"ग्रहदशा” : मोदी सरकार वनाम राहु-केतु - Modi's Adversaries
अलविदा, विदाई-समारोह या सुस्वागतम शब्द समय के बदलाव की संयुक्तावस्था को सूचित करता है। दो हजार उन्नीस से राहु-केतु-शनि नामक तीनों ग्रहों ने कुछ ज्यादा ही उग्र रूप धारण कर लिया है। कहा जाता है कि जिन लोगों पर राहु मेहरबान होते हैं, उनलोगों में मुश्किलों से भी जूझने की क्षमता, सतर्कता आ जाती है और वे सत्य के राह पर चलते हुए धैर्य एवं सहज वक्तव्यों के साथ शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते है। सत्य ही उनका सहारा होता है जिसके कारण राहु उनकी कार्य क्षमता पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालता है।सच्चाई और कर्मनिष्ठा की भावना पर चलने के कारण केतु सहायक बनते है और न्याय के देवता शनि भी अपना आशीर्वाद देने के लिए बाध्य होते हैं।क्योंकि इन ग्रहों के कृपाप्राप्त अधिकारियों को अथक परिश्रम करके भी थकान नहीं होती है। ऐसा लगता है कि दो हज़ार उन्नीस-बीस के साथ-साथ दो हज़ार इक्कीस में भी मोदीजी को सभी ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव को अनुकूल बनाने का कार्य जारी रखने के लिए अपनी कर्मठता की तपस्या महाभारत के अर्जुन की तरह जारी रखनी होगी।
देश और आम नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए बहुत सारे प्रावधानों और नियमों को लोकसभा तथा राज्यसभा से पारित कराने का काम करना होगा। ज्यों-ज्यों ग्रहदशा पर नियंत्रणात्मक कुठाराघात होंगे दुश्मनों की ग्रहदशा अपना प्रतिकूल प्रभाव डाल कर उन्हें रसातल या नरक की ओर ले जाएगी। राहु केतु की उपाधि में हाल के वर्षों में दो 'राजनैतिक' व्यक्ति अपने अपने कुनीतियों, कुकर्मों के लिए आज देशवासियों की निगाह में हैं। ये हैं भ्रष्टाचार व देशद्रोह के प्रतीक अज्ञानी रहुलासुर नामक राहु और झूठ व फरेब के परिचायक केजरी नामक केतु। राजनीति में अपने विचार रखना कतई गलत नहीं परन्तु राजनितिक गलियारे में वर्चस्व बनाने के किए झूठ और मक्कारी का दाँव खेलना मूर्खता और छलाव है और यही हमारे राहु केतु कर रहे हैं।
राहु-केतु-शनि के अशुभ प्रभाव से जातक झूठा और मक्कार बन जाता है। वाणी में कठोरता और नशे के कार्य में रुचि होने के कारण व्यक्ति निष्ठाहीन होते हैं, जिम्मेदारी से भटकने के कारण ये विश्वासपात्र भी नहीं होते हैं।राहु-केतु की स्थिति व्यक्ति के ऊपर 'काल सर्प दोष' बनाती है।राहु को कालसर्प का मुख तथा केतु को उसका पूँछ बताया जाता है।इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए भ्रामरी और शीतलीकरण प्राणायाम करना चाहिए जिसके लिए राहुलसुर इटली गए हुए हैं।परन्तु उनका विषैला सर्पमुख भारत के पंजाब प्रान्त में ही रह गया है। कोंग्रेसी नेताओं, दंगे-फ़साद, तोड़-फोड़ करने वाले और उसे उकसाने वाली बहना और लुटेरिन माता भी यहीं रह कर किसानों की जान-माल तथा उनकी आमदनी को अपने फायदे के लिए खतरे में डाल रही है। वैसे राहुलासुर-दशानन रूपी राहु अपनी बहन का ब्रह्मास्त्र बनाए देश के हितैषी मोदी से युद्ध रत हैं। राहुग्रह बनकर वह देश को रसातल ले जानें में दिन-रात रत है।
कालसर्प का पूँछ केतु आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो भी अपनी हिलती दुम द्वारा मोदीजी पर इल्जाम मढ़ते हुए शीत काल की ठंड में अलाव में पेट्रोल डालने आ बैठे हैं।सारी सुविधाओं से लिप्त किसानों की पिकनिक पार्टी में जहाँ इन्हें सताया हुआ बता रहे हैं, वहीं स्वयँ के ही घर के नीचे बैठे प्रदर्शनकारियों की कठिनाई इन्हें नहीं दिखाई दे रही है।गलती केतु की नहीं हैं क्यों कि पूँछ में देखने के लिए आँखें होती ही नहीं है। वैसे यह बात और है कि हमारे आधुनिक केतु ने कोरोना बनकर दिल्ली की आम जनता का संहार किया है। जब कोरोना पीड़ितों को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी तो उन्हें मरने के लिए छोड़ दिल्ली को दारु में डुबोने का षड्यंत्र रचा जा रहा था।
राहुलसुर की विस्तृत असंख्यक मुखों (कोंग्रेसियों) से निकलती लपलपाती जीभ को आम लोगों की लाशों के स्वाद तथा रक्त पीने का नशा लम्बे समयांतराल से ऐसा चढ़ा है कि हर जगह मौके-बेमौके लाशें गिराने, रक्त पीने के लिए लालायित रहते हैं।तोड़-फोड़, आगजनी, देश की संपत्ति को नुकसान पहुँचाना तो इन वामपंथी दलों का प्रिय शगल बन गया है।जहाँ कहीं भी देश-विरोधी ताकतें सक्रिय होती हैं, कोंग्रेसियों के नेता, कार्यकर्ता, आम आदमी पार्टी के लोग, बंटी-बबली और लोमड़ी देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, हत्या-खून-खराबे का पुराना पैंतरा आजमाने के लिए लकड़बग्घों की तरह पहुँच जाते है।देश की आम जनता को चाहिए कि देश के दुश्मन वामपंथी दलों को पहचानें और उनका समूल नाश करें।आम नागरिकों तथा देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए ये अनिवार्य और आवश्यक हो गया है कि स्वार्थी वृत्तियों से ऊपर उठ कर ग्रहदशा को देश के अनुकूल बनायें तथा सभी नागरिकों का कर्त्तव्यशील दृढ़प्रतिज्ञ बनायें।