अफवाह फैलाने वालों पर कड़े कार्यवाही हो
आज कल मोदी सरकार बोलने की आजादी को लेकर इतनीं ज्यादा नरम हो गयी है कि हर दिन कोई न कोई उनको या उनकी सरकार को भला बुरा कहने, कोसने से नहीं चूकता और ऐसे लोगों के खिलाफ कोई बदले की कार्यवाही नहीं होती है।इससे मोदी विरोधी ताकतों का मनोबल लगातार बढ़ता जाता है यहाँ तक कि ये लोग हर आए दिनों बेखौफ कोई न कोई भ्रम, दुष्प्रचार या अफवाह फैलाते रहते हैं Iअफवाहों का बाजार लगभग हमेशा ही गर्म रहता है।
अगर समस्या इतनीं भर ही होती तो ज्यादा चिंता की बात नहीं थी लेकिन जब ये अफवाह राष्ट्रीय स्तर पर लोगों, समूहों, समाजों, राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने लगे, राष्ट्रीय सम्पदा को क्षति पहुँचाने लगे और सरकार हाथ पर हाथ रखे केवल सफाई देने में लगी रहती है तो इसे सरकार की कमजोरी और विफलता ही मानें जानें चाहिए। ऐसी किसी भी अफवाह को फैलने से रोकने के लिए क़ानून व्यवस्था बहाल करने कीतुरंत, त्वरित और सख्त कार्यवाही होने चाहिए। ऐसे हर अफवाह जिससे क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाए, संगीन माना जाना चाहिए और ऐसे भ्रम व अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम लेने चाहिए, ख़ास कर ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ जो सार्वजनिक जीवन में हो। यह जानते हुए भी कि विपक्षी पार्टियाँ देश को दुष्प्रचार द्वारा नुक्सान पहुँचाने में लगे हैं फिर भी मोदी सरकार उनके खिलाफ कुछ कड़े कदम लेने से कतरा रही है (read “We voted Modi Govt to cleanse India of dirt; BUT dirt seems getting better of them”https://articles.thecounterviews.com/articles/voted-modi-govt-cleanse-india/) I
आज दिनांक १९ जुलाई २०२२ को अपने देश की सेना और सैनिकों का मनोबल गिराने या तोड़ने के लिए दिल्ली में एक नेता ने बकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सेना पर लांछन लगाया कि सेना में भर्ती होने के लिए लोगों को जाति प्रमाण पात्र देने पड़ते हैं।आज के दिन विपक्षी नेताओं के हाँ में हाँ मिलाने वाले इतने लोग हैं कि सोशल मीडिया में एक अफवाह आयी नहीं कि अटकलों की झड़ी लग जाती है और फिर जितनीं मुंह उतनी बातें। आज के दिन भारत में ही लगभग ४०० समाचार चॅनेल्स हैं और ऐसी अफवाहें लगभग सारी चॅनेल्स पर आ ही जातीं हैं।आज पूरे दिन सरकार सेना तथा रक्षा मंत्रालय अपना सारा कार्य छोड़ कर यही सफाई देती रही है। संजय सिंह पहले भी कई बार ऐसा कर चुका है । अयोध्या में राम मंदिर के लिए जमीन खरीदनें पर भी उसने झूठा आरोप लगा कर भ्रम फैलायाथा। २०१९ चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बड़ा दुष्प्रचार किया था कि मोदी सरकार पिछड़ी जातियों पर अत्याचार कर रही है जबकि वास्तविकता यह है कि यही सरकार पिछड़ी जाति को सशक्त कर रही है।फिर बिहार चुनाव के दौरान उन्होंने एक और सगूफा छोड़ा कि मोदी सरकार आरक्षण ख़त्म करने जा रही है जो सरासर भ्रामक था।विपक्षियों ने खासकर कांग्रेस ने भारत और भारतीय प्रतिष्ठानों की प्रतिष्ठा हनन करने की बहुत कोशिश की है।हम भूल नहीं सकते किस तरह उन्होंने भारतीयकोरोना वैक्सीन और EUA देने वाले DCGI पर भ्रामक सवाल खड़े किए थे कि लोगों ने Covaxin लेना ही बंद कर दिया था जब तक कि प्रधानमंत्री ने स्वयं यह वैक्सीन लगवाकर लोगों का भ्रम दूर नहीं किया था। हाल ही में विपक्ष के एक नेता संसद भवन के अंदर की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर ऐसी ही अफवाहें फैलाई थी।
