Increasing Muslims

भारत में बढ़ती मुस्लिम आवादी: एक खतरा

विश्व जनसंख्याँ दिवस पर आज संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्याँ पूर्वानुमान का एक रिपोर्ट आया है कि साल २०२३ में भारत की आवादी चीन से भी ज्यादा हीनें वाली है। दरअसल यह पूर्वानुमान पूरे विश्व के लिए किया गया है जिसमें बताया गया है कि १५ नवम्बर २०२२ को विश्व की आबादी ८ अरब हो जाएगी। अकेले भारत की आवादी १.४ अरब होगी।

जनसंख्याँ वृद्धि के मुख्यतया दो कारण हैं, एक तो बढ़ती प्रजनन और दूसरे घटती मृत्यु दर।हालाँकि यह रिपोर्ट बताती है कि विश्व की औसत प्रजनन दर घट रही है लेकिन इसमें एक विषमता है। विश्व की प्रथम और तीसरी सबसे बड़ी धार्मिक समुदाय ईसाइयों और हिन्दुओं की प्रजनन दर तो घटती जा रही है, लेकिन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय मुसलामानों की जनसंख्याँ औरों के वनिस्पत लगभग 50% ज्यादा बढ़ रहा है। इस हिसाब से विश्व में मुसलामानों की प्रतिशत जनसंख्याँ लगातार बढ़ती जाएगी और ईसाई तथा हिन्दू प्रतिशत में घटते जाएंगे।इस बात को विश्व जनसंख्या रिपोर्ट छुपा रही है।

भारत की २०११ की जनगड़ना में यह बड़े साफ़-साफ़ बताया गया था कि मुसलामानों की ‘दस वार्षिकी जनसंख्याँ वृद्धि’ दर 24.6 प्रतिशत और हिन्दुओं की 16.76 प्रतिशत थी। सीधे शब्दों में मुसलामानों की जनसंख्याँ हिन्दुओं के वनिस्पत डेढ़ गुनी गति से बढ़ती जा रही है और यह सब लगभग १९७० से ही होता आ रहा है। यही कारण है कि स्वतन्त्रता पश्चात देश के 9.8% मुसलमान २०११ में 14.2% थे। आज अगर अनुमान लगाएँ तो अवैध रूप से आए बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलामानों को अवैध तरीके से नागरिकता प्रदान करवानें के फलस्वरूप आज के दिन भारत में लगभग 18% मुसलमान होंगे। वहीं दूसरी ओर जहाँ १९५१ में 85% हिन्दू थे वे आज के दिन घट कर 76% के बराबर रह गए हैं। यह तो पूरे देश का औसत दर है लेकिन उन राज्यों, जिलों और क्षेत्रों का क्या होगा जहाँ बहुसंख्यक मुसलामानों के बीच हिन्दू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं ? देखे इस टेबल को।

आने वाले समय में देश के बहुतों जिलों और क्षेत्रों में मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएंगे।फिर वहाँ हिन्दुओं का क्या होगा ? आज के दिन में कश्मीर में हिन्दुओं के खिलाफ जिहाद चल रहा है इसीलिए वहाँ से पलायन कर रहे हैं। यही हाल बंगाल और केरल के उन क्षेत्रों में है जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक हो गए हैं। आज के दिन जम्मू कश्मीर के अलावे भारत के १२ जिलों में मुसलमान बहुसंख्यक हो गए हैं और आने वाले कुछ सालों में १४ जिले हो जाएंगे। यह बात और है कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच मुसलमान बेखौफ रहते हैं लेकिन मुस्लिम बहुसंख्यकों के बीच हिन्दू खौफजदा रहते हैं, उनकी अस्मिता खतरे में होती है और अक्सर पलायन पर मजबूर हो जाते हैं जैसे कश्मीर, कैराना, मेरठ, मुर्शिदाबाद और मामल्लापुरम आदि में हो रहा है। (पढ़ें‘भारत में हिन्दू असहाय क्यों’ https://articles.thecounterviews.com/articles/hindu-helpless-in-india/) I

