भारत एक ‘हिन्दू-राष्ट्र’ हो
मुसलामानों की जूती चाटने वाले राजनैतिक दलों के ७० साल की कुनीति के कारण १९५१ के ~9.5% मुसलमान आज लगभग 17% से ज्यादा हो गए हैं और उसी अनुपात में हिन्दुओं की प्रतिशत घटती जा रही है। अगर भारत का आधिकारिक जनसंख्याँ सर्वेक्षण रिपोर्ट देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि मुसलमानों की जनसंख्याँ वृद्धि हिन्दुओं के 150% ज्यादा है। इसके अलावे विगत की कांग्रेस की 'मुसलमान वोट बैंक' की तुष्टीकरण की कुनीति के कारण आज लगभग ५ से ६ करोड़ बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान भी अनधिकृत तौर से भारत में आ कर बस गए हैं और भ्रष्ट अधिकारियों की सहायता से फर्जी दस्तावेज बनवाकर भारतीय निवासी होने का झूठा दावा कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर को छोड़कर भी आज भारत के १२ जिलों में हिन्दू अल्पमत में आ गए हैं। इनकी संख्याँ इतनी बढ़ गयी है कि ये हिन्दुस्तान में ही हिन्दुओं को धमकियाँ देने लगे हैं। और हिन्दुओं की कायरता देखिए , वे चुप हैं। उनकी गीदड़ भभकी से डर कर पलायन कर जाते हैं। यह किसी भी तरह बर्दास्त के परे है। समय आ गया है कि सबसे पहले इन्हीं से निबटा जाए।
याद रहे कि भारत का विभाजन मुसलमानों के लिए ही किया गया था। पाकिस्तान तो इस्लामी राष्ट्र बन गया जहाँ से आने वाली दशकों में हिन्दुओं और सिखों का लगभग सफाया कर दिया गया और हमारे कोंग्रेसी सरकार और नेता मूक बनी बैठी रही, हिन्दुओं का अपमान सहती रही। नेहरू और कांग्रेस की मुस्लिम चाटुकारिता देखिए… भारत में मुसलामानों को इतना बढ़ावा दिया गया कि वे दिन दूनी रात चौगुनी आबादी बढ़ाते गए। पिछले सात दशकों से उनकी जनसंख्याँ पाँच गुना बढ़ गयी है जबकि हिन्दू सिर्फ ३ गुना बढ़े हैं।
विश्व में हर धर्मावलम्बियों के लिए एक या अधिक ऐसे राष्ट्र है जो उस धर्म विशेष को राष्ट्र धर्म मानता है।इसमें सिर्फ एक अपवाद है विश्व का तीसरा सबसे बड़ा 'हिन्दू धर्म' और उसकी शाखाएँ जिसे आम तौर से "भारतीय धर्म" के नाम से बुलाते हैं। आज सबसे बड़ा धर्म समूह ईसाई है (32%)।उसके बाद इस्लाम आता है जो लगभग विश्व का 23% है और तलवार तथा जिहादी आतंक के बल पर लगातार बढ़ता चला जा रहा है। तीसरा सबसे बड़ा धर्म हिन्दू है जो लगभग 13% है।
अगर हिन्दू धर्म के अन्य शाखाओं जैन, बौद्ध और सिख को भी इसमें मिला दें तो भारतीय धर्मावलम्बी विश्व में लगभग 20-21% हो जाते है । भारतीय धर्मावलम्बियों में एकता की कमी तथा नेहरू इंदिरा व कॉंग्रेस की वोट बैंक राजनीति के कारण भारत को हिन्दू या भारतीय धर्म का राष्ट्र बनने नहीं दिया। विडम्बना देखिए कि आज विश्व में एक धर्म विशेष को "राष्ट्र धर्म" मानने वालों में 32% ईसाईयो के लिए १६ देश, 23% इस्लाम के लिए ५७ देश, ~5% बौद्धों के लिए ३ देश और 0.02% यहूदियों के लिए १ देश हैं लेकिन 13% हिन्दुओं या 21% 'भारतीय धर्म के लिए ? ठन-ठना-ठन। एक देश भी नहीं।
