Hindu Rashtra

विश्व में ४७ इस्लामी, १६ ईसाई, ४ बौद्ध और १ यहूदी राष्ट्र हो सकता है : तो १ “हिन्दू राष्ट्र” क्यों नहीं ?

विश्व में हर धर्मावलम्बियों के लिए एक या अधिक ऐसे राष्ट्र है जो उस धर्म विशेष को राष्ट्र धर्म मानता है। इसमें सिर्फ एक अपवाद है और वह है विश्व का तीसरा सबसे बड़ा 'हिन्दू धर्म' और उसकी शाखाएँ जिसे आम तौर से "भारतीय धर्म" के नाम से बुलाते हैं। आज विश्व का सबसे बड़ा धर्म समूह ईसाई है (32%) जिसके लिए १६ ईसाई धर्म राष्ट्र हैं ।उसके बाद इस्लाम आता है जो लगभग विश्व का 23% है जिसके लिए ४७ इस्लामी धर्म राष्ट्र हैं।फिर बौद्धों की गिनती आती है जिसे "राष्ट्र धर्म की मान्यता देने वाले ४ देश हैं।आज यहूदियों के लिए भी जिनकी विश्व आवादी मात्र 0.2% है, १ धर्म राष्ट्र है I विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म हिन्दू है जो लगभग 16% है I अगर हिन्दू धर्म के अन्य शाखाओं जैसे जैन, बौद्ध और सिख को भी इसमें मिला दें तो भारतीय धर्मावलम्बी विश्व में लगभग 20-21% हो जाते है, जिसके लिए ठन-ठना-ठन; एक देश भी नहीं।

इस्लाम की ‘जिहादी’ वास्तविकता से आँखें नहीं चुराई या मूँदी जा सकती है।यह सत्य है कि वैश्विक स्तर पर इस्लाम का जिहाद चल रहा है जिसमें उनकी विश्व इस्लामी खलीफत बनाने की मनसा है। कुछ लोगों का मानना है कि यह इस्लामी मनसा कुरान में ही लिखी गयी थी जिसका अनुकरण इस्लाम के अनेकों ख़लीफ़े तब तक करते रहे थे जब उनको पहले और दूसरे क्रूसेड के रूप में जोर का “ईसाई तमाचा” नहीं पड़ा था।साल २०१४ में फिर से एक विश्व स्तर का आतंकवादी 'अल बगदादी' ने 'विश्व इस्लामी खलीफत' का नारा दिया है जिसपर दुनियाँ भर के १७५ से ज्यादा अतिवादी और आतंकी संगठन चल पड़े हैं।इनका मुख्य अभिप्राय गैर इस्लामी देशों में गैर इस्लामियों को इस्लाम कबूलने के लिए वाध्य करना है वो चाहे जिस भी प्रकार से हो।इसमें साम, दाम, दंड, भेद; सब तरह के उपाय किए जा रहे हैं।विगत वर्षों में इसका सबसे ज्यादा प्रकोप नाइजीरिया, सोमालिया, सूडान, कांगो, इथियोपिया, CAR, एरिट्रिया तथा पूरे साहेल देशों में देखा जा सकता है।इन इस्लामियों ने मार काट , अतिक्रमण, अपहरण आदि से तबाही मचा रखी है।कहीं से सैकड़ों लड़कियों का अपहरण कर उसका यौन शोषण कर धर्मांतरण करते हैं तो कहीं तलवार, बंदूकें तथा बमों का डर दिखाकर उनको धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर देते हैं।इराक़ में यज़ीदियों का नरसंहार के उपरान्त इन इस्लामियों ने मध्य पूर्व में ईसाईयों तथा अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों का सामूहिक नरसंहार वर्षों से किया है और अभी भी चल रहा है जिसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग चूं तक नहीं कर रही है (read “Muted UNHRC Response Encouraging Islamic Genocide”, https://thecounterviews.com/articles/muted-unhrc-response-encouraging-islamic-genocide/)।उधर ईसाईयों के मसीहा माने जानें वाले रोम के पॉप भी कान में तेल डालकर सो रहे हैं।उन्हें ईसाईयों के विश्व भर में हो रहे नरसंहार से कोई लेना देना नहीं है बस अपनीं कुर्सी से चिपके, झूठी प्रसंशा से लिप्त ,खुश हैं। विश्व भर में इस्लामियों द्वारा किए जा रहे ईसाईयों के दमन से उन्हें शायद कोई लेना-देना नहीं है।

भारत में भी इस्लामी जूती चाटने वाले राजनितिक पार्टियों के शह पर चल रहे हिन्दुओं के सामूहिक धर्मांतरण के मामलों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए न कोई धर्मगुरु, न ही कोई संगठन या व्यक्ति है, अतः आज हर हिन्दू को स्वयं ही जूझना पड़ रहा है।मोदी सरकार को हिन्दुओं की चिंताएँ अवश्य हैं लेकिन कोंग्रेसियों द्वारा बनाया गया संविधान उन्हें किसी भी तरह के मजबूत कदम उठाने से रोक रहा है।इस्लाम का 'जिहाद-उद-दावा' से भारत में हिन्दुओं के डेमोग्राफी को लगातार बदलता जा रहा है।मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनाने के बावजूद भी नेहरू और कांग्रेस के षड्यंत्र ने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने नहीं दिया।उलटे मुसलमानों को न सिर्फ भारत में रहने दिया वल्कि उनके लिए अलग से मुस्लिम लॉ बोर्ड बना, व्यक्तिगत तथा सरकारी जमीन वक़्फ़ बोर्ड को देकर हिन्दुओं के लिए अनेकों समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। देश विभाजन के पश्चात भारत के ~9.4% मुसलमान अपनीं दिन दूनी रात चौगुनी जनसंख्याँ वृद्धि के चलते आज ~18% हो गए हैं। इतना ही नहीं, वे बांग्लादेशी तथा रोहिंग्या मुसलमानों को पनाह देने के लिए 'मुस्लिम वोट बैंक’ की राजनीति में लिप्त राजनितिक पार्टियों को भी वोट के लालच में उन्हें अवैध रूप से सरकारी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए वाध्य कर देते हैं जिससे उन घुसपैठियों को अवैध नागरिकता मिल जाती है। आज J&K को छोड़कर भी, देश के अनेकों राज्यों के १२ जिलों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं और दो और जिलों में जल्द ही अल्पसंख्यक हो जाएंगे और फिर अपने ही सरजमीं से पलायन को मजबूर कर दिए जाएंगे (read “भारत में बढ़ती मुस्लिम आवादी: एक खतरा”, https://thecounterviews.com/articles/increasing-indian-muslim-population-a-danger/)।

यह हिन्दुओं के लिए ग्लानि तथा विश्व के प्रतिष्ठित प्रजातांत्रिक, मानवाधिकार तथा धर्मपरस्त संस्थाओं के लिए लज्जा की बात है कि २१% जनसंख्याँ के धार्मिक कल्याण के लिए वे सब अब तक उदासीन हैं। आज मोदीराज में कुछ तो हिन्दू जन-जागरण हुआ है और लोगों ने आवाजें उठानी शुरू कर दी है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी धार्मिक आवादी के लिए एक भी राष्ट्र क्यों नहीं ? भारत क्यों न एक हिन्दू राष्ट्र घोषित हो (read “हिन्दू-राष्ट्र, संविधान और बाबा बागेश्वर”, https://thecounterviews.com/articles/hindu-rashtra-constitution-bageshwar/)?

