नेताओं का बखेड़ा
आप पार्टी के नेता भगवंत मान ने दारू पीकर हवाई जहाज में ऐसा तमाशा किया कि जहाज के कर्मचारियों को उन्हें मजबूरन विमान से विमानपत्तनम करना पड़ा। ऐसे ही राहुलगांधी सहित कोंग्रेसियों एवं आम आदमी पार्टी के कई नेता बखेड़ा खड़ा करने में माहिर हैं। ताहिर हुसैन का दिल्ली में एवं टीएमसी द्वारा बंगाल में दंगा, आगजनी करवाना हम झेल चुके हैं । कई राज्यों में बीजेपी विरोधी नेताओं के बेतुके बयान जग जाहिर हैं। आये दिन होने वाले इन तमाशों के पीछे सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के नेता या उसके समर्थक नेताओं में से किसी एक का हाथ जरूर रहा है।
एक उदाहरण मनीष तिवारी जी का भी है जिन्हें सनातन धर्म ग्रंथ गीता को भारत की संवैधानिक पुस्तक स्वीकार करने से आपत्ति होती है लेकिन बाइबिल या कुरान से कोई आपत्ति नहीं है। सनातनियों के सम्बन्ध में आपत्ति जनक बयानबाजी जब-तब सुर्खियों में बने रहते हैं, जिसे शांति बनाए रखने हेतु सहन करना हिन्दुओं की मजबूरी है। घोटालेबाज नेताओं एवं पार्टियाँ बखेड़ा खड़ा करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। कोंग्रेस एवं उनके समर्थक पार्टियों के नेता सांसद में भी बखेड़ा करने में लगे रहते हैं। संसद का कार्य सुगमता से चलने नहीं देते हैं । संसद के अंदर बहस होने नहीं देते; परन्तु बाहर आ कर जनता को झूठ की अफीम चटाने, उन्हें बरगलाने, फसाद के लिए उकसाने में लगे हुए होते हैं। नेताओं की बदजुबानी असीमित एवं शर्मनाक है। ये कभी मोदी को हटाने की जगह हत्या शब्द का इस्तेमाल कर लोगों को उकसा कर अपनी मानसिकता एवं मन्तव्य को प्रकट करने के बाद, इसे 'जीभ फिसल गई' कह छुटकारा पा जाते हैं। इस तरह के हिन्दू विरोधी, मोदी वीरोधी, बीजेपी विरोधी कारनामों के उदाहरण विपक्षी नेताओं के भाषण , वक्तव्यों में एवं कर्मों में भी भरे पड़े हैं। यदि अनेकों अपशब्दों को सुन कर भी मोदीजी धर्मराज युधिष्ठिर की भाँति सिर्फ कर्मक्षेत्र में डटे रहते हैं तो यह उनकी देश के प्रति प्यार , दृढ़ता एवं देश के लोगों के प्रति शुभचिंतक होने की इच्छा शक्ति को ही दर्शाता है।
मोदीजी की लोकप्रियता ज्यों-ज्यों बढ़ती जा रही है, प्रताड़ित हिन्दू भी अपने अधिकारों के प्रति सजग हो रहे हैं, दुश्मन भी पूरी ताकत से आक्रामक हो गए हैं। ध्यान देने की जरूरत है कि हिंदुस्तान के हिन्दुओं के प्रति नफरत एवं साजिश कर्ताओं की ऊटपटांग हरकतें भी बढ़ती जा रही है। दीमक खाये विशाल बरगद के पेड़ की तरह अपने नीचे की जमीन पर किसी और पौधे का पनपना या बढ़ना नेहरू खानदान को स्वीकार नहीं है; परन्तु स्वाभिमानियों की जमीन ही निकम्मी हो जाये उससे पहले इसे बूढ़े-दीमक लगे एवं जमीन को बर्बाद करने वाले बरगद को उखाड़ फेंकना भी आवश्यक है। सजग नागरिक को उखड़ने वाले पेड़ के साथ होने वाले बवंडर के उत्पात को झेलने के लिये धैर्य से तैयार रहना होगा। नेहरू-खान-वाड्रा-गाँधी के वारिस अपनी वरीयता कायम रखने के लिए किसी भी हद तक जलजला का वातावरण बनाने की कोशिश में आखिरी साँस तक लगे रहेंगे, इसमें कोई शक नहीं है। उन्नीस सौ चौरासी में होने वाले सिख्खों की हत्याओं को याद कर सबक लेने की आवश्यकता है। परिस्थितियों को सावधानी एवं धैर्य काबू में रखने के लिये तैयार रहना,साजिशों के नाकाम करने के लिये देश के नागरिकों को मोदीजी का साथ देना आवश्यक है। विदेशियों के हर चाल नाकाम करके ही देशवासी सच्चे अर्थ में विदेशीयों की गुलामी की मानसिकता से उबर सकते हैं।
हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा देश हित में लिये गए अनेक निर्णय के कारण कुछ मजबूत देशों को, जो स्वयँ को भारत के आका समझने लगे थे, उन्हें कष्ट हो रहा है। जॉर्ज सोरास की कंपनी में अन्य भारतीय के अलावा अति प्रतिष्ठित कोंग्रेस नेताओं के बच्चे भी प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत हैं तो क्या इससे इन्हें भारत के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी करने का हक मिल जाता है? कदापि नहीं! यदि कोंग्रेस के सदस्य विदेशियों के बयानों पर भारत की गुरुता को तौलने की कोशिश करते हैं तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उन्हें अभी भी अंग्रेजों की चालाकी एवं गुलामी की जंजीर से मुक्ति नहीं मिली है। राहुलविंची की खर्चीली पदयात्रा या कंटेनर यात्रा भी प्रत्यक्ष रूप से देश विरोधी, हिन्दू विरोधी ताकतों को एकजुट करने की ही रही है। उनके चहेतों में ऐसे नेताओं, पादरियों की भरमार रही है जो गोहत्या, हिन्दू धर्म, हिन्दुओं, राष्ट्रीय स्वयँ सेवक संघ, बजरंग दलों के कार्यकर्ताओं पर अभद्र, आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
ये एक 'विशेष समूह' हैं जो राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना में हिन्दुओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार एवं मुस्लिम या ईसाइयों द्वारा किये जाने वाले अनैतिक व्यवहार दोनों को सही बताते हैं। कोंग्रेसियों के वक्तव्य और कर्त्तव्य दोनों ही समाज में अराजकता फैलाने वाली हरकतों एवं बयानबाजी में लिप्त लोगों को उत्कर्ष पर पहुँचाने में लगी रही है। राजस्थान में कोंग्रेस के शासन काल में आतंकवादी मज़हबियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वहाँ के हिन्दू प्रताड़ना एवं डर के साये में जी रहे है। ऐसा भ्रम हो रहा है की गहलौत सरकार वहाँ के समाज को मुस्लिम बहुल क्षेत्र या पाकिस्तान बनाने में पूर्ण तन्मयता से जुटी हुई है। गहलौत सरकार की अक्षम्य गलतियाँ ! वहाँ की महंगाई, बेरोजगारी, गरीब किसानों की ज़मीन की नीलामी, गुंडों-माफियाओं का बेखौफ गुंडा गर्दी दर्शाता है कि वहाँ की सरकार गुडों एवं माफियाओं को ही सुरक्षा देने के लिये वचन बद्ध है। पीड़ितों को अपने ऊपर होते अत्याचारों के विरुद्ध आवजें उठानी भी वहाँ जुर्म के तहत आ गयी है । वहाँ के सरकार की तानाशाही पर कोंग्रेस प्रवक्ता किसी भी प्रकार की टिप्पणियाँ बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। पुलिस प्रशासन आम नागरिकों को सुरक्षा देने में नाकाम है। बिकी हुई देश या विदेशी मीडिया इस पर पर्दा डालने में लगी है।
कोंग्रेस के ही नक्शे कदम चलने वाली 'आम आदमियों' की पार्टी भी है जिसने अपने छुद्र एवं देशविरोधी मन्तव्य को खालिस्तान आंदोलन का जामा पहना कर पंजाब की शाशन व्यवस्था को तार-तार कर दिया है। लापरवाह या राज्य सरकार के दबाव में पंजाब पुलिस चलान काटती रहती है एवं गुंडे उनके सामने ही एक महिला को तलवार से काट कर चले जाते हैं। चौबीस फरवरी के हंगामें का गुरु सिख्ख की पगड़ी बाँधने वाला छद्मवेशी ईसाई या मुल्ले-गुंडों का व्यवहार अपनाने वाला, किसी देशद्रोही का चेला दिखाई देता है। भारत की मजबूत अर्थ-व्यवस्था से जलने वाले देश कनाडा में बैठ, एक खालिस्तानी आतंकी, प्रोग्राम बनाता है एवं उसका कार्यान्वन भारतभूमि पर करता है। श्रूड शकुनी चाल में फँसे हुड़दंगे पुलिस की पिटाई एवं थाने को बंधक बना, पंजाब में बखेड़ा करवाता है। भगवन्त मान एवं खेजड़ीवाल की नपुंसक शकुनी चालों के कारण ऐसी कई घटनाओं ने देश तथा सच्चे देशभक्त सिख्खों की संप्रभुता को शर्मनाक स्थिति में पहुँचा दिया है।
बीजेपी प्रशासित राज्यों में महंगाई, बेरोजगारी पर सवाल उठाने वाले, स्वयँ के शासित प्रदेशों में इन मुद्दों को कब्र में दफना देती है। पंजाब में नशे, तस्करी, घुसपैठिये आदि को छद्मवेश में पनाह देती हुई भगवंत मान की सरकार देशवासियों से अपनी गद्दारी को छुपाने के लिए खेजड़ीवाल स्टाइल में सुशासन का विज्ञापन विभिन्न मीडिया के चैनल पर दिखाने में व्यस्त रहती है। इन विज्ञापनों से देश की जनता कितना प्रभावित हो रही है यह तो वक्त ही बताएगा परन्तु अपनी पगड़ी और देशभक्ति पर नाज़ करने वाले निहंगों एवं सिख्खों का सिर जरूर पंजाब में अराजकता भरी घटनाओं के कारण शर्म से झुक गया होगा! ऐसा प्रतीत होता है कि निहंगों के वेष में ये कायर या आतंकी हैं । संभवत: मिशनरियों के दबाव में ईसाई धर्म में परिवर्तित हो चुके हैं । यह भी सम्भव है कि ये इस्लाम के आतंकवाद की सिद्धांतों को कबूल चुके हैं। पैसों के लालच या फिर दुविधा की स्थिति में ये केंद्र सरकार के विरुद्ध बखेड़ा कर रहे हैं। जो भी हो! लेकिन हिन्दू धर्म के संरक्षक पगड़ी धारण करने वाले अमृत पी, स्त्रियों-बच्चों की रक्षा की कसम खाने वाले बहादुर सिख्खों के सम्मान को निश्चित ही इन्होंने मटियामेट कर दिया है।
चौबीस फरवरी की हरकतें खतरनाक, भयावह एवं आने वाली मुसीबतों का पैगाम है। अप्रत्याशित हैरानी होती है कि हिंदुस्तान में हंगामा मचाने वाले इन्हीं सिखखों को सिख्ख लड़कियों के अपहरण के संदर्भ में, गुरुग्रंथ के अपमान पर या गुरुद्वारों के तोड़-फोड़ पर जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान में आये दिन होता रहता है, जरा भी खून नहीं खौलता है। यहाँ फसाद मचाने वाले, तलवारें लहराते हुए जाकर अपने धरोहरों की सुरक्षा पाकिस्तान या अफगानिस्तान में करने के लिए जरा भी उत्प्रेरित नहीं होते हैं; जबकि इन्हें लाहौर जा खालिस्तान बनाने, धरोहरों को बचाने के लिए बहादुरी दिखानी चाहिए। कितना शर्मनाक है कि पाकिस्तान में जब राजा रंजीत सिंह की मूर्ति जिहादियों द्वारा तोड़ी गयी तो इनकी बहादुरी घास चरने चली गयी थी। अफगानिस्तान से सिख्खों को भगाया गया,पाकिस्तान में आठ साल के बच्चे को ईश निंदा के नाम पर सजा दी गयी, गुरुद्वारों एवं मंदिरों तोड़ा-जलाया गया तो इन कायर खालिस्तानियों का खून पानी बना हुआ था। खालिस्तान की रहनुमाई करने वाले कोंग्रेस, 'आप पार्टी' के नेता, तलवार लहराते निहंग, भाले उछलते सिखख के मुँह की जुबान पाकिस्तान में (हिन्दुओं, सिख्खों, ईसाइयों पर) होने वाले जुर्म देख भी कटी हुई होती है, आंखें अंधी हो जाती हैं। इनकी बहादुरी बनाम कायरता का क्या कहना ! ये हलाला के पैसे के लोभ में मुँह में दही जमा तमाशबीन बने हुए हिंदुस्तान में सी. ए. ए. तथा किसान आंदोलन में बैठे मुल्लों को बिरयानी खिला उनसे भाई-चारा निभा रहे होते हैं; जबकि वहाँ पाकिस्तान में हिन्दुओं, दलितों, सिख्खों की बेटियों को अगवा कर जबरन इस्लाम कबुलवाया जा रहा होता है। अपनी तौहीन स्वयँ करवाने वाले ये विशेष समूह के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए, समझ में नहीं आता है!
भारत के जोंक, विदेशी ताकतों के नुमाइंदों ने यहाँ की संस्कृति, कला, साहित्य, सनातन संस्कारों पर प्रहार कर, नवजवानों को भ्रमित करने के लिए कई मोर्चे खोल रखे हैं। चलचित्रों में दिखाई गई अश्लीलता प्रायः हिन्दू संस्कारों को स्याह करने के मनतव्य को लेकर लंबे समय से अभिनेताओं, अभिनेत्रियों एवं चलचित्र निर्देशकों या चलचित्र उत्पादकों द्वारा चलाया जाता रहा है, जिसे बम्बईया भाषा में दाऊद गैंग द्वारा निर्देशित कहा जाता रहा है। ये गैंग कौन है, किसके इशारों पर काम करता है यह तो सामान्य ज्ञान का विषय है लेकिन ये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से देश में ही मौजूद हैं, इसमें कोई शक नहीं है।
सम्पूर्ण समाचारों वक्तव्यों एवं तथ्यों के विश्लेषण के आधार पर तो यही दिखता है कि ईसाई , हिन्दू, दलितों, बौध्द, जैन एवं घूँघट वालियों के लिए बिकनी का समर्थन करने वाले एवं मुस्लिम लड़कियों के लिए परीक्षा भवन में भी बुर्के तथा हिजाब की वकालत-समर्थन करने वाले उत्पाती गैंग 'एक' ही हैं। सर्वधर्म समभाव के नाम पर मंदिरों में यीशु का फोटो लगाने वाले, मंदिरों के पास चिपका कर मस्जिद या मजार बनाने वाले तथा मस्जिद या गिरिजाघर में हनुमान चालीसा के पाठ का विरोध करने वाले, हिन्दू त्योहारों के उत्सव पर रोक लगाने वाले एवं पत्थरबाजी करने वाले गैंग भी 'एक' ही हैं। बखेड़ा खड़ा करने वाले सफेदपोश जोंकों का स्याह मकसद निखर कर जनता के समक्ष आ गया है।
हिन्दू विरोधी के अलावे एक मोदीजी विरोधी नामक एक नया गैंग उभर कर सामने आया है जो हिन्दुओं को भी कई स्तरों में विभाजित कर आपसी वैमनस्यता फैला कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश में लगा हुआ है। इस उभरते नए गैंग ने नए सिरे से सवर्ण हिन्दू,हिन्दूधर्म ग्रंथों पर प्रहार कर मनुस्मृति जलाने की शैली में रामचरित मानस जला कर वैमनस्यता या दंगे करवाने के लिये जनता को उकसाने का सफल प्रयास किया है। कोंग्रेस की माता के इशारे पर नाचने वाली एवं प्रवर्तन निदेशालय से त्रस्त, मोदी विरोधी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बदजुबानी शर्मनाक स्थिति में आ गयी है। कोंग्रेस के सहयोगी केशव प्रसाद मौर्य को रामचरित मानस में तुलसीदास द्वारा स्त्रियों ढोरों एवं गँवारों के लिए लिखी गयी पंक्तियों पर आपत्ति होती है,जो वस्तुतः समुद्र द्वारा श्रीराम के सम्मुख नतमस्तक हो कर शिष्टाचार वश कही गयी थी। लेकिन इन्हीं केशव प्रसाद मौर्य के मुख से उन दलित लड़के- लड़कियों के लिए कोई अफसोस या संवेदना नहीं होती है जो बिहार में गुण्डे मुल्लों द्वारा दिनदहाड़े उठवा ली जाती हैं। जिनका जबरन धर्म-परिवर्तन करवाया जाता है या जो बलात्कार की शिकार हो चुकी होती हैं । लड़कियाँ जो टुकड़े-टुकड़े में कटवा कर फिंकवा दी गयी होती हैं। बिहार-झारखंड आदि जगहों पर मुसलमानों द्वारा दलितों की बस्तियों को जलाये जाने की घटनाओं पर भी केशव प्रसाद मौर्य ,यादव नेता तथा भीम-मीम का राग अलापने वाले चुप ही थे। व्यक्तिगत स्वार्थी सिद्धि के लिए उनकी नीचता निंदनीय है।
हो सकता है कि केशव प्रसाद मौर्य को रामचरित मानस का ज्ञान नहीं हो तो उन्हें रामचरित मानस के अलावे अन्य हिन्दू धर्मग्रन्थों को भी पढ़ना चाहिए। तुलसीदास ने प्रत्येक जातीय एवं समुदाय को सम्मान सहित श्रीरामचन्द्र जी के साथ जोड़कर कर सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया है चाहे वह माता शबरी हो,केवट हो या निषादराज हों, सुग्रीव हों, जाम्बवन्त हों, गरुड़ राज हों, गिलहरी हो या फिर रावण का भाई विभीषण ही क्यों न हो! धर्म के मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान एवं प्रेम की जन हित भावना को एवं उस समय में मुगलों द्वारा होने वाले दुराचारों को जन मानस तक पहुँचाने काम तुलसीदास ने बोलचाल भाषा में रामचरित मानस द्वारा किया गया है।
केशव प्रसाद मौर्य के लिए अति आवश्यक है कि वे कुरान एवं बाइबिल भी पढें और उसमें निहित स्त्रियों के लिए एवं ग़ैरइस्लामियों के लिए जो आपत्तिजनक आतंकवाद समर्थक उद्धरण भरे पड़े हैं उसे भी हटाने की माँग करें । कुरान एवं बाइबल के उन पन्नों को भी सरे आम फाड़ कर, टुकड़े-टुकड़े कर इसी हिम्मत के साथ जलायें जिस हिम्मत से इन्होंने रामचरित मानस के पन्नों को फाड़ा और जलाया है क्योंकि कुरान एवं बाइबिल में निहित आपत्तिजनक पंक्तियों के कारण मानवतावादी भावनाओं का भी हनन हो रहा है। समूची दुनियाँ एक सुगठित जिहादी आतंकवाद से प्रताड़ित है। इसके विध्वंसक फैलाव के कारण मानवता विनाश के गर्त में जा रही हैं।
मेरी व्यक्तिगत राय है कि जिन नेताओं ने बौद्ध धर्म को सर्वोच्च बताते हुए दलितों के मस्तिष्क में सनातन धर्म एवं ब्राह्मणों के विरुद्ध जहर बोने की कोशिश की है उन्हें बौध्द धर्म की पुस्तकों को पढ़ कर समझने की कोशिश करनी चाहिए। बौद्ध धर्म भी सनातन हिन्दू वैदिक ज्ञान धर्म की परंपरा का ही सरली करण स्वरूप है जिसे समाज में शांतिपूर्ण वातावरण के विकास हेतु, सम्राट अशोक द्वारा पृथ्वी के बहुत बड़े भूभाग में फैलाया गया था। वैदिक धर्म की ही भाँति यह भी मानवता की भलाई के लिए 'वसुधैव कुटुंबकम' के सिद्धांतों से बँधा हुआ है। वैदिक सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्धधर्म या सिख्ख धर्म सभी हिन्दू सनातन वैदिक धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण हेतु ही सम्पूर्ण पृथ्वी पर विकसित हुए हैं।'अहिंसा परमोधर्म: धर्म हिंसा त थैव च' स्त्रियों का सम्मान,बच्चियों को भगवती का स्वरूप , स्वायत्तता, स्वतंत्रता, सामाजिक सहभागिता, नैतिकता की प्राथमिकता का मंत्र ही इन चारों धर्मों को एक करता है। हिन्दू धर्म की विशालता को समझने के लिए संस्कृत के चारों वेद, अठारह पुराण, अनेकों उपनिषदों ,रामायण, रामचरित मानस, महाभारत,के अलावे बौध्द 'धम्म' की तथागत के उपदेशों को पढ़ना-समझना चाहिए। जैन के तीर्थंकरों की पुस्तकों को पढ़, सिखखों की गुरुबानी को भी पढ़ ,उसके मूल मन्तव्य तक पहुँचने-समझने की जरूरत भी है। यदि उल्लेखित धर्म-ग्रंथों को पढ़, अंतर्निहित तथ्यों का विश्लेषण कर सच्चाई को जानने के समझने की कोशिश करें तो पायेंगे कि ये सभी धर्म अपनी सनातन वैदिक संस्कारों एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए ही विकसित हुई हैं। इसलिए मेरा सोचना है कि बखेड़ा खड़ा करने वाले नेताओं को थोड़ी पढ़ाई लिखाई एवं शिक्षा की आवश्यता है।परन्तु क्या किया जाए? हम जनता ही ऐसे गँवारों को वोट दे कर सत्ता में लाते है, जिससे देश एवं स्वयँ का अहित होता है। अन्तत: जब चबाने वाले भेड़िये घेरा-बन्दी कर रहे हों तो आपस में लड़ना हिन्दुओं की बेवकूफी है या दुर्भाग्य यह चिंतन का विषय है।