यह हिन्दुओं के लिए ग्लानि की बात है तथा विश्व के प्रतिष्ठित प्रजातांत्रिक, मानवाधिकार तथा धर्मपरस्त संस्थाओं के लिए लज्जा की बात है कि २१% जनसंख्याँ के धार के लिए वे सब अब तक उदासीन क्यों हैं। आज मोदीराज में कुछ तो हिन्दू जन-जागरण हुआ है और लोगों ने आवाजें उठानी शुरू कर दी है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी धार्मिक आवादी के लिए एक भी राष्ट्र क्यों नहीं ? भारत क्यों न एक हिन्दू राष्ट्र घोषित हो ? (पढ़ें भारत एक हिन्दू राष्ट्र क्यों हो या क्यों नहीं हो ? https://articles.thecounterviews.com/articles/india-hindu-nation-rashtra-indian-religions/) I
भारतीय स्वतन्त्रता के लगभग ७५ सालोपरांत मोदीजी के नए भारत में जहां लोगों को अपनीं बात रखने की स्वतन्त्रता है, यह सवाल बार बार उठाया जा रहा है कि विभाजन विभीषिका के उपरान्त भी भारत को हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं बनाया गया ? नेहरू जी मुसलामानों के लिए 'वोट बैंक' की गंदी राजनीति खेलने में क्यों सफल हो गए जहाँ जिन्ना मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनाने में सफल रहे वहीं गांध'ी, नेहरू, सरदार पटेल, आंबेडकर आखिर हिन्दुओं के प्रति क्यों उदासीन रहे ? गांधीजी तो हिन्दुओं के प्रति उन्हीं दिनों से असंवेदनशील थे जब मुसलामानों ने १९२१-२२ में मोपल्ला हिन्दू नरसंहार किया था। कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए भी मुसलामानों के विरुद्ध वे कुछ नहीं बोले, न ही कुछ किया। स्वतन्त्रता से पूर्व उनहोंने देश का विभाजन कबूल कर लिया, मुसलामानों के हमदर्द बने रहे लेकिन हिन्दुओं के लिए कुछ भी नहीं किया। नेहरू जी तो मुसलामानों को अपना 'वोट बैंक' बनाने के लिए हिन्दुओं का सर्वस्व लुटा बैठे जिसका घाव हमें अभी तक नासूर बनकर तकलीफ दे रहा है ( विभाजन विभीषिका और भारतीय धर्म Ihttps://articles.thecounterviews.com/articles/indian-partition-and-indian-religions/) । सरदार पटेल और आंबेडकर की चुप्पी समझ में नहीं आती।
भारत को हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र बनाने में मुसलामानों का अधिकतम विरोध होगा क्योंकि उनके “विश्व इस्लामिक खलीफत” का स्वप्न टूट जाएगा जिसमें भारत भी शामिल है। स्वतंत्रोत्तर 9.4% मुसलमान आज लगभग 18% हो गए हैं और यहाँ के हिन्दुओं के खिलाफ जिहाद तक छेड़ने के लिए तैयार हैं, हिन्दुओं का नरसंहार करने की भी धमकी देने लगे हैं। AIMIM के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया था कि "भारत से १५ मिनट के लिए पुलिस हटा लो तो मुसलमान हिन्दुओं का सफाया कर देंगे" और यहाँ के १०० करोड़ हिन्दुओं ने इसे सुन भी लिया और सहन भी कर गए । हम 'क्षद्म धर्म-निरपेक्षता' से बुरी तरह जूझ रहे हैं।
मुसलामानों के बारे में एक कटु सत्य से ज्यादातर लोग अभी भी आँखें चुरा रहे हैं कि वे कभी भी हिन्दुओं के हितैषी न थे, न हैं और न रहेंगे । इसमें हम मुट्ठी भर, थोड़े से 'अपवाद-स्वरुप' उन मुसलमानों की बात नहीं कर रहे हैं जो बहुत अच्छे हैं लेकिन वे भी अतिवादियों, जिहादियों या आतंकवादियों के खिलाफ अपनी जुबान नहीं खोलते। मुसलामानों को जब भी, जहाँ भी मौका मिलेगा अपना अधिपत्य जमा लेंगे और दुर्भाग्यवश उनके तलवे चाटने वाले बहुतों हिन्दू नेता और उनकी पार्टियां… चाहे वो लल्लू यादव का RJD, मुलायम यादव का समाजवादी, ममता का तृणमूल तथा कई अन्य… तैयार हैं। स्वतंत्र भारत में ही हम मुसलमानों की बर्बरता कश्मीर में पंडितों के खिलाफ तथा गोधरा, तेलिनीपाड़ा व पूर्णियाँ जैसे अनेकों