भारतीय स्वतन्त्रता के लगभग ७५ सालोपरांत मोदीजी के नए भारत में जहां लोगों को अपनीं बात रखने की स्वतन्त्रता है, यह सवाल बार बार उठाया जा रहा है कि विभाजन विभीषिका के उपरान्त भी भारत को हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं बनाया गया ? जहाँ जिन्नाऔर अन्य शासक मुसलमानों के लिए इस्लामिक पाकिस्तान बनाने में सफल रहे वहीं गांधी,नेहरू, सरदार पटेल, आंबेडकर आखिर हिन्दुओं के प्रति क्यों उदासीन रहे ? गांधीजी तो हिन्दुओं के प्रति उन्हीं दिनों से असंवेदनशील थे जब मुसलमानों ने १९२१-२२ में मोपल्ला हिन्दू नरसंहार किया था। कांग्रेस केअध्यक्ष रहते हुए भी मुसलमानों के विरुद्ध वे कुछ नहीं बोले, न ही कुछ किया। स्वतन्त्रता से पूर्व उनहोंने देश का विभाजन कबूल कर लिया, मुसलमानों के हमदर्द बने रहे लेकिन हिन्दुओं के लिए कुछ भी नहीं किया।नेहरू जी तो मुसलमानों को अपना 'वोट बैंक' बनाने के लिए धर्म निरपेक्षता के मार्फ़त हिन्दुओं का सर्वस्व लुटा बैठे जिसका घाव हमें अभी तक नासूर बनकर तकलीफ दे रहा है (पढ़ें “विभाजन विभीषिका और भारतीय धर्म” https://articles.thecounterviews.com/articles/indian-partition-and-indian-religions/) । इस पर सरदार पटेल और आंबेडकर की चुप्पी समझ में नहीं आती।

भारत को हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र बनाने में मुसलमानों का अधिकतम विरोध होगा क्योंकि ISIS के आका अल-बगदादी द्वारा दिया गया उनके “विश्व इस्लामिक खलीफत” का स्वप्न टूट जाएगा जिसमें भारत भी शामिल है। स्वतंत्रोत्तर ~9.5% मुसलमान आज लगभग 18% हो गए हैं और यहाँ के हिन्दुओं के खिलाफ जिहाद तक छेड़ने के लिए तैयार हैं, हिन्दुओं का नरसंहार करने की भी धमकी देने लगे हैं। AIMIM के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने तो यहाँ तक कह दिया था कि "भारत से १५ मिनट के लिए पुलिस हटा लो तो मुसलमान हिन्दुओं का सफाया कर देंगे" और यहाँ के १०० करोड़ हिन्दुओं ने दब्बू बनकर इसे सुन भी लिया और सहन भी कर गए । हम 'क्षद्म धर्म-निरपेक्षता' से बुरी तरह जूझ रहे हैं।

मुसलमानों के बारे में एक कटु सत्य से ज्यादातर लोग अभी भी आँखें चुरा रहे हैं कि वे कभी भी हिन्दुओं के हितैषी न थे, न हैं और न रहेंगे । इसमें हम उन मुट्ठी भर 'अपवाद-स्वरुप' मुसलमानों की बात नहीं कर रहे हैं जो बहुत अच्छे हैं लेकिन वे भी अतिवादियों, जिहादियों या आतंकवादियों के खिलाफ अपनी जुबान नहीं खोलते। मुसलमानों को जब भी, जहाँ भी मौका मिलेगा अपना अधिपत्य जमा लेंगे और दुर्भाग्यवश उनके तलवे चाटने वाले बहुतों हिन्दू नेता और उनकी पार्टियां… चाहे वो लल्लू यादव का RJD, मुलायम यादव का समाजवादी, ममता का तृणमूल तथा कई अन्य… तैयार हैं। कम्युनिष्टों ने तो जिहादियों को अपने कैडर में भी शामिल कर लिया है और अब तो कांग्रेस भी खुले आम अतिवादियों और जिहादियों से साँठ-गाँठ कर लिया है (पढ़ें “Congress loses conscience, allies with Radical Muslims” https://articles.thecounterviews.com/articles/congress-rahul-radical-muslims-furfura-iuml-kerala-assam-bengal/) । स्वतंत्र भारत में भी हम मुसलमानों की बर्बरता कश्मीर में पंडितों के खिलाफ तथा भागलपुर, गोधरा, मुज़फ्फरनगर, तेलिनीपाड़ा व पूर्णियाँ जैसे अनेकों क्षेत्रों में हिन्दुओं के खिलाफ देख चुके हैं। वे हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा व्यक्त करने के लिए हिन्दुओं को या उनके गाँवों को ही जला देंगे और उनका कुछ भी नहीं होगा और ऐसे मामलों को हिन्दू-विरोधी नेताओं द्वारा रफा-दफा कर दिया जाएगा।वे भारत में ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से हिन्दुओं को पलायन करने के लिए बाध्य कर देंगे चाहे वह कश्मीर हो, मेवात या कैराना जैसे अनेकों क्षेत्र। वैसे यह बात और है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या से आए अवैध मुसलमानों को अपने बीच बसाने के लिए वे देश से गद्दारी तक कर लेंगे।

