर्फ और सिर्फ मार-काट का आतंक फैलाने में लगा है चाहे वह ग़ज़ा में हमास, लेबनान में हिज़्बुल्लाह, यमन में हुती, अफगानिस्तान तथा मध्य पूर्व के अन्य इस्लामिक देशों में अलक़ायदा, ISIS, तालिबान या अन्य जिहादी संगठन हो I अनेकों अफ्रीकी देश आज अलग-अलग नामों वाले कुख्यात इस्लामी संगठन जैसे अल-शबाब, बोको हरम, अबू सय्याफ और कई और अन्यान्य जिहादी समूहों से जूझ रहे हैं I इन जिहादियों के मार काट और नरसंहार से प्रताड़ित कई अफ्रीकी जनजातियों का सामूहिक धर्म परिवर्तन कर दिया गया जो आज इस्लामी देश बन गए हैं I
ईसाई लोग और उनके धर्म गुरु दुनियाँ के सामने अपने क्षद्म धर्मनिरपेक्षता दिखने के चक्कर में अमानवीय इस्लामियों द्वारा या तो धर्मान्तरित कर दिए गए, वहाँ से भागने के लिए मज़बूर कर दिए गए या फिर मार दिए गए I यही असर है इस्लामी मन्त्र ‘Convert, Flee or Die’ का I अब मध्य पूर्व के देशों से ईसाईयों का लगभग सफाया होता जा रहा है और यह कैंसर रूपी इस्लाम यूरोप के देशों में भी फैलने लगा है जिससे सर्बिआ का कोसोवो बुरी तरह से ग्रसित है और फ़्रांस, रूस और इंग्लॅण्ड भी इस बीमारी की तपिश झेल रहा है (पढ़ें “Kosovo being Engulphed by Islamic Cancer”, https://thecounterviews.in/articles/christian-kosovo-being-engulfed-by-islamic-cancer/) I रूस का चेचनिया और दागिस्तान तो लगभग पूरी तरह इस्लामिक हो गया है जहां आए दिनों इस्लामी आतंकी घटनाएँ होती रहती है (पढ़ें “Islamic Cancer Spreading in Russia”, https://thecounterviews.in/articles/islamic-cancer-spreading-in-russia/) I हाल के वर्षों तक ईसाई बाहुल्य रहे लेबनान आज मुस्लिम बाहुल्य हो गया है और इस्लामी आतंकी हिजबुल्लाह का गढ़ बन गया है I
अपने ही देश में अल्पसंख्यक बनते जा रहे हिन्दू
मुसलमानों ने अपने लिए १९४७ में जब भारत का विभाजन किया था तो क्षद्म -धर्मनिरपेक्षी नेहरू ने बहुतेरे मुसलमानों को अपना राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए ‘वोट बैंक’ बनाकर भारत में ही रहने के लिए प्रेरित किया और उनके लिए ऐसे ऐसे कानून बनाए कि सनातनी हिन्दू आज अपने ही देश के अनेकों जिलों और प्रांतों में अल्प संख्यक बन चिर परिचित इस्लामी तपिश झेलने को मज़बूर हैं I कांग्रेस ने तो क्षद्म धर्मनिरपेक्षता का ऐसा महा षड्यंत्र रचा कि हम-आप जैसे आम व्यक्ति उसके खिलाफ आवाज भी नहीं उठा सकते (पढ़ें “विभाजन विभीषिका (भाग - ४): स्वतंत्र भारत में विभाजनकारी राजनीति”, https://thecounterviews.in/articles/vibhajan-vibhishika-divisive-powers-in-independant-india/) I उधर दूसरी तरफ कट्टरवादियों ने एक नया ही 'जनसंख्यां विस्फोट' का जिहाद चला रखा है जो देश के मूल डेमोग्राफिक ढाँचे को ही बदल रहा है I बहुसंख्यक हिन्दू बहुतेरे जिलों में अल्पसंख्यक हो चुके हैं और यह सिलसिला तेजी से बढ़ता जा रहा है I कांग्रेस ने मुसलमानों का वोट पाने के लिए एक ऐसा 'वक़्फ़ क़ानून' बनाया जिसमें गाँव के गाँव और मौजे-दर-मौजे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के वक़्फ़ द्वारा हथियाए जा रहे हैं (पढ़ें “Waqf Acts of Loot India”, https://thecounterviews.in/articles/waqf-acts-of-loot-india/) I लगता है कांग्रेस ने देश को मुसलमानों के हाथों बेच दिया है I
यह अत्यंत चिंताजनक बात है कि इतना सब कुछ हो जानें के बाद भी देश के हिन्दू कांग्रेस का असली चेहरा नहीं पहचान पा रहे हैं I आज की यह वास्तविकता किसी से छुपी नहीं कि वोट पाने के लिए कांग्रेस किसी हद तक गिर सकती है I गधे को बाप बनाने वाली कहावत को भी हकीकत बना सकती है I सत्ता के लिए कट्टरवादियों तथा जिहादियों के साथ हाथ मिलाते देखा है है (read “Congress loses conscience, allies with radical Musims”, https://thecounterviews.in/articles/congress-rahul-radical-muslims-furfura-iuml-kerala-assam-bengal/) I सोनियाँ गांधी के इशारे पर हिन्दू धर्म का अपमान करने वालों के साथ आते देखा है I कश्मीर को पुनः काले दिनों में धकेलने के लिए संविधान की धारा ३७० पुनः लाने के लिए अपना जमीर बेचते देखा है I
कुछ हिन्दू विरोधी समूह
यह अत्यंत ही चिंता जनक बात है कि कुछ राजनैतिक दल और अराजनैतिक समूह भारत में ही हिन्दू-विरोधी गतिविधियाँ चला रहे हैं और हिन्दुओं का बड़ा तबका इससे अनभिज्ञ है I जितनी भी इस्लामिक राजनैतिक दल हैं उनका एजेंडा बिलकुल साफ़ है "मुसलमानों की भलाई और इस्लाम को बढ़ावा" I इसके साथ साथ ये दल इस्लामी कट्टरवाद और आतंकवाद को भी चोरी छुपे बढ़ावा देते हैं और बिडम्बना यह है कि यह सब जाननें के बावजूद भी 'मुस्लिम वोट बैंक' के लालायित राजनैतिक दल इन्हें 'धर्म निरपेक्ष' कहकर इनका साथ देते हैं, इनकी ही तरफदारी करते हैं I सभी इस्लामी दल चाहे वह जमात-ए-इस्लामी हो, AIMIM, IUML, AIUDF, PDP, NC हो या ISF; ये सब किसी न किसी तरह हिन्दू विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं I ज्ञात रहे कि ये सब मजहबी पार्टियाँ कई चोर, ठग, घोटालेबाज, फिरौतीबाज और कट्टरवादी राजनैतिक दलों के साथ मिलकर एक बड़ा गठबंधन (या 'ठगबंधन' कह लें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी) बनाया है और लोगों को गुमराह करने के लिए उसे INDIA का नाम दे दिया है (पढ़ें “I-N-D-I-A of Thugs? Pt-1”, https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-1/; “I-N-D-I-A of Thugs? Pt-2”, https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-2/; “I-N-D-I-A of Thugs? Pt-3”, https://thecounterviews.in/articles/i-n-d-i-a-of-thugs-part-3/) I यह अत्यंत क्षोभ का विषय है कि आखिर कोई देशभक्त नागरिक चुनावों में इन्हें अपना वोट कैसे दे देता है ? क्या उन्हें ज़रा भी आत्मग्लानि नहीं होती ? यह सब आपस में बँटे हिन्दुओं की ही विसात है I PFI, SDPI के दस्तावेजों से यह तो पता चल ही गया था कि ये मुस्लिम-परस्त पार्टियाँ हिन्दुओं में आपसी फूट डालने और डलवाने में लिप्त है जिससे उनका गज़वा-ए-हिन्द का काला करतूत पूरा हो सके (पढ़ें “PFI Ban: Got Treating Symptoms, Not Disease”, https://thecounterviews.in/articles/pfi-ban-govt-treating-symptoms-not-the-disease/) I अपनी काली करतूतों को छुपाने एवं हिन्दुओं को बरगलाने के लिए ये पार्टियाँ अक्सर एक सुगढ़ हिन्दू प्रवक्ता खरीद लेते हैं जिन्हें सोशल मिडिया, टी वी चैनल्स और चुनावी सभाओं में अपना मुखौटा बना कर वोट लेने के लिए आपसी मतभेद डालकर ये हिन्दुओं को बाँटने का प्रयास करते हैं I
हिन्दुओं को बाँटने का कुकर्म
हिन्दुओं को आपस में बंटनें का कोई मतलब नहीं था क्योंकि वेदों में वर्णित चार वर्ण तत्कालीन लोगों के पेशों से जुड़े थे जो सनातन के हजारों वर्ष पश्चात् कुछ कुरीतियाँ आने से पारिवारिक वंश गत बन गए या बना दिए गए I इन्हीं कुरीतियों पर आधारित मनुस्मृति ने आग में घी डालने का काम किया और वर्णों में भेद भाव बढ़ता गया I मुसलमान आक्रांताओं के राज में जातिगत भेद भाव को और उभारकर हिन्दू समाज को चार खेमें में बाँट दिया गया I इसमें लाभान्वित उच्च वर्गीय हिन्दुओं का भी उतना ही हाथ था जितना बाँटने वालों का I परिणाम यह हुआ कि चार खेमों में बँटे हिन्दुओं में आपसी मतान्तर और फूट तो बढ़ता ही गया साथ ही उनपर मुसलमानों और बाद में अंग्रेज