शौर्य दिवस

यह कैसा ‘शौर्य-दिवस’? एक व्यंग ?

आज सोशल मीडिया पर ६ दिसंबर शौर्य दिवस की चर्चाएँ और जिक्र हो रही है जिसमें एक भगवा झंडे के पीछे १९९२ में ध्वस्त होने से पहले का बाबरी गुम्बजनुमा मस्जिद है।क्या यह वास्तविक में हिन्दुओं के लिए शौर्य का विषय है ? एक तरह से मानिए तो सही है क्योंकि अपने आराध्य भगवान् राम की जन्मभूमि को पुनरमर्यादित करने के लिए अनगिनत हिन्दुओं को अपनी बलि देनी पडी है।बलि देने का सिलसिला १५२८ से ही शुरू हो गया था जब इसे राम-जन्मभूमि पर बनवाया गया था।1813-१४ में पहली बार अंग्रेजों ने इसका सर्वे फ्राँसिस बैकमैन हैमिल्टन द्वारा करवाया था जब उस मस्जिद में मंदिर के खम्भे पाए गए थे।फिर सं १८३८ में मोंटगोमरी सर्वे में मंदिर के अवशेष होने के और तथ्य मिले थे।हिन्दुओं का संघर्ष तब से जारी है।सबसे पहले साधुओं का निर्मोही अखाड़ा ने १८५३ में राम-जन्मभूमि पर पूजा करने की ठानी और थोड़े से हिस्से को अपने कब्जे में लिया।सदियों की विरासत को हासिल करने के लिए हिन्दुओं के पास अदालत में सौंपने के लिए कोई ठोस दस्तावेज नहीं था अतः मामला बार बार अदालतों से खारिज होता रहा।तत्कालीन अदालतों ने पुरातत्व ज्ञाताओं से सहायता लेना शायद उचित नहीं समझा इसीलिए वहाँ राम-जन्मभूमि होने का कोई सबूत नहीं था।

हिन्दू आस्था के खिलाफ मुसलमानों का अड़ियल रवैया तब भी था और स्वतंत्रता उपरान्त उनके लिए पाकिस्तान दे देने के बाद भी वैसा ही रहा। 'मुसलमान वोट बैंक' के लिए नेहरू और कांग्रेस की धर्मान्धता ने राम-जन्मभूमि के मामले को कानूनी दाव-पेंच के भँवर में उलझाए रखा (पढ़ें 'विभाजन विभीषिका https://articles.thecounterviews.com/articles/indian-partition-and-indian-religions/)।३० सितम्बर २०१० को इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बावजूद भी मामला सर्वोच्च अदालत में लटका रहा।भला हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की मनसा को जिसेअदालत ने अपने संज्ञान में लिया और दैनिक सुनवाई कर ९ सितम्बर २०१९ को सारे सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।

यह तो सर्वमान्य है कि पहले मुसलमान आक्रांताओं द्वारा और फिर अंग्रेज और कांग्रेस सरकार द्वारा हिन्दुओं की आस्था को इस तरह कुचला गया है कि वे आज छोटे-छोटे नगण्य उपलब्धियों से भी हर्षित हो जाते हैं।यह बात हमनें बाबरी ढाँचे को गिरने के बाद और हाल में ज्ञानवापी में शिवलिंग के मिलने के बाद भी देखा है।ज्ञानवापी के शिवलिंग पर सदियों से भारतीय मुसलमान ही हाथ-पाँव धोते, हिन्दू आस्थाओं को तार-तार करते आ रहे हैं और आज जब उस ज्योतिर्लिंग के होने का साक्ष्य मिल गया है, फिर भी भोले बाबा तिरस्कृत अवस्था में पड़े हैं क्योंकि अदालत ने हिन्दुओं को उनकी पूजा करने की न तो अनुमति दी है और न ही हिन्दुओं में इतनी शक्ति है कि वे सभी बाधाओं को दरकिनार कर उस अमूल्य और अतुल्य ज्योतिर्लिंग की पूजा आराधना शुरू कर लें।यही हाल 'कृष्ण जन्मभूमि' का भी है जिसपर आज के भारतीय मुसलमानों ने कब्जा कर रखा है। और देखिए कांग्रेस सरकार का दोगलापन...१९९१ में संसद में एक क़ानून बनाकर हिन्दुओं को अपने आराध्य देव को पुनर्स्थापित करने से विलग कर दिया। फिर यह कैसा शौर्य दिवस हम मना रहे हैं जब हिन्दुओं की आस्थाओं का खुला उल्लंघन और अवमानना हो रहा है?

यह तो विश्व विदित है कि मुसलामानों ने लगभग सभी धर्मों व आस्थाओं के प्रतीक को तिरस्कृत किया है (पढ़ें 'The many Ayodhyas in the world' https://articles.thecounterviews.com/articles/islam-and-many-ayodhyas-of-world/) I इस्लाम में ही राक्षसी प्रवृत्ति निहित है (पढ़ें ‘इस्लाम और राक्षसी प्रवृत्ति’ https://articles.thecounterviews.com/articles/islam-demonic-culture/) I इन दानवो और रक्तवीजों का दमन कैसे होगा ? (पढ़ें ‘आज के रक्तवीजों का वध कैसे हो’ https://articles.thecounterviews.com/articles/get-rid-jihadist-demons-islamist/) I फिर हम इन राक्षसों का नाश क्यों नहीं करते ? शौर्य या शौर्य दिवस सिर्फ मंदिरों से नहीं हो सकता जब कि पूरा सनातन धर्म ही संकट में है। हिन्दुओं को अपने ही देश में मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्हें अपने ही भूमि से पलायन करना पड़ रहा है।बेटियाँ लव जिहाद से प्रताड़ित हैं। इस धर्म निरपेक्ष देश में अगर इस्लाम की असलियत बोलें तो मुसलमान आपका सिर काटने आ जाएंगे (पढ़ें ‘इस्लाम की हैवानियत’ https://articles.thecounterviews.com/articles/beasthood-of-islam/) भले ही वे हिन्दू देवी देवताओं का अपमान क्यों न करते हों। देश में Religious Demography का परिवर्तन होता जा रहा है और इस तरह की कई और विषमताएँ भरी पडी हैं।

