सांसद और रंगीन मिजाज़
राजनीतिक नेताओं या नेत्रियों का अमीर होने के साथ-साथ जवान, रसिक-मिजाज़ और रूपश्विन होना भी बहुत फायदेमंद होता है। मतदान करने वाले ज्यादातर युवा वर्ग भावनाओं में प्रवाहित हो, अपने कीमती मत का दान बिना किसी राजनीतिक ज्ञान के कर देते हैं। ऐसे भी बहुतायत जनसंख्या अन्धों की तरह ही मतदान करते आये हैं जिनके परिणाम भी हमारी पीढ़ीयाँ भुगतते रहे हैं।
भारतीय राजनीति मेंपढ़े-लिखे बुद्धिजीवियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ दुष्कर्म, दुष्प्रचार, भ्रष्टाचार और नैतिकता का हनन भी हुआ है। पहले संचार संसाधनों की कमी के कारण साधारण जनता तक संशोधित खबरें ही पहुँच पाती थी,परन्तु आजकल ख़बरों की भरमार है। समस्या मौलिक खबरों के सत्यापन की हो गयी है।
आज सुबह-सुबह जब घुँघराले लटों को झटके दे-दे, संसद में मुद्दों को प्रस्तुत करने वाले रम्य कांतियुक्त शशि थरूर का प्रसिद्ध व बहुचर्चित रमणियों से घिरा आकर्षक चित्र तथा उससे भी ज्यादा आकर्षित करने वाले वक्तव्य के साथ मीडिया में आया तो न चाहते हुए भी हँसी के फुहारों की बौछारें स्वतः मुखरित हो वातावरण में गूँज उठी।...
..एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से उत्पन्न हुआ…तिलोत्तमा मुखर्जी,... क्रिस्ता गेल्स,....सुनन्दा पुष्कर... के बाद अब किसकी... बारी है..?.....खैर! जो भी हो,... उनका ट्वीट तो गौर करने के लायक है ....किसने कहा कि 'लोकसभा' एक अरुचिकर कार्यस्थल है। वस्तुतः "लोकसभा"कार्य करने के लिए अत्यंत आकर्षक स्थान है... सुबह का आलम अपने इन साथियों के साथ".!! .👌वा...ह..!..वा..ह..!..एकभीपुरूषनहींहै.😊....साथियोंमें... बहुतों को शायद इनसे ईर्ष्या भी होती होगी ! ... सुदर्शन रसिकमिजाज़ और अमीर शशि थुरूर की प्रकृति- कीर्ती..कौन जान सकता है भला....? ..निःसंदेह ऐसे भाग्यशाली… पर कामदेव का वरदहस्त है ...एक के जाने से पहले ही दूसरी पंक्ति में प्रस्तुति लिए खड़ी होती है। ...क्षमा करें , ऐसे छाया चित्र और वह भी इतने रोमांटिक अंदाज़ में मीडिया पर डाले जायेंगे तो प्रतिक्रिया तो होगी ही।
सुनी हुई बातें हैं कि औरतों की जनसंख्या तुलनात्मक रूप से कम होने के कारण बहुतों को कुँआरा भी रहना पड़ता है'। इनके छाया चित्र देख कर असहजता की प्रतीत होती है। सोचने की बात है कि जब एक इन्सान चार बीबियाँ, पत्नी के अलावा कई रखैलें भी रखता हो तथा पैसे वाली सुंदर औरतें भी कई पतियों के अलावे रखवा रखती हो तो लिंग संतुलन तो बिगड़ेगा ही।
हमारे राजनेताओं में बहुतों की प्रेम कहनियाँ तो बहुत ही प्रसिद्ध हैं जिनमें से बहुतों के अंजाम सफल वैवाहिक जीवन हैं तो कुछ राजनेताओं की प्रेम कहनियों में विडंबनाओं की भी भरमार है। कईयों की तो पत्नी के रहते प्रेमिकाओं या पति के रहते प्रेमियों की चर्चा भी मिडिया में मज़ेदार ढँग से छाई रहती है। कुछ कुँआरे भी हैं।
नेहरूजी के बाद सबसे ज्यादा प्रेमिकाओं से घिरे प्रसिद्ध, पसंदीदा, रूपश्विन, रसिकमिजाज़, चुस्त-दुरुस्त शशिजी को देश की आम जनता की ओर से बहुत-बहुत बधाई हो।...आज तक तो हम ऐसे साधारण लोग लोकसभा को युद्धस्थल या पहलवानों के अखाड़े की तरह ही देखते रहे हैं, आज पर्दे के पीछे का आकर्षक वातावरण भी दिखाई दिया है । वाह! क्या बात है। सब कुछ मस्त है।
....कहीं हमारे 'ऐसे' रसिकमिजाज़ सांसद आस्ट्रेलियन सांसदों की राह पर तो नहीं चल पड़े हैं ..?.....