क्षेत्रों में हिन्दुओं के खिलाफ देख चुके हैं। वे हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा व्यक्त करने के लिए हिन्दुओं को या उनके गाँवों को ही जला देंगे और उनका कुछ भी नहीं होगा, मामला को हिन्दू विरोधी नेताओं द्वारा रफा-दफा कर दिया जाएगा। वे भारत में ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से हिन्दुओं को पलायन करने के लिए बाध्य कर देंगे चाहे वह कश्मीर हो या कैराना जैसे अनेकों क्षेत्र। वैसे यह बात और है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या से आए अवैध मुसलामानों को अपने बीच बसाने के लिए वे देश से गद्दारी तक कर लेंगे।
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने देने की खिलाफत सिर्फ मुस्लिम ही नहीं अपितु ईसाई भी करेंगे। जहाँ एक ओर मुसलामानों से भारत व हिन्दुओं को हमेशा उनकी घृणा, असहिष्णुता, क्रूरता तथा लूट खसोट ही मिली वहीं ईसाई आक्रांताओं का लूट व क्रूरता के अलावे एक हितकारी पक्ष भी था...आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा उन्नत तकनीकी का समावेश। ब्रिटिश सरकार और मिशनरी ईसाईयों ने ब्रिटिश तथा स्वतंत्र भारत में अनेकों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल तथा उन्नत वैज्ञानिक तकनीक का प्रचार प्रसार भी किया। हिन्दुओं को उनसे सिर्फ एक ही बात की नाराजगी है कि वे हिन्दुओं को प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने में लगे हैं। पूर्वोत्तर चार राज्य ईसाई बाहुल्य हैं। उनका वर्चस्व पहले केरल में भी था किन्तु गत दो दशकों से यहाँ वे भी मुसलामानों के कट्टरपंथ से पीड़ित हैं और चुपचाप झेल रहे हैं। 'हिन्दू राष्ट्'र बन जानें से मुल्लों तथा ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरण की गतिविधियों पर अंकुश सा लग जाएगा जिसके लिए विदेशों से उन्हें अपार धन उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक सिर्फ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद् यदा कदा 'हिन्दू राष्ट्र' का जिक्र करती रही है और इस बात पर राजनैतिक महाभारत का युद्ध सा छिड़ जाता है। मुसलामानों, ईसाईयों तथा उनके तलवे चाटने वाली दलों के सीने पर मानो साँप लोट जाती है। अब तो बाल ठाकरे द्वारा हिन्दुओं की रक्षा के लिए बनायी गयी 'शिव सेना' भी उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में सोनियाँ भक्ति में लीन मुसलामानों के ही तलवे चाट रही है।
उधर अचानक हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देने से संभव है कि अतिवादी मुसलमानों के अलावे कुछ अतिवादी ईसाई समूह भी हिन्दुओं या भारत के प्रति कट्टरवाद या आतंकवाद में जुट जाएँ। तो यह माना जाना चाहिए कि हिन्दू राष्ट्र बनाने का यह कार्य बहुत ही मुश्किल और संवेदनशील होगा लेकिन देश व हिन्दू हित में इसे संपन्न करना ही पड़ेगा। यही एक मात्र तरीका है जिससे भारतीय धर्मावलम्बी सुरक्षित हो सकेंगे और देश का धार्मिक जनांकिकी (religious demography) व समीकरण संतुलित रह सकेगा। फिर हिन्दुओं को अपने ही जमीन से पलायन के लिए वाध्य नहीं होना पडेगा।
