आखिर जम्मू कश्मीर में पंडितों, हिन्दुओं व सिखों की दुर्दशा का दोषी कौन हैं ? पाकिस्तानी आतंकी,कट्टरवादी कश्मीरी मुसलमान, कश्मीर में चलरहा इस्लामी जिहाद, भारत सरकार, स्वयं कश्मीरी पंडित या फिर देश की हिन्दुओं के प्रति उदासीन राजनीति एवं संगठन ? अपने ह्रदय पर हाथ रखकर जवाब दें तो इनमें से सब दोषी हैं। इन सबों के संक्षिप्त वर्णन इसी पत्रिका के एक लेख में है ( पढ़ें "पलायन छोड़ो, आत्मरक्षा में बन्दूक उठाओ", https://thecounterviews.in/articles/stop-fleeing-kashmir-pick-up-guns/) I लेकिन इक्के दुक्के अपवादों को छोड़ आम हिन्दू स्वभाव से ही शांतिप्रिय हैं, हिंसा का सहारा नहीं लेते चाहे राक्षसी वृत्ति वाले मुसलमानों से त्रस्त होकर अपना सब कुछ त्यागकर पलायन ही क्यों न करना पड़े जैसा कश्मीर, कैराना, कांधला, अलीगढ़, मुज़फ्फरनगर, मुर्शिदाबाद, मामल्लपुरम अदि आदि I हिन्दुओं को डरने के लिए मुसलमान अपने कट्टरवाद, भीड़ तंत्र, इस्लाम कार्ड, जिहादी प्रवृत्ति, मर काट वाले अस्त्र शास्त्र आदि का खुलकर उपयोग करते हैं I हालाँकि मुसलमानों में भी गहरी जातिप्रथा का भेदभाव है लेकिन गैर मुसलमानों के खिलाफ ये सब एक साथ इकट्ठे हो जाते हैं जबकि हिन्दू विरले ही ऐसी हालातों में एकजुट हो पाते हैं I इसका परिणाम अक्सर पलायन ही होता है I
आतंकवाद से डरे सहमे लोग
अगर भारत में एक भी मुसलमान परिवार को भय से विस्थापित होनी पड़े तो ऐसी घटनाएँ देश में तो बड़ा राजनैतिक मामला बन ही जाता है क्योंकि मुसलमान कई राजनैतिक दलों के वोट बैंक हैं I यह मामला एमनेस्टी इंडिया के मार्फ़त भारत के विरोधियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी गूंजने लगता है जबकि विस्थापित हिन्दुओं के लिए कोई नहीं बोलता है I अगर किसी ने आवाज उठाई तो उसे सांप्रदायिक सावित कर दिया जाता हैं I ऐसी परिस्थिति में एक जायज सवाल उठता है कि हिन्दू क्या करे I क्या इसी तरह भगौड़ा बनते रहे ? अफगानिस्तान और पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर तो ये भागकर भारत आए I कश्मीर से भागकर जम्मू या अन्य राज्यों में आए जहाँ अभीतक वे अस्थाई टेंटों में रहते हैं I अब जब उन्हें जम्मू में भी जिहादियों द्वारा आतंकित किया जा रहा है तो भागके कहाँ कहाँ जाएंगे ? समय आ गया है कि वे डरना बंद करें और एकजुट खड़े हो जाएँ I मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में ग्रामीण सुरक्षा कमिटी बनाई है और उन्हें बंदूकें भी दी हैं I कोई कारण नहीं कि वहाँ के लोग भय त्यागकर जिहादियों को मार गिराने के लिए क्यों न कमर कस लें I इन लोगों को कुछ और ज्यादा ट्रेनिंग देकर बेहतर शस्त्रों से सशक्त बनाने की जरुरत है I
जिहादी आतंकवादियों के प्रति उदासीन संयुक्त राष्ट्र