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने देने की खिलाफत सिर्फ मुस्लिम ही नहीं अपितु ईसाई भी करेंगे।यहाँ तक कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से रोकने के लिए कुछ राजनितिक दल जैसे कांग्रेस,TMC, कम्युनिस्ट, RJD, SP, एनसीपी आदि अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा देंगे ताकि उनका मुसलमान वोट बैंक बना रहे (read “India Diseased by Three Cancers...Communalism, Congress and Communism”, https://thecounterviews.com/articles/india-diseased-by-three-cancers-the-communalism-congress-and-communism/)। जहाँ एक ओर मुसलमानों से भारत व हिन्दुओं को हमेशा उनकी घृणा, असहिष्णुता, क्रूरता तथा लूट खसोट ही मिली वहाँ ईसाई आक्रांताओं का लूट व क्रूरता केअलावे एक हितकारी पक्ष भी था...आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा उन्नत तकनीकी का समावेश। ब्रिटिश सरकार और मिशनरी ईसाईयों ने ब्रिटिश तथा स्वतंत्र भारत में अनेकों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल तथा उन्नत वैज्ञानिक तकनीक का प्रचार-प्रसार भी किया। हिन्दुओं को उनसे सिर्फ एक ही बात की नाराजगी है कि वे हिन्दुओं को प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने में लगे हैं। पूर्वोत्तर के चार राज्य लगभग स्वतन्त्रता के पश्चात से ही ईसाई बाहुल्य हैं । उनका वर्चस्व पहले केरल में भी था किन्तु गत दो दशकों से यहाँ वे भी मुसलमानों के कट्टरपंथ से पीड़ित हैं और चुपचाप झेल रहे हैं। भारत को ईसाईयों से ज्यादा खतरा नहीं है, वे १९५१ में भी लगभग 5-6% थे और आज भी ~6% हैं। हाँ उनके पादड़ियों द्वारा देश के पिछड़े इलाकों में सामूहिक धर्मांतरण की गतिविधियाँ अवश्य बढ़ी थी जिसके चलते वजरंग दल ने उड़ीसा में उनपर छिट पुट हमला भी किया था। आजकल जगन रेड्डी और स्टालिन हिन्दू का चोला पहन कर अवश्य हिन्दू विरोधी गतिविधियों में लिप्त, ईसाई मिशनरियों को बढ़ावा दे रहे हैं जिसके लिए हमें सजग रहना होगा।

'हिन्दू राष्ट्र’ बन जानें से मुल्लों तथा ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरण की गतिविधियों पर अंकुश सा लग जाएगा जिसके लिए विदेशों से उन्हें अपार धन उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक सिर्फ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद् जब भी यदा कदा 'हिन्दू राष्ट्र' का जिक्र करती, इस बात पर राजनैतिक महाभारत सा छिड़ जाता था । मुसलमानों, ईसाईयों तथा उनके तलवे चाटने वाली राजनैतिक दलों के सीने पर मानो साँप लोट जाती थी । अब तो बाल ठाकरे द्वारा हिन्दुओं की रक्षा के लिए बनायी गयी 'शिव सेना' भी उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में सोनियाँ भक्ति में लीन मुसलमानों के ही तलवे चाट रही है। भला हो बाबा बागेश्वर का कि १३० करोड़ हिन्दुओं के लिए एक मात्र ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने के लिए एक प्रजातांत्रिक बहस शुरू हो गयी है जो हिन्दू जनमत को अवश्य गतिशील करेगा। कुछ लोग तो संविधान की भी दुहाई देंगे कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है।अभी तक जैसे १०५ संविधान संशोधन हो चुके हैं वैसे ही भारत को 'हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र ' बनाने के लिए एक और संशोधन करना पड़ेगा जिससे आगे का रास्ता प्रशस्त हो सके।

