अखिल विश्व गायत्री परिवार, आर्य समाज, ब्रह्म समाज, ब्रह्म कुमारी, ISKON, चिन्मय मिशन, दुर्गा वाहिनी, कांची कामकोटि पीठम्, माता अमृतमयी मठ, रामकृष्ण मिशन आदि संस्थाओं का दृष्टिकोण कुछ संकुचित सा, हिन्दू धर्म की सिर्फ उन धार्मिक विधाओं और विचारों को लेकर चलतीं है जिनका वे समर्थन करतीं हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय जागरण का एक बहुत ही सशक्त संस्था है जो आम तौर से राष्ट्रीयता का बोध कराए अनेकों कल्याणकारी कार्यों में लगा है। लेकिन यह सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही नहीं अपितु अन्य धर्मावलम्बियों के लिए भी काम करता है। वैसे इनकी पहुँच व्यापक है जो अक्सर बीजेपी के चुनाव प्रसार में सहायक होता है और इसीलिए अन्य हर अन्य राजनितिक दलों को आरएसएस से सख्त चिढ़ है, हमेशा उसे बदनाम करने में ही लगे रहते हैं । सिर्फ विश्व हिन्दू परिषद् एक ऐसी संस्था है जो हिन्दू धर्म, मर्म व कल्याण के अलावे हिन्दू राजनीति जागरण से भी प्रेरित है। यह एक ऐसी संस्था है जो हिन्दुओं की आशाओं और अभिलाषाओं का द्योतक हो सकता है। इसके लिए इन्हें हिन्दुओं की सारी संस्थाओं को एकजुट कर आगे बढ़ना होगा जिसका इन्होंनें अपने अस्तित्व के ५५ सालों में कोई दृढ प्रयास नहीं किया है। इनके नेतृत्व में दूरदर्शिता की थोड़ी कमी लगती है। भारत में अभी भी विहिप (VHP) को कम लोग ही जानते हैं। आज के इंटरनेट युग में भी इनकी पहुँच सिमित है। आम हिन्दू इनसे जुट नहीं सकते, अपना दृष्टिकोण साझा नहीं कर सकते, ये भी बस अपने आप में ही मगन प्रतीत होते हैं । पूरे हिन्दू समाज को लेकर चलने की VHP में न तो मनसा दिखाई देती है न ही प्रयास। जिस तरह हिन्दू सम्प्रदाय में आपसी मतभेद के चलते शताब्दियों से आपसी एकता की कमी रही है उसी तरह ये मुट्ठी भर हिन्दू संगठन भी आपस में एकता की कमी के अभाव में बिखरे से प्रभावहीन हैं।
उधर दो एक ऐसी संस्थाएँ भी हैं जो कभी कभार हिन्दुओं पर अत्याचार का विरोध करती हैं जैसे बजरंग दल एवं श्रीराम सेना।लेकिन ये छोटी मोटी समस्याओं में ही उलझे व संघर्षरत है।अगर आज मुसलमानों का जिहादी गुट तलवार उठा ले (जिसकी वे अक्सर धमकी भी देते हैं) तो ये छिटपुट समूह बेअसर रहेंगे और प्रशासनिक क़ानून व्यवस्था की तो बात करना ही बेमानी होगी। राजनीति से लिप्त पुलिस तो 'मुसलमान वोट बैंक' का ही साथ देगी। ऐसी संभावना है कि बेचारे शांतिप्रिय हिन्दू गाजर-मूली की तरह अपने ही देश में काट-मार दिए जाएंगे। इन सब के अलावे भी आज उभरते हिन्दू समाज को नीचा दिखाने के लिए कुछ इस्लामी और बामपंथी संस्थाएँ दुष्प्रचार में भी लगीं हैं (पढ़ें “Hate against Hindu, Hinduism and Hindutva” https://articles.thecounterviews.com/articles/hate-against-hindu-hinduism-hindutva/) . सच कहूँ तो आज हिन्दू अपने धर्म और आस्था से इतने परे हो गए हैं कि ये स्वयं भी जुड़ना नहीं चाहते। स्वतन्त्रता के ७० साल बाद ही सही, तथा-कथित हिन्दूवादी मोदी सरकार ने भी इस विषय पर अपनीं तन्मयता नहीं दिखाई है। आज सरलतम रूप से पूरे हिन्दू समाज को अपनी आस्था व अध्यात्म से जोड़ने की परम आवश्यकता है।
हिन्दू समस्याएँ व उनका समाधान
हिन्दू विचारधारा एक बहुत ही मजबूत मानव धर्म सतम्भ रही है। धर्म व आस्था से कहीं अधिक हिंदुत्व एक जीवनशैली है और इसीलिए मुस्लिम व अंग्रेज आक्रांताओं से यह बच सका। हिन्दुओं की मध्यकालीन वर्ण व्यवस्था में कुरीतियों की वजह से हममें सदैव से एकता की कमी रही है और इसका नुकसान हमें बार-बार उठाना पड़ा है।यह रूढ़िवादी वर्ण व्यवस्था आज भी हमारी एकता के राह में अवरोध बना पड़ा है। मनुस्मृति की अत्यधिक भेदभावपूर्ण वर्ण-व्यवस्था आज के इक्कीसवीं सदी में हमें अमान्य है, इसका संशोधन आवश्यक है। आज 'हिन्दू एकता' की परमावश्यकता है अतः हमारे शीर्ष धार्मिक गुरु को वर्णव्यवस्था समाप्त करने के लिए साहसिक कदम उठाना ही पडेगा और उसी अनुरूप संविधान में संशोधन भी लाना पडेगा। हिन्दुओं की दयनीय अवस्था बदलनें के लिए हिन्दू एकता सर्वोपरि है। यही हमें सशक्त कर सकता है जो यहाँ के मुसलमान व ईसाई नहीं चाहते हैं।
हिन्दुओं की दूसरी समस्या है हमारे आध्यात्मिक ज्ञान का ह्रास।बचपन से ही हिन्दुओं को मानवता और शांतिप्रियता का पाठ, संक्षिप्त में ही सही, पढ़ाना आवश्यक है। सनातनी या हिन्दुओं के आध्यात्म को मौलिक रूप में ही सही, शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाए। इसके लिए यह आवश्यक है कि गीता, वेद, पुराण तथा उपनिषदों का सार हर हिन्दू विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए । यह विश्व वन्धुत्व के लिए अत्यावश्यक है। आज हमें ऐसे सनातनी या हिन्दू धर्म गुरुओं की आवश्यकता जो हिन्दू धर्म में आई उन विकृतियों और विषमताओं को दूर कर सके। इससे कुछ हद तक इस्लाम और ईसाईयों की प्रसारवादी प्रवृत्ति भी कम होगी।हालाँकि इस्लाम के जिहादी दैत्यों से निपटने के लिए या तो राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर धार्मिक क़ानून व्यवस्था कायम रखने के लिए एक अलग क़ानून बने जो जिहादी प्रवृत्तियों का समूल नाश कर सके या फिर हिन्दुओं को ही अपना एक ऐसा संगठन बनाना पडेगा जो जिहादियों से यथोचित रूपेण निपट सके। सबसे उपयुक्त होगा भारत को एक ऐसा हिन्दू राष्ट्र बनाना जहाँ अन्य धर्म या आस्थाओं की भी अवहेलना न होऔर हिन्दुओं की अत्यधिक समस्याओं का समाधान भी (पढ़ें:‘भारत एक हिन्दू राष्ट्र हो’ https://articles.thecounterviews.com/articles/india-hindu-nation-rashtra-indian-religions/) ।