एक तरफ कट्टरवादी मुसलमान हमें निगलते जा रहे हैं और दूसरी तरफ ईसाई पादड़ी दलित वंचितों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण के लिए मजबूर करते रहे हैं।यह सब काफी सुनियोजित तरीके से सदियों से चला आ रहा है जिसके फलस्वरूप भारत में ही हिन्दुओं की प्रतिशत जनसंख्याँ कम होती जा रही है। बारह जिले तो ऐसे हैं जहाँ हिन्दू अल्पमत में आ गए हैं।भला हो मोदी सरकार के मीडिया की स्वतन्त्रता की, जिसके चलते ऐसे सारे मामले प्रकाश में आ रहे हैं वरना कांग्रेस राज में इन मामलों पर चर्चा करने की अनुमति भी नहीं होती।कश्मीर से तो हिन्दुओं को १९९० में ही जिहाद के अंतर्गत प्रताड़ित कर भागने के लिए मजबूर कर दिया गया (read ‘कश्मीर में जिहाद और हिन्दू प्रताड़ना’https://articles.thecounterviews.com/articles/kashmir-jihad-atrocities-on-hindu/) , आज के दिन केरल, बंगाल असम और बिहार एक नए कश्मीर बनाने के रास्ते चल पड़ा है जहाँ जिहादी गतिविधियाँ अग्रसर होती जा रहीं हैं ।क्या हम ऐसे ही शौर्य और शौर्य दिवस की कल्पना कर रहे हैं ?

आज इन सारी समस्याओं का समाधान के लिए अलग-अलग सुझाव दिए जा रहे हैं(जैसे समान नागरिक संहिता, जनसंख्याँ क़ानून, लव जिहाद क़ानून, धर्म सांख्यिकी (religious demography) क़ानून, धर्मांतरण विरोध क़ानून, मंदिर पुनरोद्धार क़ानून आदि आदि) जिन हर सुझावों पर मुसलमानों की आपत्ति अवश्य होगी और मामला अदालतों में दशकों ऐसे ही लटकी रहेगी।आज आवश्यकता है सिर्फ एक सशक्त कदम का जिससे हिन्दुओं के हर समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाए और व है एक "हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र" का ( read “भारत एक हिन्दू राष्ट्र” https://articles.thecounterviews.com/articles/india-hindu-nation-rashtra-indian-religions/) ।आज जब विश्व के ~32% ईसाईयों के लिए ११ राष्ट्र,~२३ प्रतिशत मुसलमानों के लिए ५७ राष्ट्र,~5.25% बौद्धों के लिए ४ राष्ट्र और 0.02% यहूदियों के लिए १ धर्म राष्ट्र है तो लगभग 16% हिन्दुओं या 21% हिन्दू-जैन-बौद्ध-सिख के लिए एक ‘हिन्दू राष्ट्र या भारतीय धर्म राष्ट्र’ क्यों न हो। अगर ऐसा हो सकेगा तो इससे सबसे ज्यादा खुशी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विभाग को होगा जो तब गर्व से कह सकेगा कि अगर ईसाईयों, मुसलमानों, बौद्धों और यहूदियों के लिए अलग-अलग धर्म राष्ट्र है तो अब सबसे प्राचीन धर्म हिन्दुओं के लिए भी है। यह हिन्दुओं के लिए तो गर्व का विषय होगा ही।

स्वतन्त्रतोत्तर नेहरू जी ने तो हिन्दुओं से छल किया और मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनाने के बावजूद भी भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने नहीं दिया और परिणाम हम सबों के सामने है।आज मुसलमान अपने लिए भारत के पुनर्विभाजन की बात करने लगे हैं।पहले अफगानिस्तान फिर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अब आगे क्या ? यह सिलसिला ख़त्म करना अत्यावश्यक है।भारत को एक ऐसा हिन्दू राष्ट्र बनाना आवश्यक है जहाँ भारतीय धर्मों (हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख ) को वे सारे अधिकार हों जो इस्लामिक देशों में मुसलमानों को और ईसाई देशों में ईसाईयों को प्राप्त हैं। हाँ। यहाँ रह रहे अन्य धर्मावलम्बियों की अवहेलना न हो इसके लिए उन्हें भी वही हक़ मिले जो उन इस्लामी या ईसाई देशों में में हिन्दुओं को मिले हैं। आज आवश्यकता है हिन्दू एकता की।एक स्वर में हमें २०२४ के लोक सभा चुनाव के पहले यह प्रस्ताव रखना होगा कि मोदीजी बीजेपी के चुनाव घोषणा पत्र में यह प्राण करें कि भारत को अगले ५ सालों में एक हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र घोषित करेंगे तभी हिन्दू वोट उन्हें मिलेगा। कहते हैं मुट्ठी में बड़ी ताकत होती है।आइये ! हम सब एक मुट्ठी बनकर सरकार को बाध्य कर दें कि वे हमारे हित की अनदेखी न करें जो कांग्रेस के ७० सालों में होता रहा है। जिस भी दिन ऐसा हो सकेगा वह सही में एक शौर्य दिवस होगा अन्यथा नहीं।

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