अगर “अन्नदाता किसान दलाल” आंदोलन-जीवी तो ‘प्राण-रक्षक डॉक्टर’ क्यों नहीं ?
आज पंजाब के अमीर किसान और उनके बिचौलिए / दलाल सड़क पर हैं क्योंकि उनकी खालिस्तानी समर्थन मान सरकार ने उन्हें ऐसा करने को कहा है जिससे केंद्र सरकार का २०२४ के लोक सभा चुनाव के पहले कुछ किरकिरी हो सके। यह तो सर्व विदित है कि खेती और किसानी सदैव से राज्य सरकार का मामला रहा है। लाखों किसानों ने विगत में अपनी परेशानियों से त्रस्त होकर आत्महत्याएँ कीं हैं। किसानों की आत्महत्याएँ विगत में केंद्र और राज्यों में कांग्रेस सरकारों के लिए आम बात थी। कांग्रेस की सरकारों ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया।
UPA-I के अंतिम दिनों में जब यह लगभग तय हो गया था कि जनता कांग्रेस को उखाड़ फेंकेगी तो सोनियां गांधी के इशारे पर मनमोहन सिंह ने एक चाल चली जिसमें देश भर के किसानों की कर्जमाफी थी। UPA की सरकार तो पुनः आई लेकिन कर्जमाफी सिर्फ गिने चुने किसानों का ही हुआ जिनकी आस्थाएँ कांग्रेस के साथ थी। सरकार ने एक जबरदस्त राजनितिक दाँव खेला था जिसे जनता व किसान समझ नहीं पाए। किसानों की आत्महत्याएँ जारी रही। किसानों की दयनीय अवस्था को बेहतर बनाने के लिए गठित स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को मनमोहन सिंह की सरकार ने ठन्डे बास्ते में फेंक दिया था । कोई कार्यवाही नहीं हुई। उधर कर्जमाफी रूपक हथियार कांग्रेस के हाथ लग गया और चुनाव जीतने के लिए वे इसका इस्तेमाल वे अपने चुनावी घोषणा-पत्र में करते रहे लेकिन वह वादा निभाया कभी नहीं। नहीं तो आज किसी भी किसान पर कर्ज नहीं होता।
जब मोदी सरकार २०१४ में आयी तो किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए बहुतेरे कदम उठाए और उसका फायदा भी होने लगा। कांग्रेस और कम्युनिस्ट को इससे पेट में दर्द होने लगा। उन्हीं दिनों भारत के सारे किसानों को फसल का उचित दाम दिलाने के लिए क़ानून लाए गए जिसमें उनको अपना जायदाद खुले बाजार में ऑनलाइन बेचने की छूट दी गयी। पंजाब और हरियाणा के बिचौलिए किसानों को यह कतई मंजूर नहीं था जिससे वे आंदोलन पर तब तक बैठे रहे जबतक सरकार ने इन कानूनों को वापस नहीं ले लिया (पढ़ें "छोटे और मझौले भारतीय किसानों के खून चूसने वाले दलाल", https://thecounterviews.in/articles/farmers-protest-middlemen-dalaal-farm-acts/) और "Incompetance of Modi Govt in Handling Farm Acts”, https://thecounterviews.in/articles/indian-govt-farmers-act-farm-protest-middlemen-modi-minister-incompetant/) I उसी समय यह भी तय हुआ था की फसल की समर्थन मूल्य के लिए देश के सारे राज्यों के किसान संगठन सरकार के साथ बैठकर तय करेंगे। लेकिन पंजाब हरियाणा के किसान नेता ने कभी उन बैठकों में भाग नहीं लिया। नतीजा हमारे सामने है। मोदी सरकार को झुकानें के लिए कांग्रेस और कम्युनिस्टों के सह पर चलने वाले किसान के दलाल नेता फिर धरनें पर बैठने के लिए दिली कूंच करने के लिए संघर्षरत हैं। वे अपने अपने ट्रेक्टर से सडकों को अवरुद्ध कर रहे हैं।
‘प्राण-रक्षक डाक्टरों ’ का प्रण
आजकल देश के डॉक्टरों का एक काल्पनिक तबका किसान दलालों व किसानों की दबंगई से सबक लेकर वैसा ही कुछ करने की सोच रहा है चाहे वह प्रतीकात्मक ही क्यों न हो। आइए हम डॉक्टरों की किसान रूपी दबंगई पर नजर डालें (the texts are from an online forward) :-
" मैं एक डॉक्टर हूं और जनता के हिसाब से मैं एक प्राणदाता हूं । मेरी भी मोदी सरकार से कुछ गुजारिश है ।
1. मेरी सरकार से विनती है कि हमें Minimum Consultation Price ( MCP) 1000 रुपया प्रति मरीज दिलवाया जाए और इसके लिए जल्द से जल्द केन्द्र सरकार कानून बनाए । यह बात और है कि खेती और किसानी के तरह ही स्वास्थ्य सेवा राज्य सरकार की जिम्मेवारी है।
2. सरकार हम डॉक्टर्स को Minimum Monthly Salary ( MMS) 3 लाख रुपए प्रति महीने देने की गारंटी देवें । इतनी महंगाई में खर्चा चलाना मुश्किल है ।
3. मुझे अस्पताल चलाने के लिए मुफ्त बिजली , पानी , जेनरेटर उपलब्ध करवाया जाए ।
4. मैंने अपनी पढ़ाई के लिए जितना भी बजाज फाइनेंस और अन्य बैंकों से लोन लिया है उसे आज ही माफ किया जाए ।
5. क्योंकि मैं एक प्राणदाता हूं और मेरा महत्व अन्नदाता से ज्यादा है इसलिए मेरी सभी आय को कर-मुक्त किया जाए ।
6. सभी प्राणदाताओं को 60 वर्ष के उम्र के पश्चात पेंशन मिलनी चाहिए क्योंकि हमने अपने जीवन में हजारों जाने बचाई हैं ।
7. मेरे ऊपर लगे आज तक के सभी negligence और अन्य तरह के मुकद्दमें हटा लिए जाएं और मुझे बाइज्जत बरी किया जाए ।
8. सरकार हमारी यूनियन से बात कर सकती है लेकिन कोई भी फैसला हम या हमारी यूनियन ही लेगी, सरकार नहीं।
अगर हमारी मांगे नहीं मांगी गई तो हम सभी डॉक्टर्स अपने अपने ऑपरेशन टेबल से सडकों को अवरुद्ध कर अपनी मर्सिडीज और range rover लेकर दिल्ली का घेराव कर देंगे और पूरी जिम्मेवारी सरकार की होगी ।
सान्निध्य :-
अखिल भारतीय प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन