चलते चलाते : हिन्दू लड़की
गाँधी - नेहरू की चालों में
फँसा हुआ है बेबस हिन्दू ।
सोचो कैसे विश्वपटल पर,
मृतक समाज बना है हिन्दू।
प्यार यहाँ धंधा बन आया,
फंसी जाल में हिन्दू लड़की
दोगलापन, दोहरे चेहरे को,
समझ न पाती हिन्दू लड़की।
स्वतंत्रता का दुरुपयोग भी
करती है हिन्दू की लड़की
मुल्ले लड़के पे यकीन कर,
धोखा पाती, हिन्दू लड़की।
तलवारों से रही सुसज्जित,
भारतवर्ष की हिन्दू लड़की,
आज कई टुकड़ों कट कर
सूटकेस में मिलती लड़की।
इन मुल्लों का प्यार है धंधा,
इनका मजहब भी है अंधा,
चाल न समझे हिन्दू लड़की,
प्यार-जाल में फँसती,मरती।
हत्या करने के एवज में,
इन मुल्लों को पैसे मिलते,
उन्हें बचाने मुस्लिम जत्थे,
आये दिन हंगामा करते।
तड़प रहे!मृतकों के परिजन,
हत्यारों को मिली शाबासी,
जाहिल-बर्बर हत्यारों को,
घृणित-कर्म, बेशर्मी भाती।
हिन्दू की लड़की को इनसे,
दर्दनाक मृत्यु है मिलती ।
कभी फ्रीज में कभी केस में,
टुकड़ों में है वितरित होती ।
बिन ब्याहे जो संग रहते हैं,
उसको हम रखैल कहते हैं।
पढ़ी-लिखी,आजाद मूर्ख हैं,
हिन्दू-उदार हो फँस जाते हैं।
एक मुस्लिम धोखा देता है,
एक मौलवी धर्म बदलता,
ध्येय सभी का एक ही होता,
हिन्दू की हत्यायें करता।
भोली लड़की ग्रास हैं इनके,
धमकी भी हथियार हैं इनके,
झुण्ड भेड़ियों के-से इनके ,
साजिश कर, बर्बरता करते।
पढ़, कुरान एवं हदीस ये,
हत्या! उज्जडता से करते
लूट-पाट, व्यापार में रमते,
अनुयायी ये पाप पंथ के।
इन पापी मुल्ले लड़कों को,
यही सिखाया भी जाता है,
काफिर के बच्चों को काटो,
हूरों का सुख तब मिलता है।
सारे लिबरल चुप बैठे हैं,
हत्यारा भाई ! मुस्लिम है,
नाच पिशाचों सा ये नाचें,
मृतक अगर कोई मुस्लिम है।
उदारनीति वाले ये दोगले,
हिन्दू के जानी दुश्मन हैं,
ये मरीच और सूर्पनखा हैं।
डायन औ पिशाच जैसे हैं।
डॉ सुमंगला झा।