भगवान् राम और उनकी जन्मभूमि अयोध्या
यह तो सर्वमान्य है कि भगवान् राम हमारे जीवन शैली में सदैव से रहे हैं। सनातनी चाहे मंदिरों में जाते हों या नहीं, भगवान् सर्वदा हमारे मानस पटल पर रहे हैं। हमारे धार्मिक ग्रन्थ इस बात के प्रमाण हैं कि सनातन धर्म में भगवान् का व्यापक महत्ता है चाहे वह साकार - निराकार हो, या फिर अवतार हो या अंश। यह तो क्षोभ का विषय सदा से रहा है कि किस तरह मध्यकाल से ही आक्रांताओं द्वारा सनातन धर्म का ह्रास किया जाता रहा है चाहे वह मुस्लिम आक्रांताओं के काल में हो, अंग्रेजी शासन में या फिर स्वतंत्रोत्तर नेहरू - इंदिरा के काल खंड में; जब जान बूझ कर मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए सनातनियों को बलि का बकरा बनाया जाता रहा था। सनातनियों पर नेहरू - इंदिरा द्वारा एक ऐसा क्षद्म धर्मनिरपेक्ष का चोला थोप दिया गया जिससे वे आज तक बरी नहीं हो पाए हैं। इस्लामी आक्रांता और अंग्रेज तो लुप्त हो गए लेकिन सनातन धर्म को नीचा दिखाने वाले औलाद छोड़ गए। अपने राजनैतिक जीवन में मुस्लिम तलवे चाटने वाले लगभग सभी राजनीतिक दल आज इस होड़ में हैं कि किस प्रकार हिन्दुओं कोअपशब्द कह कर वे मुसलमानी वोटों को लुभा सकें। वे जानते हैं कि सनातन की अवहेलना के बावजूद हिन्दू तो उनको सताएंगे या मारेंगे नहीं। सनातनी हिन्दू तो सदैव से शांतिप्रिय रहे हैं और शायद रहेंगे भी।आज मुसलमानों के तलवे चाटने वाले चाहे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी हो, लल्लू यादव की RJD, ममता की TMC हो या खेजड़ीवाल की AAP; मुसलमान वोट पाने के लिए सब हिन्दुओं को अपशब्द कहने में लगे है। यहाँ तक कि ‘हिन्दू सम्राट’ कहे जानें वाले स्वर्गीय बालासाहबठाकरे की संतान भी मुसलमानों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। जवाहर लाल नेहरू के कांग्रेस की बात तो और ही है। जिस कांग्रेसके कार्यकर्ताओं ने देश के स्वतन्त्रता के लिए अपने जान तक दांव पर लगा दिए थे वही आज इतालवी सोनियाँ के प्रति अपनी वफादारी सावितकरने के लिए नतमस्तक खड़े हैं। मुसलमान वोटों के लालायित राजनैतिक पार्टियाँ आज भगवान् राम के प्रतिष्ठापन समारोह का वहिष्कार करने केलिए भी तैयार हैं। कोंग्रेसी आज भ्रमजाल में फंसे हैं कि मुसलमान वोट पाने के लिए वे क्या करें। आजतक उन्होंने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंकके रूप में उपयोग किया है। उधर मुसलमान आज लगभग बँटे पड़े है कि किधर जाएँ। उनका और देश का भला चाहनें वाले मोदी के बीजेपी, याउनके अंगूठे चूसने वाले पार्टियों की तरफ ? कुरान की कुछ आयतें उनमें इस कदर नफरत और असहिष्णुता का पाठ सिखाता है कि अपवादछोड़कर विरले ही कोई मुसलमान हिन्दू या देश का हितैषी है (Read “Quran a source of hate & intolerance?”,
आज मुसलमानों के तलवे चाटने वाले चाहे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी हो, लल्लू यादव की RJD, ममता की TMC हो या खेजड़ीवाल की AAP; मुसलमान वोट पाने के लिए सब हिन्दुओं को अपशब्द कहने में लगे है। यहाँ तक कि ‘हिन्दू सम्राट’ कहे जानें वाले स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे की संतान भी मुसलमानों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। जवाहर लाल नेहरू के कांग्रेस की बात तो और ही है। जिस कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने देश के स्वतन्त्रता के लिए अपने जान तक दांव पर लगा दिए थे वही आज इतालवी सोनियाँ के प्रति अपनी वफादारी सावित करने के लिए नतमस्तक खड़े हैं। मुसलमान वोटों के लालायित राजनैतिक पार्टियाँ आज भगवान् राम के प्रतिष्ठापन समारोह का वहिष्कार करने केलिए भी तैयार हैं। कोंग्रेसी आज भ्रमजाल में फंसे हैं कि मुसलमान वोट पाने के लिए वे क्या करें। आजतक उन्होंने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में उपयोग किया है। उधर मुसलमान आज लगभग बँटे पड़े है कि किधर जाएँ। उनका और देश का भला चाहनें वाले मोदी के बीजेपी, या उनके अंगूठे चूसने वाले पार्टियों की तरफ ? कुरान की कुछ आयतें उनमें इस कदर नफरत,कट्टरता और असहिष्णुता का पाठ सिखाता है कि अपवाद छोड़कर विरले ही कोई मुसलमान हिन्दू या देश का हितैषी है (Read “Quran a source of hate & intolerance?”, https://thecounterviews.in/articles/is-quran-a-source-of-hate-and-intolerance/)। भारत को मुस्लिम देश बनाने के लिए वे किसी हद तक गिर सकते हैं यह मानसिकता PFI के गज़वा-ए-हिन्द दस्तावेज में सामने आया था और यह बात यहाँ के 'मुस्लिम लौलुप' पार्टियों के समझ में नहीं आती।