शासकों का दमन आसान हो गया क्योंकि वे कभी भी उन दमनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट आवाज नहीं उठा पाए I सबसे ज्यादा यातना क्षत्रियों ने सहा और कुछ हद तक ब्राह्मणों ने भी I वैश्यों ने किसी तरह अपना व्यापार का पेशा जारी रखा परन्तु शूद्र वर्ण को अत्यधिक पीड़ा सहनी पडी I उनसे तो अमानवीय सा व्यवहार होने लगा जो सदियों तक चलता रहा I इस कुरीति को समाप्त करने के लिए भी सबसे पहले कई ब्राह्मण ही सामने आकर एक आंदोलन शुरू किया जिसमें अन्यान्य वर्णों के भी कई लोग जुड़ते गए I आज शूद्र और वैश्य वर्णों की दशा तो बहुत हद तक सुधरी है, उन्हें देश के मुख्य धारा में जोड़ा जा सका है किन्तु जातिगत, सामाजिक और मानसिक विषमताएँ अभी तक समाप्त नहीं हुईं हैं I इसे शायद संवैधानिक जामा पहनाकर ही समाप्त किया जा सकता है और वह समय आ गया है कि संविधान में कुछ आमूल संशोधन कर हिन्दुओं में विभाजनकारी जाति-प्रथा समाप्त की जाए I
नेहरूजी के दिनों से ही कांग्रेस हिन्दुओं को बाँटने का कुकर्म करती आ रही है जिससे हिन्दू कभी एक न हो सके I संविधान में हिन्दुओं के प्रति इस कदर भेद भाव रखा गया कि अम्बेडकर ने भी त्यागपत्र की पेशकश कर दी थी I इंदिरा गांधी ने संविधान में धर्म निरपेक्षता के नाम पर कुछ ऐसे संशोधन किए जो इस्लाम को बढ़ावा देता था I दशकों तक कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक के लिए संविधान में बताए 'समान नागरिक संहिता' लाने से बचती रही I फिर बचा खुचा कसर जाति पर आधारित मंडल कमीशन ने पूरा कर दिया जो सुरसा के तरह अपना मुँह बड़ा करती ही जा रही है I इसने हिन्दुओं को जातिगत आधार पर बाँटने का बड़ा काम किया है I कांग्रेस, जो मंडल कमीशन लागू करने के खिलाफ थी, अब जातिगत कटुता बढ़ाने में लगी है I.जातिगत जनसंख्याँ के आधार पर जनगणना करा कर आरक्षण के लिए हिन्दुओं को बांटना चाहती है I राहुल गांधी के 'चुनावी झूठ और दुष्प्रचार' हिन्दुओं को बाँटने में कोई कसर नहीं छोड़ राखी है (पढ़ें “Rahul Gandhi: The Best in Fabricating Lies & Dis-information”, https://thecounterviews.in/articles/rahul-gandhi-the-best-in-fabricating-lies-and-disinformation/) I कांग्रेस अंग्रेजों के 'बाँटो और राज करो' की नीति का हिन्दुओं को बाँटने में अच्छा उपयोग कर रही है I
कटु सत्य और निष्कर्ष
इसमें कोई दो राय नहीं कि हिन्दुओं में एकता की कमीं थी और अभी भी है I यह भी सत्य है कि निम्न जाति-वर्ग हिन्दुओं की सबों ने अत्यधिक अवहेलना की है I हाल के दशक में जितनी भी बार हिन्दुओं को एक सूत्र में पिरोने की पहल हुई, ‘मुस्लिम वोट बैंक’ के लोलुप राजनितिक दलों ने इसका पुरजोर विरोध किया I यही कारण है कि हिन्दू एकता की बात करने वाले 'राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ' और बालासाहेब ठाकरे का हमेशा से राजनैतिक विरोध होता रहा है I केरल और बंगाल में हिन्दू इसीलिए प्रताड़ित हो रहे हैं क्योंकि उनमें एकता की कमी है I वहाँ कम्युनिष्ट हिन्दू तो अपने धर्म के प्रति बिलकुल उदासीन से हैं जबकि मुस्लिम कम्युनिस्ट अपने कौम के साथ पूरी एकता रखते हैं I बांग्लादेश में हाल की राजनैतिक उथल पुथल के दौरान वहाँ के लगभग सवा करोड़ हिन्दुओं की जिहादियों द्वारा प्रताडन देख कर किसी भी प्रमाणन की जरूरत नहीं रह जाती है कि उनसे बचने के लिए हिन्दुओं में आपसी एकता परमावश्यक है I यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ‘बँटोगे तो कटोगे’ I उनका यह कथन बांग्लादेश के लिए उतना ही सत्य है जितना केरल, बंगाल, असम आदि के मुस्लिम-वाहुल्य क्षेत्रों में हिन्दुओं के सन्दर्भ में I