अब समय आ गया है कि हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिख एक जुट हो जाएँ और “हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र” के लिए संघर्षरत हों जिसमें भारतीय धर्मावलम्बियों का वर्चस्व हो तथा अन्य लोगों का अहित भी न हो। इसमें कोई दो राय नहीं कि इससे मुसलमान, ईसाई तथा उनके तलवे चाटने वाले राजनैतिक दलों के नेता बहुत क्षुभ्ध होंगे। भारत अब हिन्दुओं का अहित चाहनें वाले मुसलमानों, ईसाईयों तथा क्षद्म धर्म निर्पेक्षियों या धर्म विरोधी कम्युनिष्टों से डरकर नहीं रह सकता। स्वतन्त्रता उपरान्त ७५ वर्षों में हम आज मुसलमानों का जिहाद (जिहाद-अल-दावा और जिहाद-अल-निकाह) भुगत रहे हैं I भारत में इस्लामिक अतिवादियों एवं आतंकवादियों का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। उधर इसाई मिशनरी भी अपने धर्मान्तरण की गतिविधियों का हिन्दुओं के कुछ गुटों द्वारा विरोध करने के उपरान्त क्षुभ्ध हैं।
हिन्दुओं का ह्रास होता जा रहा है जिसमें उनकी जनसंख्यां 86% से घटकर अब 78% के करीब आ गया है। हमारी धरती इस्लाम रूपी कैंसर से ग्रसित होता जा रहा है। हमारे मंदिर तोड़े जा रहे हैं, साधुओं की हत्याएँ हो रही है तथा धार्मिक कट्टरता बढ़ता ही जा रहा है। हमारी बहु-बेटियों पर लभ-जिहाद का खतरा बढ़ता जा रहा है (Combating Love-Jihad in India; https://www.researchgate.net/publication/348350403_Combating_'Love_Jihad'_in_India?_sg%5B0%5D=za2r0dz7AQpvnRFnbWfdSLTo0vmZyLPJrc7N4wApJKVMSdY045qG_jvoOpqVs6oPwPzA_yh9nqqQlYtDdokufM6vlyIVddLeqsFZzPVB.gFOUMu1_ZdjHV4BSFDI53gUOtgsQlEqG5aq-MIPh6UmVsq67LERxKKl6C0O4I5trbY70OW3-6o7C5V8wqYr4kw). मुसलमानों द्वारा उनकी अस्मिता लूटी जा रहीं हैं। यह सब हिन्दुओं का आत्म-सम्मान के विरुद्ध है। हिन्दुओं को अपनीं ही सरजमीं से बेदखल किया जा रहा है।
भारत को ‘हिन्दू-राष्ट्र’ घोषित करना ही होगा। विश्व की 21% की आवादी को प्रतिनिधित्व देने वाला एक ‘हिन्दू-राष्ट्र’ तो होना ही चाहिए और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को भी कोई आपत्ति नहीं होगी… वरन… इतने बड़े धार्मिक समूह को एक 'राष्ट्र धर्म' प्रतिनिधित्व देने में गर्व ही होगा। (Shamefully Biased UN Human Rights Council; Page-7; https://www.researchgate.net/publication/354753650_Shamefully_Biased_UN_Human_Rights_Council). यह सब भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार द्वारा ही संभव है।अब तो संसद के ऊपरी सदन में बहुमत होने के कारण इस संविधान-संशोधन विधेयक को पास करना मुश्किल नहीं होगा I वैसे मुसलमानों-ईसाईयों के तलवे चाटने वाली राजनैतिक पार्टियाँ अपनी एड़ी-चोटी का दम लगा देगी कि यह विधेयक किसी तरह से पास न हो। गत दो सालों से अधिकांश भारतीयों की मनसा रही है कि मोदी सरकार इस सम्बन्ध में कुछ संविधान संशोधन बिल संसद में पास कराएगी लेकिन गृह मंत्री जी की पहल नहीं हो रही है (पढ़ें "Urgent Issues being ignored at our Parliament” https://articles.thecounterviews.com/articles/urgent-issues-being-ignored-parliament/). विश्व भर के हिन्दुओं को मोदी सरकार से काफी आशाएं हैं।बीजेपी ही एक ऐसी राजनैतिक पार्टी है जो हिन्दुओं का हितैषी हो सकती है।समय आ गया है कि भारत को एक "हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र" घोषित किया जाए।