मुस्लिम आक्रांताओं के नफरत ने यहाँ के मंदिरों को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी। पूरा विश्व जानता है कि मुसलमान आक्रांताओंने किस तरह लगभग सभी देशों में मंदिर तोड़े; वे चाहे मध्यकालीन अरब जनजातियों के मक्का के मंदिर हों या फिर हिन्दुओं, पारसी, ईसाईयों याकिसी और के। इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद को मंदिरों तथा उनमें रखे मूर्तियों से भारी नफ़रत थी (पढ़ें “Islam and many Ayodhyas of the world”, https://thecounterviews.in/articles/islam-and-many-ayodhyas-of-world/) I आज तो सिर्फ राम जन्मभूमि अयोध्या का उद्धार हुआ है। कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा व काशी का ज्योतिर्लिंग अभी भी कानूनी दाव - पेंच में फँसा है। इसी तरह हजारों अन्य मंदिरें हैं जो मुसलमान आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए गए थे। भला हो मोदी सरकार का जिन्होंने उच्चचतम न्यायालय को निर्देश दिया कि वो राम-जन्मभूमिमामले की दैनिक सुनवाई कर २०१८ - १९ में अपना फैसला दे। अगर कोंग्रेसी इतालवी का बस चलता तो वो इसे दशकों या सदियों लटकाए रहते। वे कतई यह नहीं चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने क्योंकि इससे उसके मुस्लिम मतदाता नाराज होते ।
आज जब भव्य राम मंदिर अयोध्या नगरी में बनकर तैयार है, पूरे विश्व के सनातनीं हिन्दुओं का सिर गर्व से ऊपर है। और क्यों न हो ? लगभग डेढ़ सौ सालों के कानूनी लड़ाई वाद उनकी मनसा पूरी हो रही है। सैकड़ों लोगों ने इसके लिए अपना बलिदान दिया है। यह कौन सहन कर सकता था कि उनके आराध्य भगवान् राम की जन्मभूमि पर मुस्लिम आक्रांताओं का अधिपत्य हो ? आज यह गौरव का विषय है कि अयोध्या नगरी में देश के प्रधानमंत्री मोदी स्वयं इस प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने वाले हैं। अयोध्या का सर्वांगीण विकास हुआ है। भव्य शहर का निर्माण हुआ है, विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन तथाहवाई अड्डा भी बना है। मंदिर का गर्भ गृह व अन्य भाग तरह तरह के नक्काशी से अनुपम है। सरयू नदी का तट अति शोभनीय बना दिया गया है।अयोध्या विश्व के किसी भी अन्य धार्मिक प्रतिष्ठानों से कहीं अधिक सुशोभित है। इसमें कोई दो मत नहीं कि आने वाले कालान्तर में अयोध्या विश्वके अति शोभनीय धार्मिक स्थलों में से एक होगा।
यह मात्र एक आम मंदिर नहीं है वरन भगवान् विष्णु के अवतार भगवान् राम के पवित्र जन्मभूमि पर उनका मंदिर है जो समस्त विश्व के सनातनियों का परम श्रद्धेय है।ऐसा माना जाता रहा है कि जहाँ भी अनेकों नैसर्गिक व दैविक कलाओं से परिपूर्ण अवतार का जन्म होता है वहाँ की धरती व रज अत्यंत पावन और पूज्य होते हैं। अयोध्या के राम जन्मभूमि या मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि की भी यही गाथा या माहात्म्य है।विश्व हिन्दू परिषद् ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए अथक परिश्रम किया है। भारतीय जनता पार्टी तथा शिव सेना इसके जीर्णोद्धार के लिए समय समय पर आंदोलन किए हैं। आज के दिन लगभग पूरा भारत राममय है। कभी कभी तो ऐसा लगता है मानो राम राज्य की पुनर्स्थापना हो रही हो। लगता है भगवान् राम मोदी के हाथों भारत की सार्वभौम्यता स्थापित कर रहे हों। २२ जनवरी २०२४, पौष माह शुक्लपक्ष द्वादशी के दिन दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे भगवन राम के प्राण-प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त है। यह दिन देश के लिए एक नई दीपावली भी होगी। कभी - कभी तोऐसा लगता है मानो भारत भूमि का ही पुर्नोद्धार हो रहा हो। पूरा देश करबद्ध उस पावन पर्व की लिए अभिलाषी है।
कुछ लोग तो यह भी मानने लगे हैं कि आने वाले वर्षों में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाकर यहाँ बढ़ रहे राक्षसी वृत्ति को रोका जाए। आज जहाँ विश्व में ३२% ईसाइयों के लिए ११ धर्म-राष्ट्र, २३% मुसलमानों के लिए ४७ राष्ट्र है, वहाँ विश्व के तीसरे सबसे बड़े हिन्दू धर्म अनुयायियों के लिए एक भी राष्ट्र क्यों नहीं है ? याद रहे मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्याँ हर गैर-मुस्लिम देशों के लिए खतरा है (read “Hinduism and Indian religions at cross-road in New India”, https://thecounterviews.in/articles/hinduism-and-indian-religions-at-the-crossroads-in-new-india/ and (पढ़ें "भारत में बढ़ती मुस्लिम आवादी एक खतरा", https://thecounterviews.in/articles/increasing-indian-muslim-population-a-danger/) । समय आ गया है ऐसी राक्षसी अधर्म को भारत में जड़ से समाप्त किया जाए जिससे आने वाली सदियों में सनातनी हिन्दू धर्म के रास्ते पर चलकर यहाँ शान्ति से जीवन यापन कर सकें।
जय श्री राम।