उधर अचानक हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देने से संभव है कि अतिवादी मुसलमानों के अलावे कुछ अतिवादी ईसाई समूह भी हिन्दुओं या भारत के प्रति कट्टरवाद या आतंकवाद में जुट जाएँ। तो यह माना जाना चाहिए कि हिन्दूराष्ट्र बनाने का यह कार्य बहुत ही मुश्किल और संवेदनशील होगा लेकिन देश व हिन्दू हित में इसे संपन्न करना ही पड़ेगा। यही एक मात्र तरीका है जिससे भारतीय धर्मावलम्बी सुरक्षित हो सकेंगे और देश का धार्मिक जनांकिकी (religious demography) व समीकरण संतुलित रह सकेगा। फिर हिन्दुओं को अपने ही सरजमीन से पलायन के लिए वाध्य नहीं होना पडेगा। यह हिन्दू राष्ट्र सभी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का ठीक उसी तरह पालन करेगा जैसे ४७ इस्लामी राष्ट्र या १६ ईसाई राष्ट्र करते हैं। हिन्दू राष्ट्र में मुसलामानों और ईसाईयों के लिए भी वे सारे प्रावधान होंगे तो इस्लामिक और ईसाई देशों में हिन्दुओं, सिखों, जैनों या बौद्धों के लिए है। अगर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार आयोग को इस्लामिक या ईसाई राष्ट्रों से कोई समस्या नहीं है तो १ मात्र हिन्दू राष्ट्र से भी नहीं होगा

अब समय आ गया है कि हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिख एक जुट हो जाएँ और “हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र” के लिए संघर्षरत हों जिसमें भारतीय धर्मावलम्बियों का वर्चस्व हो तथा अन्य लोगों का अहित भी न हो। भारत अब हिन्दुओं का अहित चाहनें वाले मुसलमानों, ईसाईयों तथा क्षद्म धर्म निर्पेक्षियों या धर्म विरोधी कम्युनिष्टों से डरकर नहीं रह सकता। स्वतन्त्रता उपरान्त ७५ वर्षों में हमआज मुसलमानों का जिहाद (जिहाद-अल-दावा और जिहाद-अल-निकाह) भुगत रहे हैं I भारत में इस्लामिक अतिवादियों एवं आतंकवादियों का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है।

हिन्दुओं का धीरे धीरे ह्रास होता जा रहा है जिसमें उनकी १९५१ की जनसंख्यां 86% से घटकर अब 78% के करीब आ गया है। हमारी धरती इस्लाम रूपी कैंसर से ग्रसित होता जा रहा है। हमारे मंदिर तोड़े जा रहे हैं, साधुओं की हत्याएँ हो रही है तथा इस्लामी धार्मिक कट्टरता बढ़ता ही जा रहा है। हमारी बहु-बेटियों पर लभ-जिहाद का खतरा बढ़ता जा रहा है (Combating Love-Jihad in India). मुसलमानों द्वारा उनकी अस्मिता लूटी जा रहीं हैं। यह सब हिन्दुओं का आत्म-सम्मान के विरुद्ध है। हिन्दुओं को अपनीं ही सरजमीं से बेदखल किया जा रहा है।

इस 'हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र' में हिन्दू, सिख, बौद्ध तथा जैन धर्मावलम्बियों के लिए निम्नलिखित मुख्य प्रावधान होंगे :-