अभी एक महीनें पहले ही सेना में भर्ती का अग्निवीर योजना को लेकर राष्ट्रीय विपक्षी पार्टियों ने इतना अधिक भ्रम व अफवाह फैलाया कि मुख्यतया उनके समर्थक तथा कुछ अन्य युवा भी सड़क पर आ गए। सरकार और सेना सफाई पर सफाई देती रही परन्तु सब नदारथ।लोगों ने सरकारी संपत्ति जलाई और भीड़ तंत्र ने क़ानून व्यवस्था को ठप्प सा कर दिया ख़ास कर उन प्रदेशों में जहाँ की सरकारें इस तरह की अव्यवस्था होने देना चाहती थी।बिहार में कई रेल गाड़ियों में आग लगा दिया गया।बीजेपी के दफ्तरों में आगजनी हुई। कई लोग हताहत हुए।बसों और निजी वाहनों को भी जलाया गया (पढ़ें “बिहार में अग्निपथ के नाम पर दंगा करने वाले कौन हैं ?” https://articles.thecounterviews.com/articles/bihar-arson-on-agnipath-scheme/) । फिर भी तेजस्वी यादव या उसके गुर्गों पर कोई कारवाही नहीं हुई।
हाल ही में मुसलामानों ने राजस्थान के खरगोन में अफवाहें फैला दी कि हिन्दुओं ने मस्जिद पर भगवा झंडा फैलाया है फिर क्या था, उन्हों ने रामनवमी के रंग यात्रा को पत्थरबाजी और हिंसा से बदरंग कर दिया, हिन्दुओं के घर जला दिए और राजस्थान सरकार मोदीजी को दोष देती रही।हाल के कुछ सालों में मुसलामानों के धार्मिक उन्माद बहुत ही बढ़ गए हैं कारण चाहे जो भी रहा हो।हमनें NRC, शाहीनबाग, दिल्ली दंगा तथा हनुमान जयन्ती पर पत्थरबाजी देखी है। यह कतई मान्य नहीं है।
अफवाह तंत्र पर शुरू की गयी किसान आंदोलन ने तो मानो देश की आत्मा को ही झकझोर दिया कि किस प्रकार एक सुनियोजित दुष्प्रचार पूरे देश के किसानों का हक़ मार ले गयी। किसान आंदोलन बिचौलियों और आढ़तियों द्वारा दो कारणों से कराया गया था कि एक तो उन मुनाफाखोरों की आमदनी असल किसान को न चला जाए और दूसरा कि बीजेपी को आने वाले प्रदेश चुनावों में नुक्सान हो । प्रदर्शनकारियों ने महीनों राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरोधित रखा, हिंसा की और सरकार को कृषि क़ानून वापस लेने को मजबूर कर दिया । फिर ऐसे कितने ही दुष्प्रचार हुए और उन सबों की कीमत देश को चुकानी पडी है जिसका पूरा विवरण भी मुश्किल है।न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने के बावजूद भी हरियाणा में विपक्ष के समर्थकों ने एक अलग ही क़ानून व्यवस्था खड़ी कर दी थी ।