यह अवश्य ही कॉंग्रेस के ७० सालों का हिन्दू विरोधी नीतियों का दुष्परिणाम है कि भारत में ही हिन्दू असुरक्षित होते जा रहे हैं। अभी हाल के महीनों और वर्षों की तरफ नजर डालें तो मुसलामानों की क्रूरता बढ़ती ही जा रही है। अभी राजस्थान में जिहादियों ने एक व्यक्ति का सर काट डाला। कुछ महीनें पहले इन्होंने राजस्थान में ही श्रीराम जन्म महोत्सव में हिन्दुओं के शोभा-यात्रा पर पथराव किए थे। नागरिकता क़ानून के विरोध में इन्होंनें मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में गंद मचा रखा था। अभी झारखंड में मुस्लिम बाहुल्य कुछ इलाके में सरकारी विद्यालयों के नाम सरकार की अनुमति वगैर ही 'उर्दू स्कूल' में बदल दिए गए। वहाँ रविवार के जगह शुक्रवार को जुमें की छुट्टी रख दी गयी। प्रार्थना में बच्चों को हाथ जोड़ने से मना कर दिया गया।यह सब बढ़ते मुस्लिम जनसंख्याँ का प्रभाव है।

जिन-जिन राज्यों में गैर-बीजेपी शासन है वहाँ मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के तहत इन्हें हिन्दुओं को प्रताड़ित करने की लगभग आजादी सी मिल जाती है। आज कई मायनों में जिहादियों की तुलना राक्षसों से होती है। फिर इन राक्षसों का संहार क्यों न हो (पढ़ें ‘इस्लाम और राक्षसी प्रवृत्ति’ https://articles.thecounterviews.com/articles/islam-demonic-culture/) I इसीलिए यह एक तथ्य है कि बढ़ती मुस्लिम आवादी से बढ़ते ‘मुस्लिम बाहुल्य इलाके’ हिन्दुओं के लिए खतरे की घंटी है। मुसलमान तो चाहते ही हैं कि पूरे विश्व में इस्लाम फ़ैल जाए।वे चाहते हैं कि हर देश में मुसलामानों की जनसंख्याँ इतनी बढ़ जाए कि उसे इस्लामी देश घोषित किया जा सके और इसीलिए आज विश्व में इस्लामी देशों की संख्याँ ५७ हो गयी है। यह चाल उनकी 'विश्व इस्लामी खलीफत' के तरफ बढ़ता कदम है। याद रहे विगत दसकों और शतकों में जब भी भारत में मुसलामानों की आवादी बढ़ी है, उन्हों ने भारत का विभाजन किया है जैसे अफगानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश। इसे तो रोकना ही होगा। लेकिन कैसे ???

एक ही रास्ता है भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किया जाए जहाँ शांतिप्रिय हिन्दुओं को कुछ ऐसे विशिष्ट अधिकार दिए जाएँ कि जिहादी समूह उनपर हमले करने से डरें, ठीक उसी तरह जैसे पिछड़ी जातियों के लिए न्याय व्यवस्था है (पढ़ें ‘भारत एक हिन्दू राष्ट्र क्यों न हो’ https://articles.thecounterviews.com/articles/india-hindu-nation-rashtra-indian-religions/) । पिछले लगभग दो सालों से गृह मंत्री अमित शाह शायद किसी उलझन में हैं कि उन्हें मुसलामानों की जनसंख्याँ वृद्धि, भारत का बदलता धार्मिक स्वरुप (religious demography), जिहाद का बढ़ता खतरा और हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना नहीं दीख रहा। उनके लिए तीन कार्य अत्यावश्यक हैं। एक तो ‘समान आचार संहिता’, दूसरे ‘जनसंख्याँ नियामक क़ानून’ और तीसरे सबसे महत्वपूर्ण, भारत को एक ‘हिन्दू (या भारतीय धर्म ) राष्ट्र’ घोषित करना। भारत को किसी भी तरह हिन्दुओं का एक मात्र राष्ट्र घोषित करना ही होगा तभी वे जिहादियों जैसे राक्षसों से सुरक्षित रह पाएंगे।

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