  • वे भारत के मौलिक नागरिक होंगे तथा उन्हें किसी भी तरह अपने घरों से विस्थापित नहीं किया जा सकेगा।
  • उनकी धार्मिक जनांकिकी (religious demography) का ह्रास होने नहीं दिया जाएगा।
  • उनका अवैध रूप से धर्म परिवर्तन करने वालों को मृत्य दंड तक की सजा मिल सकती है।
  • स्वतन्त्रतोत्तर विभाजन पश्चात पलायित मुसलमानों और ईसाईयों की जमीन भारत सरकार अपने अधिकार में लेकर विदेशों से आए धार्मिक प्रताड़ित हिन्दुओं को देंगे ।
  • भारत के सभी पाठ्यक्रमों में सनातन धर्म सम्बन्धी मौलिक शिक्षा समाहित होंगी।
  • मुसलमानों द्वारा तोड़े या मस्जिदों में बदले गए हर मंदिरों का जीर्णोद्धार हो।
  • मुख्य मंदिर परिसरों में पुनः आध्यत्म शिक्षा, धर्म प्रवचन तथा बौद्धिक परामर्श की शुरुआत हो।
  • जिस तरह जनजातियों के सुरक्षा का प्रावधान संविधान में दिया गया है वैसा ही प्रावधान सभी हिन्दुओं को मुस्लिम वाहुल्य क्षेत्र में मिलेगा।
  • किसी भी विदेशी या बाहरी धर्म को भारत में किसी भी प्रकार का रूढ़िवादी गतिविधि नहीं करने दी जाएगी।
  • भारतीय धर्मों को अपमानित करने वाले गैर-हिन्दुओं के लिए विशेष सजा का प्रावधान हो।
  • पिछले १५०० वर्षों में मुसलमानों और अंग्रेजों द्वारा हिन्दू समाज में जो जाति व वर्ग विषमता उत्पन्न किए गए हैं उसे समाप्त कर हिन्दुओं में पुनः एकता लाई जाए।

भारत को ‘हिन्दू-राष्ट्र’ घोषित करना ही होगा। विश्व की ~21% की आवादी को धार्मिक प्रतिनिधित्व देने वाला कम से कम एक ‘हिन्दू-राष्ट्र’ तो होना ही चाहिए और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को भी कोई आपत्ति नहीं होगी… अपितु… इतने बड़े धार्मिक समूह को एक 'राष्ट्र धर्म' प्रतिनिधित्व देने में संयुक्त राष्ट्र को गर्व ही होगा। ( read “Shamefully Biased UN Human Rights Council”; Page-7; ) I यह सब भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार द्वारा ही संभव है। अब तो संसद के ऊपरी सदन में बहुमत होने के कारण इस संविधान-संशोधन विधेयक को पास करना मुश्किल नहीं होगा I वैसे मुसलमानों-ईसाईयों के तलवे चाटने वाली राजनैतिक पार्टियाँ अपनी एड़ी-चोटी का दम लगा देगी कि यह विधेयक किसी तरह से पास न हो। गत दो सालों से अधिकांश भारतीयों की मनसा रही है कि मोदी सरकार इस सम्बन्ध में कुछ संविधान संशोधन बिल संसद में पास कराएगी लेकिन गृह मंत्री जी की पहल नहीं हो रही है (पढ़ें "Urgent Issues being ignored at our Parliament” https://articles.thecounterviews.com/articles/urgent-issues-being-ignored-parliament/) I विश्व भर के हिन्दुओं को मोदी सरकार से काफी आशाएं हैं। बीजेपी ही एक ऐसी राजनैतिक पार्टी है जो हिन्दुओं का हितैषी हो सकती है। अब तो मोदी सरकार को भी सोशल मीडिया पर सलाह मिल रही है कि २०२४ लोक सभा चुनाव में हिन्दू मत पाने के लिए उसे अपने चुनावी संकल्प पत्र में 'हिन्दू राष्ट्र" स्थापना का वचन लेना होगा।

समय आ गया है कि भारत को एक "हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र" घोषित किया जाए। इसके लिए देश के समस्त हिन्दू बाबा बागेश्वर के सुर में सुर मिलाकर देश में जनमत बनाएँ और मोदी सरकार को वाध्य करें कि वे अगले चुनाव में भारत को एक 'हिन्दू राष्ट्र ' बनाने का संकल्प लें। इसपर जो जनतांत्रिक बहस होनी थी वह कमोवेश हो चुकी है।अब देश के बहुसंख्यकों की और अवहेलना नहीं की जा सकती है। यहाँ ऐसे लोगों को भी नागरिकता में प्राथमिकता दी जाए जिसके लिए कोई भी धर्म राष्ट्र नहीं है (जैसे पारसी)।

हाँ ! यहाँ के अल्पसंख्यकों को वो सारे अधिकार अवश्य देने चाहिए जो उनके ‘धर्म राष्ट्र’ (जैसे इस्लामिक या ईसाई) देशों में हिन्दुओं को दी जाती है।

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