मोदी २.० की एक ही उपलब्धि ऐसी रही है जिसमें लोगों को तोड़-फोड़ करने का मौका नहीं मिला और वह था राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय।अमित शाह जी ने इतनीं अर्धसैनिक बलों का तैनाती कर दिया था कि कट्टरवादी मुसलमान और उसके समर्थन चूँ तक नहीं कर सके। मोदी सरकार के लिए इसी में एक सीख भी है कि या तो आगे से वह किसी भी तरह का निर्णय सुनाने से पहले उसके सारे पहलुओं पर विचार कर ले कि विपक्ष भ्रम ,अफवाह व दुष्प्रचार के लिए उसे किस तरह उपयोग कर सकता है और उन स्थितियों से निवटने का पहले से ही यथोचित सतर्कता बरते या फिर हर ऐसे मौकों पर क़ानून व्यवस्था बहाल रखने के लिए उचित कदम उठाए।सबसे ज्यादा जरूरी है दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कार्यवाही जहाँ मोदी सरकार अक्सर विफल रही है। CAA के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाली सोनियाँ और प्रियंका गांधी के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।याद रहे इसमें कितने लोगों की जानें गयीं थीं । राहुल गांधी ने धारा ३७० हटाने के बाद अफवाह फैलाया कि कश्मीर में लोगों को बन्दूक की गोलियों का निशाना बनाया जा रहा है जिसके लिए भारत को संयुक्त राष्ट्र के कठघरे में भी खड़ा किया गया लेकिन राहुल गांधी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई।
एक बात और है। राजनैतिक विपक्षियों की मोदी सरकार के प्रति चाहे जितनी ही दुर्भावना रही हो, लेकिन मोदीजी के मंत्रियों में एक कमी तो साफ़-साफ़ दीख रही है। मोदी २.० अपनी नीतियों को लागू करने में अक्सर विफल रही है या यूँ कहिए कि मोदी २.० के मंत्रीगण इस तथ्य के लिए बदनाम हो गए हैं कि नीतियों को कैसे लागू नहीं करने चाहिए।. या तो मोदी २.० का मंत्रिमंडल कहीं न कहीं चूक रहा है या फिर विपक्ष के झूठ और अफवाह सरकार पर भारी पड़ रही है। मोदीजी के मंत्रियों के समझ में नहीं आ रहा है कि इन विघटनकारी विपक्षी शक्तियों से कैसे निपटी जाए। ये अकेले नहीं हैं। इनका एक पूरा टूलकिट है, कुछ विदेशी सहयोग भी है लेकिन मुख्यतया कांग्रेस और कम्युनिष्ट के तालमेल तथा कुछ पारिवारिक दलों के सहयोग भी है।चाहे जितना ही अच्छा कार्यक्रम या क़ानून हो, चाहे उससे कितने ही अच्छे परिणाम क्यों न आने वाले हों, इन मंत्रियों ने उन नीतियों को कुछ इस तरह अपरिपक्व रूप से कार्यान्वित किया कि विपक्षियों को उनमें कोई न कोई छेद मिल गया, फिर अफवाहों और भ्रम की राजनीति शुरू हो गयी; वो चाहे कृषि क़ानून, अग्निवीर या कुछ और ।
आज का अफवाह फैलाने वाला आप AAP पार्टी का संजय सिंह हो, दिल्ली में कोविद के समय का भ्रम फैलाने वाला राघव चड्ढा, कश्मीर पर भ्रम फैलाने वाला राहुल गांधी हो या CAA-NRC पर भ्रम फैलाने वाली सोनियाँ और प्रियंका। इन सभी नेताओं के खिलाफ तो कड़ी से कड़ी कारवाही होनी चाहिए क्योंकि ये सार्वजनिक जीवन में हैं और जनसेवा की बीड़ा उठा रखी है। अब देखने वाली बात ये है कि कब देश या राज्यों की क़ानून व्यवस्था उन सबों के खिलाफ कदम उठाएगी।अगर इन विषयों पर सशक्त क़ानून नहीं हैं तो ऐसे क़ानून बनाए जाएँ। ऐसे बड़े अफवाह फैलाने वालों की गिनती भी गद्दारों में होना चाहिए और इनकी सजा चौराहे पर बाँध कर जनता के आँखों के सामने होने चाहिए चाहे वह कोई भी हो। जब तक देश के ऐसे गद्दारों के खिलाफ, चाहे वो सोनियाँ-प्रियका-राहुल गांधी, संजय सिंह, राघव चड्ढा, अखिलेश-तेजस्वी यादव या और ही कोई क्यों न हो, सख्त कार्यवाही नहीं होगी तब तक ये ऐसे ही करते रहेंगे।