आज लगभग पूरा विश्व इस्लामिक जिहाद से त्रस्त है I स्वयं इस्लामी देश भी इन जिहादियों से पस्त है चाहे वह यमन, इराक, सीरिया, या कुछ हद तक पाकिस्तान ही क्यों न हो I अफ्रीका में तो इन जिहादियों ने ईसाइयों व अफ़्रीकी जनजातियों का जीना दूभर कर दिया है और बिडम्बना यह है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी इन जिहादियों की करतूतों से अपनी आँखें मूंद रखी है जो इनकी नरसंहार की प्रवृत्तियों को बढ़ावा ही देती है (पढ़ें "Muted UNHRC response encouraging Islamic Genocides”, https://thecounterviews.in/articles/muted-unhrc-response-encouraging-islamic-genocide/) I पूरे विश्व में वस्तुतः आज एक ही ऐसा देश है जिसनें इस्लामी आतंकवाद व जिहादी उग्रवाद पर नकेल लगा रखा है और वह है चीन (पढ़ें "World must adopt Chinese model of Islam”, https://thecounterviews.in/articles/world-must-adopt-chinese-model-of-islam/) I हालाँकि चीन में मुसलमानों पर अत्यधिक प्रताड़ना किया जा रहा है लेकिन इस मॉडल को थोड़ा काट छाँट कर दुनिया के अन्य गैर मुस्लिम देशों में अनुकरण किया जा सकता है और विश्व को इस्लामी आतंकवाद से बचाने के लिए यही एक सक्षम उपाय है I भारत के लिए एक और रास्ता है कि इस देश को एक हिन्दू या भारतीय धर्म राष्ट्र घोषित कर दिया जाए जिसमें मुसलमानों को वही सारे अधिकार मिले जो इस्लामी देशों में हिन्दुओं को मिलते हैं (पढ़ें "हिन्दू राष्ट्र, संविधान और बाबा बागेश्वर”, https://thecounterviews.in/articles/hindu-rashtra-constitution-bageshwar/) I
सारांश
वर्तमान समय में वास्तविकता यही है कि इस्लामी कट्टरवाद और जिहाद विश्व भर में बढ़ता जा रहा है और भारत तो पाकिस्तानी आतंकवाद से लगभग चार दशकों से जूझ रहा है I पश्चिमी देशों को इसका स्वाद अमेरिका पर ९/११ की आतंकी घटना से मिला था I विश्व के ज्यादातर गैर-इस्लामी देश जैसे अमेरिका, भारत, रूस, इंग्लॅण्ड, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिआ, श्रीलंका, इजराइल आदि सब जिहादी आतंकवाद से जूझ रहे हैं I यहभी सत्य है कि कई आतंकी गिरोहों को पैदा करने वाले कई इस्लामी देश स्वयं भी इन आतंकियों के शिकार हो रहे हैं I भारत में भी कई तरह के जिहादी गतिविधियाँ शुरू हो गईं हैं जिससे यहाँ के शांति-प्रिय भारतीय धर्मावलम्भी जूझ रहे हैं । हालाँकि वर्तमान मोदी सरकार इन आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है लेकिन ऐसा लगता है कि जम्मू कश्मीर में कट्टरवादियों ने जो जिहाद १९९० में शुरू किया था वह चोरी छुपे चल ही रहा है और यह सरकार को संज्ञान में लेकर ही आगे की कार्यवाही करनी पड़ेगी I अब नागरिकों को भी गुप्त रूप से चलाए जा रहे जिहाद से लड़ने में सरकार का साथ देना ही पडेगा I सिर्फ सरकार के भरोसे पाकिस्तानी आतंकियों से लड़ना संभव नहीं है क्योंकि इसमें कुछ स्थानीय कट्टरवादी मुसलमान भी सम्मिलित हैं जो सीमापार से आए आतंकियों का साथ तो देते ही हैं किन्तु अपना अलग से कश्मीरी जिहादी समूह भी बना लिया है I लेकिन यह याद रहे जैसे इस्लामिक आतंकवाद पूरे विश्व में फ़ैल रहा है, कश्मीर का भी आतंकवाद आने वाले वर्षों में जैसे जैसे भारत के अन्यान्य राज्यों में मुसलमानों की आवादी बढ़ती जाएगी, फैलता जाएगा I